आदिवासी नेताओ की उपेक्षा या पूर्व जोगी समर्थक का दंश..!

कांग्रेस के प्रदेश समन्वय समिति मे संभाग के आदिवासी नेताओ की उपेक्षा

 अम्बिकापुर

आदिवासियो के हित की बात करने वाली कांग्रेस पार्टी मे आदिवासी नेतृत्व की अनदेखी किए जाने की सुगबुगाहट शुरु से होती रही है , लेकिन छत्तीसगढ कांग्रेस के समन्वय समिति मे सरगुजा के आदिवासी विधायक और बडे नेताओ को शामिल नही किए जाने से ये बात साबित होने लगी है। कांग्रेस की इस प्रभावी समिति मे सरगुजा संभाग के जिन बडे कांग्रेस नेताओ को नजरअंदाज किया गया है वो कांग्रेस मे रहते हुए भी जोगी समर्थक के रुप मे जाने पहचाने जाते थे। जानकार ये मान रहे है कि यही वजह है कि पीसीसी के दोनो दिग्गज अब जोगी को लेकर पार्टी मे अंतर कलह से दूर रहना चाहते है।

सरगुजा संभाग मे आने वाले पांच जिलो और उसके अंतर्गत आने वाले 14 विधानसभा सीटो की बात करे तो वर्तमान मे सबसे से ज्यादा विधायक कांग्रेस के पास है या फिर यह कह सकते है कि अम्बिकापुर से टी एस सिंहदेव औऱ भटगांव से पारसनाथ राजवाडे ही मात्र ऐसे विधायक है जो सामान्य तपके से आते है बाकी सभी आदिवासी समाज से तालुकात रखते है। यही नही अम्बिकापुर और भटगांव विधानसभा मे भी आदिवासी वोटरो की संख्या इतनी ज्यादा है कि अगर नजरअंदाज किया जाता है तो इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को उठाना पड सकता है। जैसा कि पहले के चुनाव मे देखा गया है कि अम्बिकापुर विधासभा सीट के लिए लखनपुर व उदयपुर के ग्रामीण इळाको मे रहने वाले आदिवासी ही पिछले दो बार से कांग्रेस की नैया पार लगा रहे है ऐसे मे आदिवासी नेतृत्व को दबाना या अनदेखी करना 2018 मे कांग्रेस के लिए नुकसानदायक हो सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि छग के कांग्रेस के समन्वय समिति के 21 सदस्यो मे सरगुजा के दबंग और मुखर आदिवासी विधायक और नेताओ को नजरअंदाज किया गया है । जिनमे तीन बार से लगातार विधायक रहे अमरजीत भगत , पूर्व सांसद और वर्तमान प्रेमनगर विधायक खेलसाय सिंह , बलरामपुर के बृहस्पति सिंह , महेश्वर पैकरा, कोरिया के गुलाब सिंह कमरो, जशपुर जिला से सात बार विधायक रह चुके रामपुकार सिंह , इनमे से किसी भी आदिवासी कद्वार नेताओ को शामिल नही किया जाना सीधे तौर पर सरगुजा संभाग के आदिवासी नेतृत्व पर कुटाराघात के समान है। दूसरे शब्दो मे यह भी कहा जा सकता है कि सरगुजा संभाग मे हमेशा से कांग्रेस पार्टी का केन्द्र बिंदु सरगुजा पैलेस रहा है। सरपंच से लेकर सासंद तक के प्रत्याशियो की सूची यही से फाईनल होती रही है। हांलाकि छत्तीसगढ गठन के बाद से लेकर जोगी के नई पार्टी गठन करने तक जोगी खेमा के हावी होने के कारण परिस्थितियां बदली थी, नए लोगो का संगठन और चुनाव लडने का मौका भी मिला, लेकिन जैसे ही कांग्रेस से अलग होकर जोगी ने नई पार्टी बनाई परिस्थियां फिर से पहले की तरह हो गई है। संभाग मे अब फिर से पैलेस कांग्रेस का एकलौता केन्द्र बन गया है। समन्वय समिति मे संभाग से एक मात्र टी.एस.सिंहदेव का नाम आना भी कही ना कही इस बात को साबित करता है।

जोगी खेमा का असर

राजनैतिक जानकारो की माने तो सरगुजा संभाग के आदिवासी नेता कभी ना कभी जोगी के कट्टर समर्थक रह चुके है। जिनका नाम जगजाहिर भी है भले ही आज वो अपने राजनैतिक स्वार्थ के कारण खुद को कांग्रेस का वफादार सिपाही साबित करने मे कोई कसर नही छोड रहे है। यही कारण है कि कांग्रेस संगठन इन पर कोई रिस्क नही लेना चाहती है। अगर इनके द्वारा चुनाव से पूर्व ही कांग्रेस छोडा भी जाता है तो संगठन को किसी प्रकार को कोई नुकसान नही होगा, लेकिन संगठन मे रहकर ऐसा किया जाता है तो इसका सीधा फायदा जोगी कांग्रेस को मिल सकता है ।

क्या कहते है कांग्रेस नेता  

हालाकि इस संबध मे सीतापुर के विधायक अमरजीत भगत ने कहा कि संगठन मे कुछ सोंचसमझकर ही निर्णय लिया गया है। इस बार बारे मै कुछ नही बोलूंगा। आदिवासी नेतृत्व के संबध मे उन्होने कहा कि संगठन का जो भी आदेश होगा वो सर्वमान्य होगा ।

वही दूसरी ओर रामानुजगंज विधायक बृहस्पति सिंह ने कहा कि आदिवासी नेतृत्व को नही दबाया जा रहा है। अगर आवश्यकता होती तो समन्वय समिति मे आदिवासियो को लिया जाता । समिति मे सभी समाज के लोगो को लिया गया है । कांग्रेस मे आदिवासी नेतृत्व का दबाए जाने के प्रश्न पर श्री सिंह ने कहा मै बहुत छोटा हूं मै कुछ नही बोल सकता ।

मामले में समन्वय समिति के प्रमुख सदस्य एंव छत्तीसगढ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष ,अम्बिकापुर विधायक टी.एस.सिंहदेव ने समन्वय समिति मे सरगुजा के आदिवासी नेताओ को शामिल नही किए जाने के सवाल पर कहा कि इस मामले पर चर्चा करेंगे , मै आदिवासी नही हूं क्या ? मै यंहा का इतना पुरानावासी हूं तो एक आदिवासी तो मै हूं। इतना ही नही श्री सिंददेव ने कहा कि इससे पहले कोई था क्या ? समिति मे संख्या जो बढी है वो महिलाओ के काऱण बढी है और अगर ऐसी बात आ रही है तो मै बात रखकर दो तीन आदिवासी नेताओ का नाम शामिल करने की मांग करूंगा।