किसानो के लिए फसल बेंचना.. मतलब जितने का बाबू नही उतने का झुनझुना

बलरामपुर.. (कृष्णमोहन कुमार)..प्रदेश में जब 15 वर्षो बाद कांग्रेस की सरकार अस्तित्व में आयी तब तब किसान खुश थे..उसकी एक अलग वजह थी..जब किसान खुश थे..किसानों के लिए कर्जमाफी एक बड़ी परेशानी हुआ करती थी..तब प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने उस परेशानी को खत्म करने का प्रयास किया..लेकिन अब जिस तरह के निर्णय सरकार ने लिए है..उसे किसान अब किसान विरोधी मान रहे है..खुद प्रदेश मुख्यमंत्री किसान पुत्र है .फिर भी सरकार के निर्णय से किसान नाखुश है..खेतों में लहलहाती फसलों को देख अब किसानो का चेहरा मानो मुर्झा सा गया है..वही किसान अब न्याय की भीख मांगते नजर आ रहे है..जिन्हें प्रशासनिक अमले के मुखिया कलेक्टर ने भरसक मदद के लिए आश्वस्त तो किया है..मगर वे फिर भी दुःखी है..

IMG 20190831 172129

दरअसल आज जिला पंचायत सदस्य धीरज सिंहदेव की अगुवाई में ऐसे कई परेशान किसान पहुँचे थे..जिन्हें अपने द्वारा उपजाए गए फसलों के धान को बेचने में दिक्कतें होने वाली है..और जितने का ऊपज नही होगा उतने का उन्हें माल ढुलाई का भाड़ा लगेगा..

IMG 20190831 172218

बता दे कि प्रदेश के राजपत्र में 3 अगस्त को यह प्रकाशित कर दिया गया है..की जिस समीपवर्ती गांव में किसान अपना धान बेचा करते थे..वह अधिकार लगभग छीन सा गया है..और उन गांवों के किसानों को लम्बी दूरी वाले धान संग्रहण केंद्रों में अपना धान बेचना पड़ेगा..जैसे कुसमी ब्लाक के चांदो सहकारी समिति में स्थित ग्राम चटनियां के किसानों को अब लगभग 35 किलोमीटर दूर सामरी में धान बेचने जाना पड़ेगा..पस्ता सहकारी समिति के सरगढ़ी के किसानों को बलरामपुर धान संग्रहण में धान बेचना पड़ेगा जो कि 34 किलोमीटर दूर है..ग्राम बरदर सहकारी समिति के किसानों को बलरामपुर में धान बेचना पड़ेगा जो कि 12 किलोमीटर दूर है..ऐसा नही है कि जिले के दो तीन पंचायते ही सरकार के इस निर्णय से प्रभावित हुए है.बल्कि 20 से अधिक सहकारी समितियों के किसानों को इस बार खरीफ फसल के धान को बेचने में कठिनाई ही नही आर्थिक हानि का सामना करना पड़ेगा..जिसको देखते हुए आज किसानों ने जिला पंचायत सदस्य धीरज सिंहदेव के नेतृत्व में संयुक्त रूप से कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है..और कलेक्टर संजीव झा ने भी उन्हें हर सम्भव मदद का आस्वासन दिया है..

IMG 20190831 140547

गौरतलब है कि सरकार द्वारा लिए गए निर्णय से किसान नाराज है..पहले उन्हें पांच किलोमीटर के दायरे में समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए धान खरीदी केंद्र मिल जाया करती थी..मगर अब ऐसा नही होने वाला है..जिससे वे चिंतित है. और यही हाल समूचे प्रदेश का है..और ऐसा नही है कि इससे किसान परेशान होंगे..बल्कि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारियों को भी परेशान होना पड़ेगा..तब कही धान के इस कटोरे को भरा जा सकेगा..