बचपन में सर से उठ गया माँ-बाप का साया..नहीं टूटा हौसला..और छत्तीसगढ़ की बेटी ने किया कमाल..राज्य स्तर पर बनाई नई पहचान, पढ़िए पूरी ख़बर!.

कोरिया. मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनके हौसलों में जान होती है. पंखों से कुछ नहीं होता. हौसलों में उड़ान होती है. ये पंक्तियां फिट बैठती उस मासूम बेटी पर, जिसने बचपन मे ही अपने माँ-बाप को खो दिया. लेकिन बावजूद इसके उसने अपना हौसला नहीं खोया और आज राज्यस्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता तीरंदाजी में राज्य स्तर पर पहला स्थान हासिल किया है.

दरअसल, कोरिया जिले के सरस्वती शिशु मंदिर मनेन्द्रगढ़ में तीन दिवसीय राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. वनवासी विकास समिति द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में कबड्डी व तीरंदाजी के खिलाड़ी शामिल हुए. प्रतियोगिता के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में विधायक डॉ.विनय जायसवाल, समाजसेविका इंद्रा सेंगर शामिल हुए.

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राज्य स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में बालक वर्ग में प्रथम कोरिया एवं उपविजेता सूरजपुर की टीम रही. बालिकाओं में बस्तर भानपुरी की टीम प्रथम और गरियाबंद की टीम उपविजेता रही. तीरंदाजी में बालक वर्ग में सरगुजा के रोहित प्रथम व गरियाबंद के राहुल द्वितीय तथा सरगुजा के रविकांत तृतीय स्थान प्राप्त किया. इसी प्रकार बालिका वर्ग में तीरंदाजी में दंतेवाड़ा की प्रमिला प्रथम , गरियाबंद की सुमित्रा ठाकुर द्वितीय और दंतेवाड़ा की लता ने तृतीय स्थान प्राप्त किया.

इस प्रतियोगिता मे सुरेश कुमार कोच सूरजपुर, गरियाबंद से नीलकंठ ठाकुर, कोरिया से आनंद मरकाम, बस्तर से हरबंधु जोशी, अंबिकापुर से करमचंद सिंह, बलरामपुर से संतोष पांडे , जिला संगठन मंत्री गोपाल राम, प्रांत से खेलकूद प्रमुख बिहारी सिंह, विभाग संगठन मंत्री सरगुजा तुलसी तिवारी, प्रांत संगठन मंत्री रायपुर नारायण रजक, प्रांत संगठन मंत्री अंबिकापुर ने खिलाड़ियों का मार्गदर्शन किया.

इस अवसर पर वनवासी विकास समिति के प्रान्तीय उपाध्यक्ष ललित चंद्राकर, जिला समिति के सचिव विनोद शुक्ला, मृत्युंजय सोनी, सुरेश भगत, सी.एल.नागवंशी, रामकृष्ण नामदेव, कुंदन सिंह राणा, महेश्वरी सिंह उपस्थित रहे.

बता दें कि, बालिका वर्ग में प्रथम स्थान करने वाली प्रमिला ने बचपन में ही अपनी माता पिता को खो दिया. जब वह चार वर्ष की थी. तभी माता-पिता दोनों का स्वर्गवास हो गया. कक्षा पाँचवी की छात्रा प्रमिला की देखरेख, शिक्षा की जिम्मेदारी वनवासी छात्रावास, भनपुरी ने ली है. वह तीरंदाजी में अपने देश और समाज का नाम रौशन करना चाहती है और बड़े होकर डाक्टर बनना चाहती है.

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