सरगुज़ा : एक व्यक्ति पर भालू ने हमला किया, तो दो लोगों ने मिलकर मार गिराया; जंगल मे फेंक आए शव

अम्बिकापुर..(उदयपुर/क्रांति रावत).. उदयपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम ललाती के मोहर घुटरा जंगल मे 20 अगस्त को मवेशी चरा रहे ललाती निवासी घुरन पर मादा भालू ने हमला कर दिया था। पास में मवेशी चरा रहे करौंदी खुटरापारा निवासी कुन्नू राम उसे बीच बचाव करने पहुंचा और भालू को पीछे की ओर से दोनों हाथों से कसकर पकड़ लिया जिससे घूरन राम भालू के पकड़ से छूट गया परन्तु भालू ने कुन्नू राम के हाथ को बुरी तरह से जख्मी कर दिया है। तब घुरन राम ने टांगी से कई बार प्रहार किया। जिससे भालू की मौके पर ही मौत हो गयी।

घूरन एवं कुन्नू दोनों भालू के हमले से जख्मी होते हुए भी दोनों ने अपना इलाज कराने या वन अमला को सूचना दिए बगैर मृत भालू को ढोकर 20 अगस्त की रात को ही प्रेमनगर वन परिक्षेत्र के ग्राम सरस्वतीपुर के कोसम झरिया जंगल मे गड्ढ़े में डाल आये।

घटना के पांचवे दिन 24 अगस्त को सूत्रों के माध्यम से वन अमला को ग्रामीणों द्वारा भालू को मारे जाने की सूचना मिलने पर संदेह के आधार पर कुन्नू और घुरन को पूछताछ के लिए वन परिक्षेत्र कार्यालय लाया गया। काफी देर ना नुकुर के बाद रात 9 बजे करीब आत्मरक्षा में घटना को अंजाम देना इन दोनों ने स्वीकार किया।

25 अगस्त 2021 को वन अमला और अन्य लगभग 25 लोग कोसम झरिया जंगल में सुबह 10 बजे 1.30 बजे तक भालू का शव खोजने काफी मशक्कत करते रहे तब कहीं जाकर भालू के बाल, गीली मिट्टी के निशान पत्तो पर दिखने तथा घसीटने के निशान जगह जगह मिलने के बाद उसी के सहारे घने जंगलों के बीच पत्थर के लिए खोदे गए गड्ढे में मादा भालू का शव मिला। जिस पर कीड़े लगने लगे थे तथा शव के सड़ने से बदबू भी आने लगा था। शव को गड्ढे से निकलवाकर मौके पर ही पशु चिकित्सक डॉ. एस के कंवर द्वारा पोस्टमार्टम किया गया।

भालू के कमर में 6 बार तथा गर्दन में 1 बार टांगी से दोनों आरोपियों ने वार किया था। 26 अगस्त को कागजी कार्यवाही अपूर्ण होने से आरोपितों को उस दिन जेल दाखिल नही किया जा सका। 27 अगस्त को प्रकरण क्रमांक 11019/10, वन अधिनियम की धारा 9 एवं 39 (वन्य प्राणियों के अवैध शिकार) के तहत दोनों आरोपित कुन्नू राम एवं घुरन राम को माननीय न्यायालय पेश किया गया जहाँ से उन दोनों आरोपित को जेल भेज दिया गया।

वन अपराधियों के लिये लॉकप का होना चाहिए व्यवस्था

संदेह के आधार पर वन अपराधियों को हिरासत में रखने के लिए किसी भी प्रकार की व्यवस्था वन परिक्षेत्र में नही होने से दोनों ही आरोपित को पुलिस स्टेशन भी ले जाया गया परन्तु थाना प्रभारी द्वारा नियमों का हवाला देकर थाना में रखने से इनकार कर दिया। तब वन कर्मियों ने व्यवस्था बनाकर रामगढ़ में स्थित भवन में दोनों ही आरोपित को रुकवाया।

भालू प्रकरण के निपटारे में रेंजर सपना मुखर्जी के मार्गदर्शन में मुख्य रूप से प्रशिक्षु रेंजर ललित साय, डिप्टी रेंजर अरुण प्रसाद सिंह, परिक्षेत्र सहायक श्याम बिहारी सोनी, वन रक्षक गिरीश बहादुर सिंह, शशिकांत सिंह, धनेश्वर सिंह, विष्णु सिंह, रिषि रवि, अवधेश पूरी, अमरनाथ राजवाड़े, राजेश राजवाड़े, बुधसाय, दिनेश तिवारी, बिंदेश्वर, नंद कुमार, भरत सिंह, आरमो सिंह सक्रिय रहे।