अम्बेडकर अस्पताल मे हड़ताल अवधि में अन्य दिनों के मुकाबले ज्यादा मरीजों का हुआ इलाज

रायपुर 

  • प्रदेश के जूनियर डॉक्टरों को अन्य राज्यों की तुलना में मिल रही है ज्यादा शिष्यवृत्ति
  • राज्य सरकार ने दो साल पहले उनकी शिष्यवृत्ति में किया है 35 प्रतिशत का इजाफा
  • हड़ताल से नहीं लौटने पर होगी कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई

राज्य सरकार ने कहा है कि जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर से सम्बद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों की कल से जारी हड़ताल के बावजूद चिकित्सा सेवाएं यथावत चल रही हैं। इतना नहीं बल्कि उनकी हड़ताल के इन दो दिनों में अन्य दिनों के मुकाबले अधिक संख्या में मरीजों का इलाज हुआ है। मेडिकल कॉलेज के प्राध्यापकों और अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों ने यह जिम्मेदारी सम्हाली है। मरीजों की सुविधा के लिए बिलासपुर और राजनांदगांव के मेडिकल कॉलेजों तथा रायपुर, बिलासपुर, धमतरी, महासमुन्द और दुर्ग के शासकीय जिला अस्पतालों से 70 डॉक्टरों की ड्यूटी अम्बेडकर अस्पताल में लगायी जा रही है।
चिकित्सा शिक्षा संचालक श्री प्रताप सिंह ने आज रात यहां बताया कि हड़ताल के बावजूद कल सात अक्टूबर को अस्पताल के वाह्य रोगी विभाग (ओ.पी.डी.) में एक हजार 667 मरीजों का इलाज किया गया, जबकि अकेले माह सितम्बर 2014 में प्रतिदिन औसतन एक हजार 522 मरीजों का इलाज किया गया था। इतना ही नहीं बल्कि अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बावजूद प्रतिदिन औसतन 104 के स्थान पर 127 मरीज भर्ती किए गए और हर दिन 23 के स्थान पर 38 आपरेशन हुए। उन्होंने बताया कि इस मेडिकल कॉलेज में वर्तमान में विद्यार्थियों को दी जा रही शिष्यवृत्ति देश के अन्य कई राज्यों की तुलना में अधिक अथवा समकक्ष भी है। यहां के विद्यार्थियों को प्रतिमाह प्रथम वर्ष में 30 हजार रूपए, द्वितीय वर्ष में 32 हजार 500 रूपए और तृतीय वर्ष में 35 हजार रूपए की मासिक शिष्यवृत्ति दी जा रही है, जबकि तमिलनाडु में प्रथम वर्ष में 17 हजार 400 रूपए, द्वितीय वर्ष में 18 हजार 400 रूपए और तृतीय वर्ष में 19 हजार 400 रूपए, पश्चिम बंगाल में प्रथम वर्ष में 25 हजार 935 रूपए, द्वितीय वर्ष में 27 हजार 930 रूपए और तृतीय वर्ष में 29 हजार 925 रूपए की शिष्यवृत्ति का प्रावधान है। मध्यप्रदेश में प्रथम वर्ष में 30 हजार रूपए, द्वितीय वर्ष में 31 हजार रूपए और तृतीय वर्ष में 32 हजार रूपए, आन्ध्रप्रदेश में प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष में 23 हजार रूपए की शिष्यवृत्ति दी जा रही है। संचालक चिकित्सा शिक्षा ने यह भी बताया कि जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर में वर्ष 2012 में विद्यार्थियों की शिष्यवृत्ति प्रथम वर्ष के लिए 23 हजार रूपए, द्वितीय वर्ष के लिए 25 हजार रूपए और तृतीय वर्ष के लिए 27 हजार रूपए थी, जिसे राज्य सरकार ने दो साल पहले 35 प्रतिशत बढ़ा दिया है।
उन्होंने यह भी कहा कि जूनियर डॉक्टरों की मांगें सर्वथा अनुचित हैं। मिसाल के तौर पर जूनियर डॉक्टरों ने सभी छात्रावासों में एयर कंडीशनर की सुविधा मांगी है, जो भारत के किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्रावासों में नहीं है। राज्य सरकार की ओर से संचालक चिकित्सा शिक्षा ने आज जूनियर डॉक्टरों की शिष्यवृत्ति में ढाई हजार रूपए की वृद्धि का प्रस्ताव दिया था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। ऐसी स्थिति में मरीजों के हित में और व्यापक जनहित में राज्य शासन द्वारा हड़ताली छात्र-छात्राओं के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इसके अन्तर्गत उन्हें छात्रावासों से बेदखल किया जा सकता है और कक्षाओं में गैर-हाजिरी की स्थिति में परीक्षा में बैठने की पात्रता निरस्त हो सकती है तथा उनकी डिग्री पर भी खतरा हो सकता है। राज्य सरकार ने हड़ताल को देखते हुए बिलासपुर तथा राजनांदगांव के मेडिकल कॉलेजों और रायपुर, बिलासपुर, धमतरी, महासमुन्द तथा दुर्ग के शासकीय जिला अस्पतालों से 70 डॉक्टरों की सेवाएं लेने का निर्णय लिया गया है। ये सभी डॉक्टर यहां अम्बेडकर अस्पताल में उपस्थित हो रहे हैं। राज्य सरकार ने जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के सहायक प्राध्यापकों को भी अम्बेडकर अस्पताल में आपातकालीन चिकित्सा ड्यूटी करने के निर्देश दिए हैं। संचालक चिकित्सा शिक्षा ने यह भी बताया कि इस प्रकार की व्यवस्था करने के बाद अब अस्पताल में दिन-प्रतिदिन के सामान्य और आपातकालीन चिकित्सा सेवाआंे के अधिक प्रभावित होने की संभावना नहीं है।