केंद्र सरकार द्वारा जारी किसान उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश.. छत्तीसगढ़ में लागू नही करने छ.ग. राज्य कृषि उपज मंडी समिति कर्मचारी संघ ने की मांग

जांजगीर-चांपा. केन्द्र सरकार के द्वारा जारी किसान उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश 2020 को छत्तीसगढ़ राज्य में लागू नही करने बाबत् छ.ग. राज्य कृषि उपज मंडी समिति कर्मचारी संघ के द्वारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम ज्ञापन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव इंजी. रवि पाण्डेय से मिलकर सौंपा.

उक्त अध्यादेश को किसान विरोधी करार करते हुए संघ के सदस्यों ने ज्ञापन में लिखा है छत्तीसगढ़ प्रदेश एक कृषि प्रधान प्रदेश है. प्रदेश की जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग कृषि कार्यो से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ है, जिसके लिये कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 (सन् 1973) के अंतर्गत प्रदेश में वर्तमान में 69 कृषि उपज मंडियों एवं 118 उप मंडियाॅ स्थापित है तथा प्रदेश में 1288 सहकारी समितियाॅ तथा 2048 उपार्जन केन्द्र है, जिनके माध्यम से कृषकों की उपज का क्रय-विक्रय सुनिश्चित किया जाता है. इन स्थानों पर क्रय-विक्रय मंडी अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत किया जाता है, जिसमें किसानों को शोषण से मुक्त रखते हुए सुरक्षा एवं सुविधायें प्रदान की जाती है.

भारत सरकार द्वारा किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020, 05 जून 2020 जारी किया गया है, जिसमें कृषकों के हितों की रक्षा की चिंता किये बिना व्यापारियों को खुली छूट प्रदान की गई है, जिससे किसानों के शोषण की संभावना प्रबल होती है. इस अध्यादेश के अनुसार कृषक एवं व्यापारी को कृषि उपज को मंडी प्रांगण/उपमंडी प्रांगण के बाहर कृषि उपज को बगैर लायसेंस के आयकर नंबरधारी व्यक्ति/व्यापारी को क्रय करने की स्वतंत्रता देते हुए मंडी प्रांगण से बाहर किये गये क्रय-विक्रय पर कोई मंडी शुल्क नही देना होगा, का प्रावधान किया गया है. वर्तमान मंडी अधिनियम के प्रावधान अनुसार की किसान अपनी उपज को प्रदेश अथवा प्रदेश के बाहर कही भी बेचने के लिए स्वतंत्र है. इसके लिए मंडी अधिनियम में कोई रोक-टोक नहीं है.

छ.ग. शासन को कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 (सन् 1973) में संशोधन या परिवर्धन करने का अधिकार निहित है और इसी के फलस्वरूप कृषि उपजों की मांग एवं आपूर्ति के अनिश्चित प्रवाह के कारण बाजार भाव में प्रतिदिन संभावित बदलावों को दृष्टिगत रखते हुए असंगठित करोड़ो कृषकों के हित संरक्षण हेतु क्रेता व्यापारियों को अनुज्ञप्तिधारी होने का प्रावधान वर्तमान मंडी अधिनियम मे है.

भारत सरकार द्वारा जारी किसान उत्पाद, व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 में मंडी प्रांगण/उपमंडी प्रांगण के बाहर विक्रय अधिसूचित कृषि उपज पर मंडी शुल्क से छूट दी गई है। परिणामतः शुरूवात में व्यापारी किसानों को लुभाने के लिए मंडी प्रांगण में प्रचलित कीमत से अधिक का भुगतान कर सकते है ताकि मंडी मे कृषक अपनी उपज को विक्रय हेतु न ले जाये, फलस्वरूप मंडियों का बंद हो जाना निश्चित प्राय है। मंडियों के बंद होने से हजारों लोगों के बेरोजगार होने की संभावना है और मंडिया बंद होने की स्थिति में बाजार दर की जानकारी के अभाव में कृषकों से कम कीमत पर उपज क्रय करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.

इंजी. पाण्डेय ने संघ के सदस्यों के द्वारा मांग को उचित ठहराते हुए कहा कि भारत देश में प्रत्येक राज्य की अपनी भौगोलिक, राजनीतिक, सांस्कृति और आर्थिक परिस्थितियां भिन्न-भिन्न है। केन्द्र सरकार के द्वारा जारी अध्यादेश दिनांक 05 जून 2020 छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों के हित में नही है. उन्होने संघ के सदस्यों को आश्वस्त किया है कि वो मुख्यमंत्री के समक्ष उनकी बातों को रखेंगे. छ.ग. राज्य कृषि विपणन (मंडी) बोर्ड, कर्मचारी संघ के तरफ से प्रबल सिंह क्षत्रिय नैला मंडी, रवि प्रकाश दुबे चांपा मंडी, विनोद कुमार दुबे नैला मंडी, रविन्द्र कटकवार नैला मंडी ने मिलकर ज्ञापन सौपा.