कटाक्ष : 33 लाख की गाड़ी में शायद रिंग रोड के गड्ढ़े महसूस नहीं होते है साहब…..

  • अम्बिकापुर की खस्ताहाल सडको का जिक्र अब सोशल मीडिया मे भी ……..
  • छग जनता कांग्रेस के युवा नेता दानिश रफीक ने किया कटाक्ष 

[highlight color=”black”]अम्बिकापुर [/highlight]

अम्बिकापुर की रिंग रोड समेत शहर की ज्यादातर सडके बद से बदतर स्थिती मे आ गई है। गली हो चाहे मोहल्ला हर वार्ड की सडक मे बडे बडे गड्ढे हो गए है। जिनमे से कुछ सडक पिछली पंचवर्षीय मे बनी थी , तो कुछ सडको का निर्माण मौजूदा निगम सरकार के समय मे हुआ है। मसला कुछ भी हो लेकिन शहर की सडको मे चलने वाला हर आदमी बदहाल सकडो पर चलना सहज महशूश नही कर रहा है।  शहर की बदतर सडको के लिए कोई कौन जिम्मेदार है । इससे आम आदमी को शायद कोई फर्क नही पडता है । शहर के सडको पर चलते वक्त आम आदमी सिर्फ इतना महशूश करता है कि इन सडको पर मोटरसाईकिल से चलने के लिए ना केवल हेलमेट की जरुरत है बल्कि ड्यूस बाल से क्रिकेट खेलते वक्त जिस एल्बो ,पैड और एडी की जरुरत होती है , शायद अम्बिकापुर की सडको पर चलने के लिए उन क्रिकेट सामग्री की भी आवश्यकता है।

शहर के रिंग रोड की हालत तो इतनी बदतर है कि इन सडको पर चलने के लिए मंहगी कारो का ही उपयोग किया जा सकता है। जिसमे हैवी सस्पेंशन और एयर बैग हो । क्योकि इन सडको पर हादसे की संभावना नही बल्कि हादसा हर वक्त मुह बाए खडा रहता है। शहर के रिंग रोड के साथ ही सभी 48 वार्डो मे सडको की हालत ऐसी है , सडको पर निकलने के बाद पान ठेला और होटलो मे यही चर्चा होती है कि हमको उक्त स्थान मे जाना है और वंहा पंहुचने के लिए हम किस रोड का उपोयग करे।  लेकिन इन समस्याओ के बीच जिला प्रशासन से लेकर जिम्मेदार निगम प्रशासन शायद आंखे मूंदे बैठा है क्योकि बरसात हो या फिर गर्मी निगम और प्रशासन के लोग शायद इन सडको पर घूमना इसलिए भी पंसद नही करते है क्योकि एक तरफ तो सवाल ये होगा कि सडक खराब है साहब…  और दूसरी ओर दिक्कत ये होगी कि मंहगे जूतो मे कीचड लग जाएगा।

[highlight color=”black”]अम्बिकापुर की सडके अब सोशल मीडिया मे [/highlight]

 

[highlight color=”blue”]अम्बिकापुर नगर निगम पिछले दो वर्षो से अपनी कथित सफाई व्यवस्था के लिए अवार्ड और अवार्ड मतलब तमगे की कतार मे हरदम खडा रहता है… लेकिन शहर कि जिन सडको से इस अवार्ड की धमक प्रदेश और देश की राजधानी तक पंहुची है , उन सडको की हालत वास्तव मे बेहद ही खराब है। आज ही एक फेसबुक यूजर और छग जनता कांग्रेस(जोगी) के वरिष्ठ सदस्य दानिश रफीक ने अम्बिकापुर महापौर के लिए ये कटाक्ष किया है कि,, आदरणीय मेयर साहब आपकी 33 लाख की गाड़ी में शायद रिंग रोड के गड्ढ़े महसूस नहीं होते और अंबिकापुर के सभी लोगो के पास इतनी महँगी गाड़ी नहीं है । यहाँ के 70% लोग आज भी पैदल या 2 पहिया में चलते है इनका कुछ तो ध्यान दे , जनता ने सुशासन व सुविधाओ के लिए आप को वोट दिया है याद रहे ।[/highlight]

 

[highlight color=”red”]अविभाजित मध्यप्रदेश जैसे हालात [/highlight]

पहले  सरगुजा मे सडके बनाने वाले लोगो को ये कहा जाता था कि हमारे यंहा सडक बनाने की क्या जरुरत है। लेकिन जब से सरगुजा की सडको पर  उद्योगो का नुरानी असर पडा तबसे हम सडक विहीन हो गए है।  ऐसे मे सरकार को हमारी ओर नजरे ईनायत करनी पडेगी क्योकि हम वन खनिज और राजस्व का अधिकांश हिस्सा सरकार को अदा कर रहे है। पिछले पचास सालो का इतिहास ये कहता है कि हमारी खनिज और प्राकृतिक संपदा का उपोयग कर अविभाजित मध्यप्रदेश के ग्वालियर , भोपाल और इंदौर जैसे महानगरो का विकास हुआ , लेकिन बटवारे के बाद  फिर हम उसी स्थिती मे है ….अब आलम ये है कि सरगुजा के वनो और जमीनी संपदा द्वारा प्राप्त राजस्व का उपोयग छग के विकास मे भले ही हो रहा लेकिन हम फिर भी सडको जैसे बुनियादी जरुरतो के मोहताज है। लेकिन सवाल है आखिर कब तक ?