जतन केन्द्र से लौटी दिव्यांग बच्चों के चेहरे की मुस्कान

रायगढ

परिवार में जब आर्थिक संकट मंडराने लगती है तो सारी खुशियां काफूर हो जाती है और यदि परिवार में कोई बच्ची बीमार हो तो माता-पिता के रात दिन का सुख-चैन छिन जाता है। लेकिन रायगढ़ जिले का ‘जतन’ जिला शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र दिव्यांग बच्चों के अभिभावकों के चेहरे पर खुशियां ले आता है। जतन केन्द्र का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कर-कमलों से 13 फरवरी 2016 को किया गया था। तब से लेकर आज तक जतन केन्द्र में चिकित्सकों के निरंतर प्रयास से दिव्यांग बच्चों के जीवन में रोशनी की नई किरण जग रही है। आज इस केन्द्र की सार्थक पहल की कहानी बयां कर रही है। दिव्यांग रिद्धि यादव की मां श्रीमती सरस्वती यादव रायगढ़ जिले के चक्रधर नगर बंगलापारा निवासी है। रिद्धि की मां ने बताया कि प्राय: बच्चे के जन्म के पश्चात बच्चों का रोना एक सामान्य प्रक्रिया होती है लेकिन किसी कारणवश जिन बच्चों में रोने की प्रक्रिया में विलंब या बच्चे के ना रोने की स्थिति में बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है। जिसके कारण बच्चों को अनेक शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। रिद्धि की मां श्रीमती सरस्वती यादव ने बताया कि ऐसी चुनौतियों का सामना मेरी दिव्यांग पुत्री रिद्धि यादव को करना पड़ा। रिद्धि बचपन से ही मानसिक (सेरब्रल पाल्सी)एवं शारीरिक रूप से दिव्यांग श्रेणी की बच्ची थी। बिस्तर में दिनभर पड़े रहती थी। उसका ईलाज करने के लिए पैसे की आर्थिक तंगी थी। घर की माली हालत बहुत दयनीय थी। एक छोटे से कमरे के किराये में परिवार निवास करता था। रिद्धि के पिता की आमदनी उतनी अच्छी नहीं थी, बड़ी मुश्किल से घर का गुजर-बसर चल रहा था। साथ में बच्ची रिद्धि का ईलाज कराने में भी बड़ी परेशानी आ रही थी।

रिद्धि की मां ने बताया कि किसी ने मार्गदर्शन देते हुए जतन केन्द्र में जाकर एक बार वहां के डॉक्टरों से संपर्क करने की सलाह दी गई। तत्पश्चात रिद्धि के माता-पिता रिद्धि को लेकर जतन केन्द्र पहुंचे उस समय रिद्धि की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। वह अपना सिर नहीं संभाल पाती थी। मुंह से लगातार लार टपकता रहता था। शारीरिक रूप से शरीर भी शिथिल थी। किसी भी प्रकार के आवाज को नहीं सुन पाती थी और खाना निगलने में भी उसे तकलीफ होती थी एवं अच्छे से बैठ भी नहीं पाती थी। रिद्धि के माता-पिता ने बताया कि जतन केन्द्र डॉक्टर सिद्धार्थ के मार्गदर्शन में रिद्धि का तीन महीने तक निरंतर उपचार किया गया। इसके बाद वर्तमान में रिद्धि की स्थिति सुधार गई है। अब वह अपने सिर को आसानी से हिला-डुला लेती है। सिर संभालने में अब उसको दिक्कत नहीं आती है। पहले के अपेक्षा रिद्धि ज्यादा चंचल हो गई है। चीजों को पहचानने लग गई है। अगर रिद्धि को कोई उसके नाम से आवाज देते है तो अपना सिर घुमाकर प्रतिक्रिया देकर खुशी व्यक्त करती है और अब सरलता से खाना निगल पा रही है एवं आसानी से बैठ भी पा रही है। रिद्धि की मां सरस्वती यादव ने शासन एवं कलेक्टर श्रीमती अलरमेलमंगई डी को धन्यवाद देते हुए कहा कि जिले में दिव्यांग बच्चों के लिए जतन केन्द्र का शुभारंभ एक सराहनीय पहल है।