विविध रंगों से सजी है मूक-बधिर बच्चों की चित्रकला

प्रकृति,जीवन और संस्कृति से बातें करती है इन बच्चों की तुलिका

रायपुर, 01 जनवरी 2014

3206 1 ccजीवन के विविध रंगों से सजी है मूक-बधिर बच्चों द्वारा बनाई गई खूबसूरत चित्रकला। चित्रों को देखकर ऐसा लगता है जैसे इन बच्चों की तुलिका ( कूची ) प्रकृति और संस्कृति से बातें करती हों। कहने को तो सुनने-बोलने में अशक्त है ये बच्चे लेकिन हर रंग से सराबोर है इनका मन, जो इनकी चित्रकला में साफ दिखाई देता है। 3206 3 ccराजधानी रायपुर के मठपुरैना स्थित शासकीय दृष्टि और श्रवण बाधित विद्यालय में महज कक्षा दूसरी में अध्ययनरत संजय कुमार, मुकेश कुमार और कक्षा चौथी के अनमोल पटले ने बड़ी सफाई से खुशबू बिखरते खिले-खिले फूलों की पेंटिग बनाई है जिन्हें देखने वालों का मन भी खुद-ब-खुद खिल सा जाता है।
मूक-बधिर बच्चों की चित्रकला से इनकी कल्पना और रचनात्मक क्षमता कोई भी महसूस कर सकता है। शासकीय दृष्टि और श्रवण बाधित विद्यालय में ही कक्षा आठवीं के छात्र रोहित ने तिरंगे में भारत का नक्शा और महात्मा गांधी का चित्र उकेर कर देश भक्ति के जज्बे को दर्शाया है, वहीं इसी कक्षा के सोमेश ने सुंदर आदिवासी बाला और डूमन लाल ने ग्रामीण महिला की आकर्षक पेंटिग बनाई है जो छत्तीसगढ़ की प्रमुख विशेषता- आदिवासी तथा ग्रामीण संस्कृति को प्रतिबिंबित करती है। कक्षा पाचवीं के रूपेश कुमार ने भी गेड़ी खेलते बालक का सजीव चित्र खींचा है जो अनायास ही देखने वाले को उसके बचपन की यादों में ले जाता है, क्यों कि हमारे राज्य में खासकर बचपन के दिनों में गेड़ी खेलना और चढ़ना बड़ा रोमांचक खेल होता है। कक्षा सातवीं की दुर्गा साहू ने छत्तीसगढ़ के राजीम स्थित प्रमुख धार्मिक और पुरातात्विक महत्व के आठवीं शताब्दी में निर्मित राजीव लोचन मंदिर को उकेर कर चित्रकला के हुनर को दिखाया है। कक्षा छठवीं के मिलाप साहू ने नदी,नांव,मंदिर,पहाड़ और पेड़-पौधों को पेंटिग का विषय बनाया है।