ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं लोगों के लिए आकर्षक.. तो कलाकार के लिए आमदनी का बन रही हैं जरिया!

बलरामपुर. कोरोना काल मे सभी त्यौहार घर के भीतर ही बीत जा रहे हैं.. जिससे तीज त्यौहार के मौसम मे सिजनी काम करने वाले कारीगर और बेरोजगार लोगो का व्यवसाय एक दम बंद पडा है.. ऐसे मे गणेश चतुर्थी से शुरु होने वाले गणेश उत्सव का त्यौहार भी फीका फीका सा नजर आ रहा है. जिसकी वजह से गणेश प्रतिमा बनाने वाले कारीगर बेरोजगार हो रहे हैं.. लेकिन इन सब के बीच आदिवासी बाहुल बलरामपुर का एक कलाकार ईको फ्रेंडली मूर्तिया बनाकर लोगो को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है.. जिससे गुजर बसर करने के लिए उसकी कुछ आमदनी भी हो जा रही है..

विकासखण्ड बलरामपुर के ग्राम राधाकृष्णनगर में लवली समूह के निमाई मंडल मूर्ति निर्माण का कार्य करते है तथा वर्तमान में गणेश जी की प्रतिमा का निर्माण कर रहे है। इनको प्रशासन द्वारा बिहान योजना के तहत अपना रोजगार शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई गई थी.. निमाई अब वर्ष भर मूर्ति निर्माण का कार्य कर अपना जीवनयापन कर रहे है.. मूर्ति निर्माण के कार्य से इन्हें अच्छी आमदनी हो रही है.. जिससे इनके और इनके परिवार की जरूरतें पूरी हो पा रही है.. निमाई ने बताया कि वह मूर्ति निर्माण का कार्य प्रारंभ करना था.. लेकिन काम शुरु करने के लिए पूंजी न होने की वजह से वह कार्य शुरू नहीं कर पा रहे थे.. इसी दौरान एस.वी.ई.पी. परियोजना की जानकारी मिली जिससे उन्हें प्रारंभिक पूंजी मिलने से मूर्ति निर्माण का कार्य प्रारंभ हो सका.. निमाई आगे बताते है कि वर्तमान में वो गणेश जी की इको फ्रेंडली मूर्तिया बना रहे है.. जिसकी मांग भी ज्यादा है.. मिट्टी, गोबर तथा पैरे का प्रयोग कर मूर्तियां तैयार की जा रही है जो पर्यावरण के अनुकूल है..