नसबंदी केसः महिलाओं को दी दवा में मिली थी चूहेमार दवा

बिलासपुर

बिलासपुर के नसबंदी कांड में 15 महिलाओं की मौत में सरकार की एक और लापरवाही सामने आई है। नसबंदी कैंप में हुई महिलाओं की मौत के मामले में पता चला है कि महिलाओं को दी गई दवा में जिंक फॉस्फाइड के अंश पाए गए हैं। ये केमिकल चूहे मारने वाली दवा में पाए जाते हैं। राज्य के प्रधान स्वास्थ्य सचिव आलोक शुक्ला ने शुरुआती जांच के आधार पर ये जानकारी दी है।

एंटीबायोटिक दवा सिप्रोफ्लॉक्सैसिन-500 की जांच में साफ हुआ है कि इसमें जिंक फॉस्फाइड मिला हुआ था। ये खतरनाक केमिकल चूहे मारने के जहर में इस्तेमाल होता है। इस दवा को रायपुर की फार्मास्यूटिकल कंपनी महावर फार्मा से बरामद किया गया था। अब इस दवा को आगे की जांच के लिए भेजा गया है। खुद छत्तीसगढ़ के प्रमुख स्वास्थ्य सचिव आलोक शुक्ला ने भी माना कि जिंक फॉस्फाइड की वजह से ही दवा जहरीली हो गई। उन्होंने लोगों से इस प्रतिबंधित दवा को न लेने की अपील की है।

नसबंदी कैंप में पीड़ित महिलाओं में जो लक्षण पाए गए, वो ठीक वैसे ही थे जैसे जिंक फॉस्फाइड के असर से देखने को मिलते हैं। सर्जरी के बाद महिलाओं ने सिर घूमने, उल्टियां आने और पेट में दर्द की शिकायत की थी। इन महिलाओं की मौत हृदय गति रुकने, किडनी फेल होने और सांस न ले पाने की वजह से हुई थी।

इस पूरे कांड के बाद राज्य सरकार ने आनन-फानन में इस दवा को प्रतिबंधित कर महावर फार्मा की दवाइयों को जब्त करना शुरू कर दिया है। तमाम दवा विक्रेताओं से ये दवाएं मंगाकर नष्ट करने का आदेश दिया गया है। अब तक एक लाख से ज्यादा दवाइयां बरामद की गई हैं। इसके साथ ही महावर फार्मा के डायरेक्टर रमेश महावर और उनके बेटे सुमित को रायपुर पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार लिया।

सवाल ये है कि नसबंदी कैंप में महिलाओं की मौत के बाद छत्तीसगढ़ सरकार की नींद क्यों टूटी? जबकि दवा सप्लाई करने वाली महावर कंपनी को 2 साल पहले ही ब्लैकलिस्ट किया जा चुका था। खुद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने साल 2012 में विधानसभा में कहा था कि इस कंपनी को नकली जेनरिक दवाएं बनाते पकड़ा गया है और इसके खिलाफ केस रजिस्टर किया गया है। मगर बावजूद इसके सरकारी अस्पतालों में इस कंपनी की दवाइयां सप्लाई की जा रही थीं।

इस बीच नसबंदी मौत मामले में गिरफ्तार डॉ आर के गुप्ता पर कार्रवाई के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मोर्चा खोल दिया है। प्रदेश के सभी डॉक्टरों ने एक दिन काम बंद कर विरोध प्रदर्शन किया। इनका आरोप है कि सरकार ने डॉक्टर को गिरफ्तार कर सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का उल्लंघन किया है जिसके मुताबिक मामले की रिपोर्ट आने तक डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं हो सकती।