प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ में करेंगे ‘रूर्बन मिशन’ का शुभारंभ

रायपुर

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री  अजय चन्द्राकर ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के छत्तीसगढ़ प्रवास और इस अवसर पर जिला राजनांदगांव के कुर्राभाठ में आयोजित कार्यक्रम में ‘रूर्बन मिशन’ के शुभारंभ के संबंध में बैठक ली। इस अवसर पर लोक निर्माण मंत्री  राजेश मूणत, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशिला साहू, पंचायत एवं ग्रामीण विकास के अपर मुख्य सचिव एम.के. राउत, रायपुर एवं दुर्ग संभाग के कमिशनर  अशोक अग्रवाल, संचालक महिला एवं बाल विकास सुश्री किरण कौशल, संचालक राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन  सी.आर. प्रसन्ना सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में रूर्बन के संबंध में विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में बताया गया कि भारत सरकार, ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय रूर्बन मिशन (एन.आर.यू.एम) की शुरूआत की गई है। इस मिशन में इस विजन का अनुपालन किया जाना है- ‘अनिवार्य रूप से शहरी मानी जाने वाली सुविधाओं से समझौता किए बिना समता और समावेशन पर जोर देते हुए ग्रामीण जनजीवन के मूल स्वरूप को बनाए रखते हुए गांवों के क्लस्टर को ‘रूर्बन गांवो’ के रूप में विकसित करना है।’ मिशन का मुख्य उद्देश्य स्थानीय आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देना, आधारभूत सेवाओं में वृद्धि करना और सुव्यवस्थित रूर्बन कलस्टरों का सृजन कराना है।
इस मिशन के अंतर्गत परिकल्पित परिणाम , ग्रामीण शहरी अंतर अर्थात् आर्थिक, प्रौद्योगिकीय एवं सुविधाओं तथा सेवाओं से जुडे़ अंतर

को समाप्त करना, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी और बेरोजगारी उपशमन पर बल देते हुए स्थानीय आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना, क्षेत्र का विकास करना,  ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करना। रूर्बन क्लस्टर से आशय मैदानी और तटीय क्षेत्रों में लगभग 25,000 से 50,000 जनसंख्या वाले तथा मरूभूमि, पर्वतीय या जनजातीय क्षेत्रों में 5,000 से 15,000 तक की आबादी वाले भौगोलिक रूप से एक-दूसरे के समीप बसे गांवों का एक क्लस्टर ग्राम पंचायतों की प्रशासनिक तालमेल की इकाई होगी ओर यह प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि से किसी एक ब्लॉक/ तहसील के अधीन होगा।

राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (एस.एल.ई.सी.) चयनित क्लस्टर एवं समेकित कलस्टर कार्य योजना को मिशन निर्देशालय में भेजे जाने से पूर्व इनकी सिफारिश/अनुमोदन करेगी ओर साथ ही मिशन के क्रियान्वयन और प्रभावी समन्वयन के लिये अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेने की जिम्मेदारी इस समिति की होगी। समेकित क्लस्टर कार्य योजना (आई.सी.ए.पी.) एक ऐसा मुख्य दस्तावेज होगा, जिसमें कलस्टर की जरूरतों का उल्लेख करने वाले बेसलाइन अध्ययनों और इन जरूश्रतों को पूरा करने तथा कलस्टर की क्षमता को बढ़ाने वाली प्रमुख पहलों को शामिल किया जाएगा।

वित्तीय स्त्रोतः- योजना का वित्तीय स्त्रोत के अंतर्गत कुल योजना लगात की 70 प्रतिशत राशि कन्वर्जेन्स से प्राप्त होगी एवं 3 प्रतिशत राशि (तीन वर्ष्ज्ञ के लिये 30 करोड़ के सीमा के अधीन) भारत सरकार के द्वारा प्रदाय की जावेगी। चार क्लस्टरों में से चयनित किये जावेगी। चार क्लस्टरों में से दो क्लस्टर ट्रायबल ब्लॉक से एवं दो क्लस्टर नॉन ट्रायबल ब्लॉक (सामान्य) से चयनित किये जाएंगे। कुल चार क्लस्टर हेतु तीन वर्ष के लिये कुल लागत रूपए 120 करोड़ होगी, जो प्रत्येक वर्ष के लिये चार क्लस्टर हेतु रूपए 40 करोड़ प्रतिवर्ष राशि होगी। राज्य स्तरीय सशक्त समिति के अनुमोदन से 04 क्लस्टर का चयन कर ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार को प्रेषित किया जा चुका है। इन क्लस्टरों के लिए प्रारंभिक राशि भारत सरकार से शीघ्र प्राप्त होगी। इन क्लस्टरों का विवरण निम्नानुसार है:- बस्तर विकासखंड अंतर्गत मडपाल, धमतरी विकासखंड अंतर्गत लोहरसी, डोंगरगढ़ विकासखंड अंतर्गत मुरमंदा तथा पण्डरिया विकासखंड अंतर्गत कुण्डा क्लस्टर चयनित है।

राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ विकासखंड अंतर्गत मुरमुंदा संकुल -मुरमंदा संकुल 16 ग्राम पंचायतों का समूह है। इसमें भगवानटोला, भंडारपुर, हरनसिंघी, जामरी, जटकन्हार, खल्लारी, कुर्रूभाठा, माटेकटा, मेढा, मुड़पार, मुरमुंदा, नागतराई, पिनकापार, पिपरिया, राजकट्टा और राका शामिल है। यह विकासखंड मुख्यालय डोंगरगढ़ से 7 किमी की दूरी पर स्थित है तथा पक्की सड़क से जुड़ा हुआ है। यह हावड़ा-मुंबई रेलमार्ग तथा राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 6 के अत्यंत निकट है। इन ग्राम समूहों में हैण्डलूम का कार्य वृहद पैमाने पर किया जाता है। लगभग 200 बुनकर परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हैं। निकट के रेल्वे स्टेशन का नाम जटकन्हार है। पास में ही मां बम्लेश्वरी देवी का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां लाखों दर्शनार्थी विभिन्न राज्यों से आते हैं। यह क्षेत्र धार्मिक पर्यटन  के दृष्टिकोण से एक उभरता हुआ क्षेत्र है।  यहां पर कई कृष्ज्ञकों ने जैविक कृषि को अपनया है तथा इसका परिणाम दृष्टिगोचर होने लगा है। इस प्रक्षेत्र में खुले में शौच से मुक्ति के लिए ग्रामवासी प्रयासरत हैं। इनके आस-पास के विकासखंड छुरिया एवं चौकी ओ.डी.एफ. हो चुके हैं। इस संकुल की जनसंख्या 21,180 है। एक दशक में इस क्षेत्र की जनसंख्या में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साक्षरता दर 61.5 से 62.4 हुई है। इस क्षेत्र की ग्रामीण जनता का कृषि कार्य से गैर कृषि कार्य की ओर झुकाव हुआ हैं। इसके कारण इस संकुल का चयन किया गया है।

कबीरधाम जिले के पंडरिया विकासखंड अंतर्गत कुंडा संकुल – कुंडा संकुल 30 ग्रामों का समूह है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 ए पर स्थित है, जो कि छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश से जोड़ता है। इन ग्राम समूहों में गन्ना उत्पादन एवं गुड़ बनाने का कार्य वृहद पैमाने पर किया जाता है। यह क्षेत्र शक्कर जोन के नाम से जाना  जाता है। इस प्रक्षेत्र में कबीरधाम जिले का दूसरा शक्कर कारखाना स्थापित होने जा रहा है। इस क्षेत्र से हाफ नदी बहती है जो कि सब्जी एवं फलों के उत्पादन के लिए काफी सहायक है। जल संरक्षण के लिए इस क्षेत्र में कई एनीकट पूर्व से हैं। इस क्षेत्र में कृषि उपज मंडी भी है जिससे कृषि आधारित व्यवसाय प्रमुखता से होता है। पूर्व से ही बैंकिंग संस्थान, स्वास्थ्य केन्द्र तथा बस स्टैण्ड आदि नागरिक सुविधाएं इस क्षेत्र में उपलब्ध है। इस प्रक्षेत्र के खम्हरिया, रम्पा, पेन्ड्रीकला ग्राम खुले में शोच से मुक्त हो चुके हैं तथा शेष ग्रामों में कार्य प्रगति पर है। इस संकुल की जनसंख्या 31,317 है। एक दशक में इस क्षेत्र की जनसंख्या में 52.96 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जमीन के मूल्यों में लगभग 275.03 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तथा बालिकाओं के शाला प्रवेश की दर 88.84 प्रतिशत है। इस क्षेत्र की ग्रामीण जनता कृषि कार्य से गैर कृषि कार्य की ओर झुकाव हुआ  हैं। इसके कारण इस संकुल का चयन किया गया है।

बस्तर जिले के बस्तर विकासखंड अंतर्गत मडपाल संकुल – मडपाल संकुल 23 ग्रामों का समूह है। यह संकुल राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 से जुड़ा हुआ है, जगदलपुर हवाई अड्डा यहां से 10 किमी की दूरी पर तथा जगदलपुर रेल्वे स्टेशन से 6 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां नगरनार इस्पात संयंत्र की स्थापना हो रही है। इन ग्राम समूहों में वनोपज यथा ईमली, महुआ, तिखुर, बांस, तेन्दूपत्ता आदि का वृहद पैमाने पर संग्रहण किया जाता है।
आजकल मिर्च की भी पैदावार बहुतायत से हो रही है। इस संकुल क्षेत्र में इस्पात संयंत्र स्थापना के कारण गैरकृषि कार्यों में ग्रामीणों की भागीदारी बढ़ी है। इस संकुल की जनसंख्या 26,443 है। एक दशक में इस क्षेत्र की जनसंख्या में 20.62 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तथा अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या में 20.62 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तथा अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या में 20.61 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जमीन के मूल्यों में लगभग 338.13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तथा बालिकाओं के शाला प्रवेश की र 98 प्रतिशत है। इस क्षेत्र की ग्रामीण जनता कृषि कार्य से गैर कृषि कार्य की ओर उद्यत हुए हैं। इसके कारण इस संकुल का चयन किया गया है।

धमतरी जिले के धमतरी विकासखंड अंतर्गत लोहरसी संकुल – लोहरसी संकुल 14 ग्रामों का समूह है। सह संकुल रायपुर -जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा हुआ है तथा जिला मुख्यालय से 3 किमी की दूरी पर स्थित है। धमतरी रेल्वे स्टेशन से 5 किमी की दूरी पर स्थित है। यह इलाका शैक्षणिक, सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टिकोण से संपन्न है। इस प्रक्षेत्र में जिले के सर्वाधिक व्यक्तिगत शौचालय निर्मित हैं। इस संकुल की ग्राम पंचायतों में महिलाओं की भागदारी सर्वाधिक है। इस क्षेत्र में राईस मिलों की ंसख्या अत्यधिक है तथा गंगरेल सिंचाई नहर से जुड़े होने के फलस्वरूप क्षेत्र द्विफसलीय है। इस संकुल की जनसंख्या 35039 है। एक दशक में इस क्षेत्र की जनसंख्या 35,039 है। एक दशक में इस क्षेत्र की जनसंख्या में 17.35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जमीन के मूल्यों में लगभग 396.53 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तथा बालिकाओं के शाला प्रवेश की दर 93.89 प्रतिशत है। इस क्षेत्र की ग्रामीण जनता कृषि कार्य से गैर कृषि कार्य की ओर उद्यत हुए हैं। इसके कारण इस संकुल का चयन किया गया है।