सोशल आडिट करना महिला कर्मचारी को पडा मंहगा : कार्यवाही का इंतजार

  • सोशल आडिट में लगे महिला कर्मचारियो के साथ बदसलूकी और गाली गलौज का आरोप
  • भाजपा अध्यक्ष और पार्षद पर शासकीय कार्य में बाधा डालने का भी आरोप
  • पुलिस प्रशासन मामले में मौन व्रत की स्थिती में
  • सरगुजा सोसायटी फांर फास्ट जस्टिश नामक संस्था न्याय दिलाने आई आगे।

सूरजपु

महिला सुरक्षा के तमाम दावे और नियम कायदे सूरजपुर जिले में लागू नही होते है। यंहा पर सभी नियम कायदे राज्य में सत्ताधारी दल भाजपा के लोगो द्वारा तय किए जाते है। ये हम नही कह रहे है बल्कि सूरजपुर जिले में उत्पन्न जंगलराज इसकी गवाही खुद दे रहा है। मामला मनरेगा की सोशल आडिट करने पंहुची महिला कर्मचारी और उसकी टीम के साथ गाली गलौच और बदसलूकी से जुडा है। जिसका आरोप सूरजपुर के भाजपा मण्डल अध्यक्ष और भाजपा के एक पार्षद पर है। लेकिन हैरत की बात है अब महिला और उसके साथ कर्मचारियो को न्याय के लिए दर दर की ठोकर खाना पड रहा है।

अम्बिकापुर के बौरीपारा निवासी प्रियंका को संचालक सामाजिक अंकेक्षण इकाई रायपुर द्वारा सूरजपुर जिले में हुए मनरेगा के कार्य के शोसल आडिट के लिए बतौर डी.एस.ए.एफ(जिला सामाजिक अंकेक्षण प्रदाता) के रुप में नियुक्त किया गया था। जिनके साथ ब्लाक स्तर पर 70 अन्य महिला और पुरुष कर्मियो को इस कार्य में संल्गन किया गया था। जिनके रहने की व्यवस्था शासन स्तर पर मानपुर के 47सामुयदायिक भवन में किया गया था। गौरतलब है कि शोसल आडिट में लगे सभी कर्मचारियो के लिए आवास और भोजन की व्यवस्था करने के लिए पंचायत एंव समाज कल्याण विभाग के अवर सचिव नें कलेक्टर को निर्देश दिए थे। जिसके बाद सीईओ जिला पंचायत के आदेश पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी नें इनके आवास के लिए मानपुर सामुदायिक भवन आबंटित किया गया था। लेकिन प्रिंयका का आरोप है कि बीते 23 दिसंबर को जब सोशल आडिट का आवासीय प्रशिक्षण चल रहा था तभी सूरजपुर भाजपा के मण्डल अध्यक्ष मुकेश गर्ग, और भाजपा पार्षद राजेश साहू अपने दल बल के साथ सामुदायिक भवन पंहुचे। और शासकीय कार्य में लगे महिला और पुरुष कर्मचारियो को गाली गलौच और बदसलूकी करते हुए भवन से बाहर निकाल दिया गया। और तैयार आडिट रिपोर्ट के साथ भी छेडछाड की गई।

इस दौरान पीडित कर्मचारी प्रियंका नें भाजपा के नेताओ की इस गुण्डागर्दी की तस्वीर अपने मोबाईल में कैद करनी चाही,, तो मुकेश गर्ग नाम के शख्स नें उसका मोबाईल छीन कर पहले वीडियो डिलीट किया , फिर साक्ष्य मिटाने के लिए मोबाईल तोड दिया। लेकिन फिर भी इस गुण्डागर्दी की कुछ तस्वीर मोबाईल में बची ही रही गई। इधर इस घटना के बाद कार्यरत महिला कर्मचारियो के परिजन भी मौके पर पंहुचे और मामले की शिकायत पुलिस औऱ प्रशासन से की,, लेकिन शिकायत तो दूर ,, ठिठुरती ठंड में प्रशासन और पुलिस नें इन कर्मचारियो को रहने के लिए छत भी मुहैया नही कराया,,

सूरजपुर से किसी जानवर की तरह निकाले गए 70 महिला और पुरुष कर्मचारियो को ठिठुरन भरी रात में किसी तरह अम्बिकापुर के अग्रसेन भवन में लाया गया। लेकिन उसके बाद दूसरे दिन भी मामले की शिकायत सूरजपुर पुलिस अधीक्षक, कलेक्टर और महिला आयोग तक में की गई। लेकिन एक महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस अभी तक मामले की जांच में जुटी है,, लिहाजा फोरम फांर फास्ट जस्टिस नामक संस्था नें एक बार फिर मामले में उचित कार्यवाही के लिए पुलिस और प्रशासन मुलाकात की ,, लेकिन हैरत की बात है कि महिलाओ की शिकायत पर त्वरित एफआईआऱ दर्ज करने के नियम को भी सूरजपु पुलिस अनदेखा कर रही है। हांलाकि इस मामले में जिले के एएसपी जी.एल.पाटले नें बताया कि मामले में राज्य महिला आयोग से जांच के आदेश आए है। जांच चल रही है। लेकिन कब तक चलेगी इस बात का फिलहाल कुछ पता नही चला है।

हांलाकि राज्य महिला आयोग के आदेश के बाद सूरजपुर पुलिस जांच करनें के लिए मजबूर नजर आ रही है.. लेकिन 23 दिसंबर को हुई इस घटना में शामिल भाजपा मण्डल अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल और पार्षद राजेश साहू प्रदेश के एक दिग्गज मंत्री के खास है… लिहाजा पुलिस और प्रशासन पर उनका दबाव साफ नजर आ रहा है… बहरहाल सोशल आडिट के दौरान उजागर हुए लाखो के भ्रष्टाचार और उसमें फंसते लोगो के द्वारा महिला कर्मचारियो से की बदसलूकी और शासकीय कार्य में बाधा डालने के इस मामले को देखकर तो यही चरितार्थ होता है कि खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे।