“पानी मे दफन हो गई कई एकड जमीन…अब पाई पाई को मोहताज भूमिपूत्र”

बलरामपुर- कृष्ण मोहन

खात कमात रहेन साहब जमीन में,खेती किसानी से गुजर बसर होत रहीस,अंग्रेज जमाना ले पुरखौती के जमीन रहीस,लगान पटाइन है पुरखा मन दब दु बिगहा जमीन मिले रहीस,अब सिंचाई के साधन बर सरकार ये बांध बनात है,तभो जमीन के  मुआवजा नई देहीस है,नापे वाला साहब मन तो आज कल में पैसा दे हे के बात करे रहीन ,फेर डेढ़ साल हो गईस, एक ढेला तको नसीब नई हे, अब कहाँ जाईब दाऊ!..
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दरसल ये उन किसानों की पीड़ा है,जो साफ उनके शब्दों के माध्यम से दर्द को बयां कर रही है,ये वो किसान है,जिनकी जमीन तुर्रा नाले पर बन रही उपका बांध से प्रभावित डुबान क्षेत्र में आ रही है,जो कभी मेहनत मजूरी कर इसी डुबान क्षेत्र के जमीन पर खेती किसानी कर अपने परिवार का लालन -पालन किया करते थे,जिन्हें प्रशासन के कुछ नुमाइंदों ने इस कदर गुमराह किया की वे खुद आज अपनी जमीन के मुआवजे के लिए दर -दर की ठोकरे खाने पर मजबूर है।

उपका डुबान क्षेत्र के किसान परेशान….

विदित हो की राज्य सरकार ने बलरामपुर विकासखण्ड के चंद्रपुर गाँव के समीप स्थित तुर्रा नाले पर एक सिंचाई परियोजना की शुरुआत करते हुए,उपका बांध निर्माण के कार्य को स्वीकृति दी,जिससे ग्राम चंद्रपुर के लगभग 35 किसानों की 45 से 50 एकड़ की खेतिहार जमीन डुबान क्षेत्र में है,और इन डुबान क्षेत्र के पीड़ित किसानों को मुआवजे के नाम फूटी कौड़ी तक नही मिली है।

हाथ धरे बैठे रहने से नही मिलेगा न्याय-धीरज….

वही आज ये पीड़ित किसान जिला पंचायत सदस्य धीरज सिंहदेव के नेतृत्व में कलेक्टर से मिलने पहुँचे थे,  वैसे तो डुबान प्रभावित क्षेत्र के किसानों ने कई बार उपका बांध निर्माण के कार्य को रोकने की नाकाम कोशिशें भी की,लेकिन जिम्मेदार हुक्मरानों के कान जू तक नही रेंगी।

सबके साथ होगा न्याय!-कलेक्टर….

आज थक हार कर डूबान प्रभावित क्षेत्र के किसान कलेक्टर से मिलने कलेक्टोरेट आ धमके जिन्हें कलेक्टर अवनीश शरण ने आश्वस्त किया है ,कि वे 15 दिनों के अंदर मुआवजा प्रकरण तैयार कर नियमानुसार उन्हें मुआवजा दिलवाएंगे।