एक कोरवा जनजाति की हकीकत तस्वीर

लखनपुर  (अम्बिकापुर)

एक कोरवा जनजाति की हकीकत तस्वीर

लखनपुर विकासखण्ड मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत लोसंगी के आश्रित मोहल्ला जामझोर पहाड़ी कोरवा बस्ती में निवासरत दोनों पांव से अपाहिज विशुन कोरवा गरीबी में अपना और अपने परिवार का गुजर-बसर कर रहा है। जानकारी के अनुसार यह परिवार शासन प्रशासन से किसी भी प्रकार की सहायता नहीं मिलने से उपेक्षित जीवन  जीने मजबूर है। इस परिवार के रहन-सहन को देखकर यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जहां विशेष आरक्षित तथा राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने व विलुप्त होती कोरवा जनजाति को दशा  और दिशा देने योजना लाभ इन तक नहीं पहुंचा है।
ग्रामीणों ने बताया कि विशुन राम कोरवा विगत 10-15 वर्षों से दोनेां पैर से अपाहिज जीवन जीने मजबूर हैं। पंचायत सहित कई कार्यालय मेें अर्जी देने के बाद भी आज तक लाचार अपाहिज को किसी प्रकार का पेंशन, इंदिरा आवास जैेसे योजनाओं का लाभ नहीं मिल सका है। इस विषय पर जनपद पंचायत सीईओ से 10 फरवरी को चर्चा करने पर ज्ञात हुआ कि अप्रैल 2016 तक अपाहिज विशुन को शासकीय लाभ मिल सकता है। 2002-2007 के सर्वे में नाम नहीं होने के कारण वंचित है। क्षेत्रीय विधायक चिंतामणी महाराज ने गत 12 फरवरी को अपने चर्चा में कहा था कि वस्तुस्थिति की जांच करा लाभ दिलाने की कोशिश की जायेगी। जबकि विशेष आरक्षित जनजाति पहाड़ी कोरवाओं के लिये शासन प्रशासन द्वारा कई तरह के योजनायें बनती है। यदि बेबस लाचार विशुन कोरवा को योजना का लाभ मिल जाता तो शायद जीवन जीने का आधार मिल जाता। विडम्बना यह है कि विकलांग होने का प्रमाण पत्र तो है परंतु चलने के लिये एक ट्राई सायकल तक  विभागीय अधिकारी-कर्मचारियों ने देना उचित नहीं समझा। विशुन ने बताया कि पेंशन, इंदिरा आवास सहित अन्य शासकीय योजना का लाभ मिलता है तो वह मेरे लिये खुदा या भगवान है।
गौरतलब है कि अपाहित का एक पुत्र जो नाबालिग है दोनों कानों से बहरा है जिसके कारण वह भी रोजगार का कोई साधन नहीं अपना पा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि कई वर्षों से गरीबी के कारण विशुन राम तंगहाली जिन्दगी बसर करने मजबूर है लेकिन आज तक किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं मिलने के कारण वह लाचार जिन्दगी जीने को मजबूर है।