आदिवासी छात्रावास के छात्र की मौत अस्पताल पहुचने से पहले तोड़ा दम…

अभिभावको ने लगाया लापरवाही का आरोप

कोरिया “सोनू केदार”

कोरिया जिले के सोनहत विकास खण्ड स्थित तेलीमुडा आदिवासी बालक के तीसरी कक्षा मे पढ़ने वाले बुखार से पिड़ीत छात्र की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि छात्र को बीते दिवस बुखार हो गया था जिसे उपचार के लिये सोनहत के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया था। वहां से रेफर होने के बाद बैकुण्ठपुर जिला अस्पताल लाया जा रहा था लेकिन बालक ने अस्पताल पहुंचने से पहले दम तोड़ दिया। वहीं इस पूरे मसले मे मृत छात्र के परिजनों ने हास्टल अधीक्षक सहित उसके प्रबंधन पर लापरवाही किये जाने का आरोप लगाया है।

मामले के संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक बैकुण्ठपुर के बड़े आनी का निवासी सात वर्षीय बालक अंशु कुजूर पिता मैन प्रताप तेलीमुड़ा आदिवासी बालक छात्रावास मे रहकर तीसरी कक्षा की पढ़ाई करता था। इस संबंध में आश्रम अधीक्षक आरएल कुर्रे ने बताया कि शुक्रवार को बच्चे की तबियत खराब हो गई थी जिसके बाद उसे सोनहत के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया था जहां बच्चे का ब्लड चेकअप कराया गया था। चिकित्सकों ने बताया था कि बच्चा सामान्य मौसमी बिमारी से ग्रसित है लेकिन शनीवार को बच्चे की हालत ज्यादा खराब हो गई और सोनहत के चिकित्सकों ने बैकुण्ठपुर जिला अस्पताल रेफर कर दिया था। लेकिन बच्चे ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। वहीं इस पूरे मामले मे मृत बच्चे के पिता मैन प्रताप व माता ने प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी कई दिनों से बच्चे अंसू से बात नही हुई थी और आज अचानक बच्चे के बीमार होने की सूचना दी गई। बच्चे के पिता का आरोप है कि आखिर कैसे एक दिन के अंदर सामान्य मौसमी बीमारी से बच्चे की मौत हो सकती है। उसने यह भी कहा कि उन्हे आशंका है कि उनका बच्चा कई दिनों से बीमार रहा होगा जिसकी सूचना आश्रम अधीक्षक द्वारा उन्हे नही दी गई। यदि समय पर उन्हे जानकारी दे दी जाती तो अंशु की मौत नही होती। गौर तलब है कि बारिश और उमस भरे इस संक्रामक मौसम मे मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है जिसकी चपेट मे खास तौर पर आश्रमों के बच्चे आ रहे है।

बैकुण्ठपुर आश्रम के बच्चे भी हुए थे बीमार

तेलीमुड़ा आश्रम के सात वर्षीय बच्चे की मौत ने विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवालिया निशान खड़े कर दिये है। आखिरकार महज डेढ़ दिन के अंतराल मे किसी मौसमी बुखार की वजह से मौत कैसे हो सकती है यह सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न है। गौरतलब है कि इससे पहले अम्बिकावाणी द्वारा बैकुण्ठपुर के प्री मैट्रिक बालक छात्रावास के दर्जनों बच्चों के मौसमी बीमारियों के चपेट मे आकर ग्रसित होने की खबर प्रकाशित की गई थी। घर से दूर आश्रम मे रहने वाले मासूम बच्चों ने बताया था कि आश्रम अधीक्षक द्वारा उन्हे कुछ दवाईयां दी गई है और उन्हे अस्पताल भी नही ले जाया गया था। हलांकि इस मसले पर आश्रम अधीक्षक सहित सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग ने दो से तीन बच्चों के बीमार पड़ने की बात कही थी। साथ ही एक बच्चे को अस्पताल मे भर्ती किये जाने की बात भी स्वीकारी थी। वहीं उन्होने चिकित्सकीय परामर्श के आधार पर दवाईयां देने की बात भी कही थी। इस पूरी कवायत के बीच सबसे बड़ा सवाल इस मौत ने खड़ा कर दिया है कि क्या वाकई मे घर से दूर आश्रमों मे रहने वाले बच्चे सूरक्षित है, और क्या उनकी नियमित देखभाल की जाती है।

एलआर कुर्रे…..सहायक आयुक्त आदिवासी विकास विभाग

बच्चे का पीएम हुआ है बताया जा रहा है कि बीमारी से बच्चे की मौत हुई है। बच्चे को अधीक्षक ने कल सोनहत मे दिखाया गया था और दवाईयां दी गई थी। बच्चे के व्यवहार मे बदलाव देखा गया जिसके बाद बच्चे के अभिभावक को बुलाया गया। पीएम रिर्पोट मे मौत किन कारणों से हुई इसका पता चल जायेगा। सभी आश्रम के अधीक्षकों को निर्देश दिया जायेगा कि वायरल फिवर का प्रकोप चल रहा है जिसे गंभीरता से लेते हुए बिना किसी डाक्टरी परामर्श के बच्चो को दवा ना दें और किसी प्रकार की चूक ना करें। फिलहाल बैकुण्ठपुर आश्रम के बच्चों की तबियत ठीक है।