सत्र की अवधि कम से कम 60 और अधिक से अधिक 90 दिन का होना चाहिये

रायपुर 16 नवंबर 2014
किसानों से वादाखिलाफी, नसबंदी प्रकरण, चुनावी असफलता सहित कई मुद्दे रहेंगे

 मुद्दे कम नहीं, अवधि जरूर कम है। विधानसभा अध्यक्ष का मुद्दा समाप्त नहीं हुआ है। सहमति से सत्र का आयोजन अच्छी पहल है। सरकारी वादाखिलाफी, धान खरीदी, बोनस, राषन कार्ड, निकाय चुनाव में शासन की विफलता, किवार कंपनी, महिलाओं व बच्चो के लापता हो जाने, नक्सली आत्मसमर्पण, चिटफंड एवं किवार कंपनी के प्रकरण, उद्योगों को भूमि आबंटन प्रमुख मुद्दे होंगे। एक दिसंबर को विधायक दल की बैठक में रणनीति पर होगा विचार। कम से कम 60 अधिक से अधिक 90 बैठकें होनी चाहिये विधानसभा की। छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने उक्त बातें कही। आज अपने आवास में कुछ पत्रकारों से विधानसभा सत्र को लेकर चर्चा करते हुये उक्त बाते कही। उन्होने बताया कि इस बार सरकार ने विपक्ष के पूर्व की पहल को ध्यान में रखते हुये दोनों पक्ष की सहमति से सत्र का आहूत किया है। दिन कुछ कम जरूर है पर सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से की गयी पहल के आधार पर 2 सप्ताह के सत्र आहूत किए गये है। मेरी निजी राय है कि सत्र कम से कम 60 और अधिक से अधिक 90 दिन के हों। दो-दो, तीन-तीन सप्ताह के कम से कम 15 बैठकों के शीत एवं वर्षाकालीन सत्र तथा बजट सत्र 6 सप्ताह के 30 बैठकों का जरूर हो। कांग्रेस विधायक दल के नेता टीएस सिंहदेव ने आज यह भी कहा कि लंबा सत्र होने से बहुत से बिंदुओं पर व्यापक चर्चा हो सकती है और हमारी यह भी मांग है कि विभागीय मंत्रियों, मुख्यमंत्री के द्वारा शासन के कई विभागों के रिपोर्ट पेष किए जाते हैं साथ ही कैग की रिपोर्ट भी आती है इन रिपोर्टो पर सदन में चर्चा होनी चाहिए। कैग की रिपोर्ट सदन मे आती है और वो लोक लेखा समिति में जाती है, हम चाहते हैं कि सदन में पेष होने वाले हर रिपोर्ट पर चर्चा जरूर हो। पिछले सत्र में विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविष्वास प्रस्ताव लाया था, मुद्दा विलोपित हो गया या जीवित है, शासन प्रषासन की ओर से कोई निर्णय हुआ है, कोई उक्त अप्रत्याषित घटना के बाद आपको कोई जवाब मिला है? नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने दो टूक शब्दों में कहा कि मुद्दा खत्म नहीं है। अध्यक्ष के खिलाफ अविष्वास प्रस्ताव का मुद्दा जीवित है। हमने उस समय भी मांग किया था कि अध्यक्ष अपनी स्थिति स्पष्ट करें और शासन प्रषासन ने क्या कार्रवाई की है उसे सार्वजनिक करें। दोनों ही काम आज तक नहीं हुआ है। उक्त मुद्दा खत्म नहीं हुआ है। उक्त मुद्दे पर हम कानूनी विषेषज्ञों से राय भी ले रहे है। अन्य प्रमुख मुद्दों को लेकर कांग्रेस विधायक दल के नेता टी.एस. सिंहदेव ने बताया कि सबसे बड़ा मुद्दा तो घोषणा पत्र जिसे भारतीय जनता पार्टी ने संकल्प पत्र कहा था, धान खरीदी, बिजली के दर, बोनस, समर्थन मूल्य में सरकार मुकर गई है। अपने वादों से पूरी कैबिनेट ने हाथ खड़ा कर लिया है। वादाखिलाफी का मुद्दा, राषन कार्ड, बिलासपुर एवं प्रदेष के अन्य जिलों के नसबंदी प्रकरण, संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार चुनाव नहीं होना शासन प्रषासन की विफलता वाला यह मुद्दा, फसल बीमा योजना, किवार कंपनी योजना, महिलाओं एवं बच्चों के लापता हो जाने का मुद्दा, नक्सली आत्मसमर्पण की कहानी, चिटफंड कंपनियो द्वारा प्रदेष की जनता की लूट व उद्योगों को भूमि आबंटन जैसे मुद्दे उठाए जायेंगे। इन सब मुद्दों पर एक दिसंबर को विधायक दल की बैठक में विचार-मंथन के बाद पूरी रणनीति के साथ सरकार को घेरने के लिये मुद्दे उठाए जायेंगे साथ ही वे भी मुद्दे शामिल किए जायेंगे जो माननीय विधायक साथी अपने-अपने क्षेत्र को लेकर सुझाव रखेंगे। उन्होने बताया कि पूर्व में विधायक दल की बैठकों में तय कार्यक्रम के अनुसार सरकार को घेरने की रणनीति बनाने के लिये एक दिसंबर को विधायक दल की बैठक होगी।