मां और बेटे लगातार 15 सालो तक घर से दूर बाजार में मिलते थे…….जाने वजह

बड़े बेटे की हत्या के बाद मां ने नक्सलियों के डर से 6 साल के कलेजे के टुकड़े को पढ़ने आश्रम भेज दिया..घर भी नहीं आने दिया…

दंतेवाड़ा: घर क्या होता है ये मुझे पता ही नहीं है! मैंने 21 साल की उम्र तक सिर्फ डर देखा है । डर की वजह से 6 साल की उम्र से मेरी मां ने घर आने से मना कर दिया । साल 2005 । मैं 6 साल का था जब नक्सलियों ने पूरा घर तबाह कर दिया । लूट का ऐसा तांडव मचाया कि घर से गाय, बकरी, कपड़े, बर्तन यहां तक कि नमक तक लूटकर ले गये । घर में सिर्फ दरवाजा और चार दीवारें ही बची रहीं । अगले दिन हमारे पास पहनने को कपड़े तक नहीं थे । कुछ महीने बाद ही 26 फरवरी 2006 में महाशिवरात्रि थी । बड़े भाई मोहन मंडावी जो एसपीओ थे, तुलार गुफा से शिव जी के दर्शन कर लौट रहे थे उन्हें नक्सलियों ने भरे बाजार में गोली मारकर हत्या कर दी । डर की वजह से मुझे पढ़ाई के लिये 2007 में बालक आश्रम बारसूर, फिर भैरमगढ़ पोटाकेबिन इसके बाद मारडूम भेज दिया । अपनी दास्तां बताते हुये रामनाथ मंडावी की आंखों में आंसू आ जाते हैं । वे बताते हैं कि मैं जिंदा रहूं इसके लिये मां मुझे घर नहीं आने देती थी । जब भी दिल करता हम लोग बाजार में जाकर मिल लेते थे और लिपटकर खूब रोते थे ।

लेकिन अब रामनाथ मंडावी घर में रहेंगे । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दंतेवाड़ा में भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान आवासीय परिसर के घर की चाबी रामनाथ मंडावी को सौंपी । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर नक्सल पीड़ित एवं नक्सल घटनाओं में शहीद परिवारों के लिये दंतेवाड़ा के कारली में सर्व सुविधायुक्त 36 आवास निर्मित किये गये हैं । जिनमें से 30 आवास नक्सल पीड़ित परिवारों को आवंटित कर दिये गये हैं ।



मां की मजदूरी बंद करायेगी सीमा –

मुख्यमंत्री से शासकीय आवास की चाबी पाने के बाद सीमा कर्मा बेहद खुश हैं । सीमा बताती हैं कि मैं और मां नक्सलियों द्वारा पिता की हत्या के बाद बेहद सदमें में रहे है । मेरे पिता गोपनीय सैनिक थे । घटना वाली रात नक्सली दरवाजा तोड़कर घर में घुस आये और पिता को घसीटते हुये ले गये । हम लोग बहुत गिड़गिड़ाये लेकिन पिता को नहीं छोड़ा । अगले दिन पता चला कि नक्सलियों ने पिता की गला रेतकर हत्या कर दी है । इसके बाद नक्सली हमारे गांव वाले घर में पथराव करते रहे ताकि हम लोग दहशत से घर छोड़कर चले जायें । मां ने मजदूरी कर हम तीनों भाई-बहन को पाला है । अभी 3 हजार रूपये घर का किराया देती हूं । अब शासकीय आवास मिल गया है, इससे बहुत राहत मिलेगी । सीमा ने बताया कि अभी अनुकंपा नियुक्ति के तौर पर आरक्षक के पद पर ज्वाईन कर लिया है । अब नक्सलियों को खत्म करने का ही सपना है ।