विकास के नाम पर हुआ बड़ा भ्रष्टाचार..करोडपति रोजगार सहायक पर नहीं होती कार्यवाही

एक ही सड़क को बार-बार कागजो में बना कर निकाली जाती है राशी

अम्बिकापुर देश दीपक “सचिन”

पिछले 13 साल मे छत्तीसगढ सरकार ने आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले के विकास के लिए हर संभव प्रयास किया है, विभिन्न योजनाएं धरातल मे लाई गई, जिससे आदिवासियो और सरगुजा जिले के वासियो का भला हो सके, लेकिन जनप्रतिनिधियो और अधिकारियो ने जनकल्याणकारी योजनाओ को अपनी काली कमाई का जरिया बनाकर योजना को अपना भोजन बना लिया है, जिसका जीवंत उदाहरण सरगुजा जिले के सीतापुर ब्लाक के आखिरी गांव ढोडागांव मे देखने को मिलता है। घने वनो की आगोश मे बसे इस पहाडी के गांव का नाम ढोडागांव है,, तकरीबन 25 सौ की आबादी वाले इस ढोडागांव मे 8 बस्तियां है, क्षेत्रफल के लिहाज से काफी बडे इस गांव मे सरकार ने बिजली,पानी,सडक जैसी बुनियादी जरुरतो को गांव तक पंहुचाने मे कोई कसर नही छोडी, लेकिन बीते 2008 से गांव के ही रसूकदार रोजगार सहायक के साथ सरपंच, सचिव ने इस गांव के विकास मे इस कदर सेंधमारी की है कि विकास खोखला और पंचायती नुमाईंदे करोडपति बन गए,, वैसे तो गांव मे बहुत भ्रष्टाचार हुए है लेकिन पहले बताते है गांव मे हुए नाली निर्माण की, दरअसल पंचायत के ढोडागांव बस्ती के अटल चौक और चिंडरापारा बस्ती मे बगैर नाली निर्माण कराए 60 हजार रुपए निकाल लिए गए।

भ्रष्टाचार का गढ बने चुके इस गांव के लोगो का तो यहां तक आरोप है कि गांव मे वर्षो से पदस्थ रोजगार सहायक क्षत्रमोहन यादव ने अपने घर से नाला तक और फिर नाला से अपने घर तक एक बार सीसी निर्माण कारकर तीन बार रुपए निकाल लिए है और लाखो का भ्रष्टाचार किया है। सरगुजा जिले मे सरकार द्वारा पिछले एक दशक मे विकास के नित नए आयाम स्थापित किए है,, लेकिन ढोडागांव की भौगोलिक स्थिती का फायदा उठाकर यहां के शासकीय और राजनैतिक नुमाईंदो ने जबरस्त तरीके से भ्रष्टाचार किया है,, गांव मे एक सडक के लिए जलसंसाधन विभाग ने 60 लाख रुपए का तटबंध निर्माण किया गया, जो पहली बरसात मे धराशायी हो गया तो उसी तटबंध के अंतिम छोर मे रोजगार सचिव ने ठेकेदारी कर एक स्टापडेम बनवाया, जिसमे गिट्टी के जहग बडे बडे पत्थरो का इस्तेमाल करने से अब ये डेम पानी के बहाव मे बह चुका है।

जंगल के बीचो बीच मैनी नदी के तट पर बसे इस पहाडी गांव मे भ्रष्टाचार की फेहरिस्त काफी लंबी है। लेकिन इस लंबी लिस्ट मे भ्रष्टाचार की भेंट चढे निर्माण कार्यो की मरम्मत के नाम के नाम पर भी भ्रष्टाचार कर लिया गया है। गांव के कुएं और ढोढियो की मरम्मत के नाम पर भी गांव वालो को ठगा गया है। ढोढा गांव के बडोपारा में गांव की निस्तारी के लिए पुराने कुंए के नव निर्माण में 40-40 हजार की राशि से पांच कुओ के नाम से राशी निकला कर बंदरबांट किया गया लेकिन कुंए में थूक पालिस कर के ऊपरी काम कराया गया है। जानकारी के अनुसार कुंए के जीर्णोद्धार का काम गांव के ही एक व्यक्ति को दस हजार में ठेका देकर कराया गया है। जबकि चौदहवे वित्त से 40-40 हजार की चपत सरकारी खजाने को लगाईं गई है। गांव के इस तरह के 5 कुओ के नवनिर्माण के नाम पर भ्रस्टाचार किया गया है।

इतना ही नही बगैर इंदिर आवास बनाए ग्रामीणो के हक मे भी डाका डाला गया है। इंदिरा आवास योजना के तहत 2 पुराने घर का ही सर्वे में नाम जोड़कर घर की दीवार में योजना का नाम लिखकर राशी निकाल ली गई लेकिन हितग्राही को कुछ नहीं मिला है।

सरगुजा के ढोडागांव के रोजगार सहायक, सचिव औऱ सरपंच के द्वारा बेखौफ अंदाज मे किए जा रहे भ्रष्टाचार की शिकायत जनपद से लेकर जिला तक के अधिकारियो को की गई, लेकिन कई बार शिकायत पर जांचदल ने कोरी जांच कर फाईल बंद कर दी, तो कई बार शिकायतकर्ताओ को दबंग लोगो की मारपीट का शिकार होना पडा है। पर जब हमने गांव के हालात का जायजा लेकर अधिकारियो से इस संबध मे जानकारी मांगी तो फिर से उसी तरह की जांच कार्यवाही का आश्वासन दिया गया, जिस तरह की जांच पिछले कई साल से कई बार हो चुकी है। हालात ऐसे है की गाँव में स्वास्थ केंद्र तो बना है लेकिन डॉ नहीं आते है गांव की स्थिति बदतर है लेकिन राजनैतिक दखल के कारण भ्रष्टाचारियो पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो सकी है।

संरक्षित जनजाति पहाडी कोरवाओ को भी ठगा

पैसे के ललची इन सरकारी ठेकेदारों ने हद तो तब पार कर दी जब एक ऐसे पहाड़ी कोरवा की हालत सामने आई जो आज भी टूटी हुई झोपडी में अपने परिवार के साथ रहता है। इस पहाडी कोरवा के घर के लिए तीन तीन बार इंदिरा आवास की राशि निकाल ली गई लेकिन आज तक इनका घर नहीं बन सका है। गौरतलब है की इस गाँव में दस पहाडी कोरवाओ का परिवार रहता है लेकिन किसी को भी इंदिरा आवास नहीं मिल सका है।

रानू साहू अपर कलेक्टर सरगुजा

इस समबन्ध में अपर कलेक्टर रानू साहू ने कहा है की जिला पंचायत व जनपद पंचायत सीईओ को जांच के निर्देश दिए जायेंगे। इसके अलावा सरपंच के खातो की भी जांच की जाएगी अगर गलत तरीके से राशी का आहरण करना पाया जाता है तो पंचायती राज अधिनियम की धारा 40 के तहत कार्यवाही की जाएगी।