अम्बिकापुर: हाथियों ने घोड़े को दिया दगा..और फिर घोड़े का हुआ दुःखद अंत..गांव वाले घोड़े को मानते थे फरिश्ता!..

अम्बिकापुर..घोडे ने जंगली हाथी से दोस्ती कर ली थी.. इसलिए हाथी घोडे का गांव मे नहीं घुसते थे… लेकिन बीती रात हाथियो ने गद्दारी कर दी और दल के आगे आगे चल रहे घोडे को दंतेल हाथी ने मौत के घाट उतार दिया… मामला सरगुजा जिले के मैनपाट स्थित कंडरजा गांव का है… इधर घोडे की मौत के बाद घोडे के मालिक और पूरे परिवार मे शोक की लहर है…

सरगुजा जिले के कंडराजा निवासी रमेश यादव ने एक घोडा पाला था.. जिसका नाम चांदा रखा था… चांदा घोडा पिछले 6 महीनो से 9 हाथियो के दल के साथ जंगल मे घूमता रहता था…. हाथियो का ये दल कभी मैनपाट . तो कभी रायगढ जिले के जंगलो मे विचरण कर रहा था… गांव वाले मानते हैं कि जब से उनके घोडे चांदा की हाथियो से दोस्ती हुई थी… तब से वो हाथियो के झुंड का इंसानो की बस्ती मे नहीं घुसने देता था… अगर हाथी गांव मे घुसने की कोशिश भी करते थे.. तो चांदा की आवाज सुनकर वो दबे पांव वापस जंगल को लौट जाते थे… मतलब 9 हाथियो के दल का दशवा साथी घोडा बन गया था…

चांदा घोडे औऱ हाथियो की दोस्ती के किस्से दूर दूर तक फैलने लगे थे.. और हाथियो की दहशत के साए मे जी रहे मैनपाट के कई गांव के लोग ये मनाने लगे थे कि काश ऐसा घोडा उनके गांव मे भी होता.. जो हाथियो से दोस्ती करके इंसानो की जान हाथियो से बचा सकता था… इधर इस मामले मे सबसे दुखद घटना शुक्रवार की रात को देखने को मिले.. जब हाथियो के दल के आगे आगे जंगल मे विचरण कर रहे.. चांदा घोडे को हाथियो ने बेरहमी से मार दिया… इस घटना की जानकारी के बाद आज सुबह वन विभाग की टीम घटना स्थल पर पहुंची.. और घोडे का पोस्टमार्टम करा कर घोडे का शव घोडा मालिक को सौंप दिया है..

इस घटना के बाद से हाथियो और घोडे की दोस्ती का दुखत अंत हो गया है.. लेकिन घोडे की मौत के बाद भी उसके कारनाम के कारण चांदा घोडा काफी समय तक याद किया जाएगा…  बहरहाल गांव के लिए किसी फरिस्ते की तरह व्यवहार करने वाले इस घोडे हमारा भी नमन….