यहाँ “आबकारी नीति” को ठेंगा दिखाकर…”ठेकदार की नीति” से बिकती है शराब..!

[highlight color=”red”]ना बिल दिया जाता है और ना रेट लिस्ट का है जिक्र[/highlight]

[highlight color=”green”]20 से 100 रुपए ज्यादा कीमत मे बिक रही है शराब[/highlight]

[highlight color=”blue”]अम्बिकापुर [/highlight]          

सरगुजा जिले मे छत्तीसगढ सरकार की आबकारी नीति के तहत नही बल्कि शराब ठेकेदार की नीति के तहत शराब बिक्री हो रही है। सरगुजा मे मौजूदा ठेकेदार और आबकारी विभाग की मिलीभगत से नियम विरुद्द तरीके से शराब की बिक्री की जाती है। जिससे शराब ठेकेदारो को लाखो का मुनाफा और शराब के शौकीन की जेब पर हमला किया जा रहा है। दरअसल पिछले दिनो जिले के दो चिरपिचित प्रदिद्ददी ठेकेदारो की जुगलबंदी के बाद 25 से 30 प्रतिशत डिस्काउंट मे बिकने वाली शराब अब 15-20 प्रतिशत ज्यादा कीमत मे बेची जा रही है। लेकिन जिला का आबकारी विभाग कई शिकायतो के बाद ना केवल मूक दर्शक बना हुआ है बल्कि शराब ठेकेदारो को संरक्षण भी दे रहा है।

इस सत्र के लिए सरगुजा जिले मे संचालित 6 अंग्रेजी शराब दुकान के लिए टेंडर प्रकिया हुई। टेंडर प्रकिया के बाद इन विभिन्न दुकानो का ठेका प्रदेश के दो चर्चित और बडे ठेकेदारो को मिला । जिसके बाद पिछले सत्र की परंपरा के मुताबिक बतौर कंपटीशन दोनो ठेकेदार ने शराब को 25 से 30 फीसदी कम कीमत मे शराब बेची । लेकिन इसी बीच खबर आई कि जिले में संचालित दुकानो के संचालन के लिए दोनो शराब ठेकेदारो के बीच पुरानी खटास भुला कर बेहतर जुगलबंदी हो गई और बाहर से आए शराब ठेकेदार स्थानिय ठेकेदार को अपना कारोबार सौंप के वापस चले गए। जिससे बाद शराब दुकान मे जारी मनमानी अब बदस्तूर जारी है। इस मनमानी के रुप मे स्थानिय शराब ठेकेदार एक क्वाटर शराब 15 से 20 रुपया अधिक कीमत मे दो इसी तरह एक बोतल शराब भी ज्यादा कीमत मे बेंच रहे है। इतना ही नही शराब खरीदने जाने वाले किसी भी ग्राहक द्वारा शराब की रेट लिस्ट दिखाने और लेकिन शराब ठेकेदार की इस खुलेआम हो रही मनमानी पर नियंत्रण करने वाला आबकारी विभाग अनजान बना हुआ है।

[highlight color=”blue”]15 प्रतिशत डिस्काउंट के बाद असल रेट मे मिलती है शराब[/highlight]

आम तौर पर शराब नीति के मुताबिक शासन द्वारा तय कीमत पर ही शराब की बिक्री किया जाना चाहिए। मतलब आबकारी विभाग द्वारा एमआरपी और एमएसपी के बीच ही शऱाब बिक्री किया जाना है। लेकिन जिले की सभी 6 दुकानो मे शराब कीमत से ज्यादा दाम मे बेंची जा रही है। ऐसे मे अगर कोई ग्राहक दुकानदार से डिस्काउंट मांगता है तो शराब ठेकेदार के सेल्समैन एक कागज मे ग्राहक का नाम और मोबाईल नंबर लिखा कर उसे डिस्काउंट मे शराब दे देते है। लेकिन अगर आप खुद शराब दुकान नही गए है तो आपको सुनकर हैरानी होगी कि इस विशेष छूट के बाद शराब की कीमत एमआरपी मे पंहुचती है और ग्राहक भी संतोष करता है कि मुझे शराब डिस्काउंट मे मिली। मगर इस पूरे खेल मे एक दिन ही ठेकेदार शराब की बिक्री से लाखो की अवैध कमाई कर सरकार के राजस्व मे सेंधमारी कर लेता है।

[highlight color=”blue”]ना बिल मिलेगा और ना रेट लिस्टे देख पाएगें[/highlight]

जिले के अधिकांश दुकानो मे रेट लिस्ट नाम को भी प्रावधान नजर नही आता है। मतलब शराब दुकानो मे शराब के लिए निर्धारित सरकारी बिक्री शुल्क की लिस्ट चस्पा नही होती है। जिस आम ग्राहक को शऱाब ठेकेदार द्वारा निर्धारित शुल्क पर शराब खरीदना पडता है। इतना ही नही शराब दुकान के सेल्स मैन से रेट लिस्ट या फिर शराब का बिल मांगने पर आमतौर पर साफ जवाब मिलता है कि ठेकेदार ने मना किया है हम ना ही बिल देंगे और ना ही रेट लिस्ट दिखाएगे आपको शराब लेना है तो लीजिए नही तो जाईए ।

[highlight color=”blue”]ग्रामीण इलाको मे ढडल्ले से खपाई जाती है शराब[/highlight]

शासन के राजस्व मे सेंधमारी और ग्राहको की जेब मे डांका डालने के अलावा शराब ठेकेदार जिले के बतौली, सीतापुर, लखनपुर और उदयुर के ग्रामीण अंचलो मे कोचियो के माध्यम से शराब की अवैध बिक्री करवा रहे है। दरअसल आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिला के अधिकांश ग्रामीण इलाके मे महुआ शराब बनाने और बिक्री करने का प्रचलन है और सरकार ने भी आदिवासी परिवार को पांच लीटर तक महुआ शराब बनाने , रखने और ले जाने की छूट दी गई है। इस कारण शराब ठेकेदार ग्रामीण अंचलो मे महुआ की बिक्री मे सेंधमारी करने के लिहाज से कोचियो के माध्यम से शराब की बिक्री करवाते है। जिसमे कई जगह शराब ठेकेदार के गुर्गे शराब खपाने खुद जाते है, तो कही कही अवैध बिक्री के लिए खुद कोचिया शराब लेकर जाते है।

[highlight color=”orange”]हर सवाल पर कहा – कार्यवाही हो रही है..कार्यवाही हो रही है..कार्यवाही हो रही है.. प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी…[/highlight]

इस सम्बन्ध में प्रभारी जिला आबकारी अधिकारी श्री मार्केण्डेय ने कहा की शराब का बिल नहीं दे पाएंगे। यह अनिवार्य नहीं है। कार्यवाही हो रही है। शराब दुकानों में रेट लिस्ट ना होने के सम्बन्ध में कहा की रेट लिस्ट दुकानदार ठेकेदार को लगाना होगा । इसके लिए भी कार्यवाही हो रही है। शराब अधिक दाम पर बेचे जाने की बात पर श्री मार्केण्डेय ने कहा कि क्योकि मै अभी बिलासपुर आया हूं लेकिन उस पर भी कार्यवाही हो रही है शराब कम और अधिक दाम पर बेचने की शिकायत पर प्रतिवेदन बना कर कलेक्टर के समक्ष कार्यवाही के लिए प्रस्तुत किया जाता है । इस पर भी कार्यवाही हो रही है। कोचियो के माध्यम से शराब बिक्री पर रोक लगाने के सवाल पर हंस कर श्री मार्केण्डेय ने जवाब दिया कि नियमो से इसको रोक पाना संभव नही है क्योकि हम नियमो के मुताबिक ही कार्यवाही कर सकते है।    

जिले मे शराब नीतियो के पालन के लिहाज से पदस्थ साहब की कार्यवाही तो वर्षो से हो रही है लेकिन शराब ठेकेदारों की मनमानी पर रोक क्यों नहीं लग रही है। क्या कारण है की आप कहते है की कार्यवाही हो रही है और जिले भर में शराब महंगी दामो पर बेची जा रही है। कोचियो के माध्यम से गली मोहल्लो गांवो मे शराब बेचने वालो ने समाज का माहौल बिगाड़ कर रख दिया है। छत्तीसगढ़ में आबकारी अधिनियम  की धारा 34-2 लागू होने के बाद भी लोग सार्वजनिक स्थानों पर खुले आम शराब परोस कर लोगो का जीना दूभर किया जा रहा है।