शांति जीडी स्पॉत एण्ड पॉवर के श्रमिक की भाप में जलकर मौत,,, प्लॉट में काम करते समय बायलर का सेफ्टी वॉल खुलने से हुआ हादसा,,,

 

-मामले को दबाने मृतक के परिजनों पर दबाव बना रहे पॉवर प्लॉट के प्रबंधक
जांजगीर-चांपा. जिले में संचालित पॉवर प्लॉट में काम करने वाले श्रमिक सुरक्षित नहीं हैं। यही वजह है कि प्लॉट में आए दिन हो रहे हादसों में श्रमिकों की जान जा रही है। ताजा मामला चांपा के समीपस्थ ग्राम महुदा (ब) में संचालित शांति जीडी स्पॉत एण्ड पॉवर से संबंधित है। यहां कार्यरत फरसवानी गांव का एक श्रमिक बायलर के सेफ्टी वॉल के अचानक खुलने से भाप से 90 फीसदी झुलस गया था, जिसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। खास बात यह है कि इस मामले को लेकर प्लांट प्रबंधन काफी गोपनीयता बरत रहा है। प्रबंधन की ओर से मृतक श्रमिक के परिजनों को आर्थिक लाभ पहुंचाने का लालच देकर मामले को दबाने पर जोर डाला जा रहा है, जबकि परिजन प्लॉट में स्थायी नौकरी एवं शासन द्वारा निर्धारित दर पर ही मुआवजा चाह रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, जिले के बलौदा विकासखंड के ग्राम महुदा में शांति जीडी स्पॉत एण्ड पॉवर संचालित है। इस पॉवर प्लॉट की मनमानी शुरू से ही चरम पर रही है। मामला चाहे पर्यावरण को लेकर हो या फिर कृषि भूमि का मुआवजा नहीं देने अथवा आसपास के ग्रामों में अवैध रूप से राखड़ डंप करने का। इस प्लांट के खिलाफ दर्जनों शिकायत जिला प्रशासन के समक्ष पहुंच चुकी है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की दरियादिली की वजह से यह प्लॉट आबाद है। इधर, इस प्लॉट में कार्यरत श्रमिक शोषण के शिकार तो हो ही रहे हैं, वहीं सुरक्षा उपकरण के अभाव में उन्हें जान से भी हाथ धोड़ा पड़ रहा है। कुछ इसी तरह का मामला हाल ही में सामने आया है। जानकारी के अनुसार, ग्राम फरवानी निवासी बैचूराम बियार इस प्लॉट में श्रमिक बतौर कार्यरत था। उसकी तैनाती बायलर प्लॉट में थी। बताया जा रहा है कि उसके अलावा अन्य श्रमिकों को जरूरी सुरक्षा उपकरण मुहैया करवाने के बजाय ही काम पर लगा दिया जा रहा था। कुछ इसी तरह की स्थिति बीते 21 जून को भी बनी। बैचूराम सहित अन्य श्रमिक सुरक्षा उपकरण के अभाव में बायलर के आसपास काम कर रहे थे, तभी बायलर का सेफ्टी वॉल अचानक खुल गया और स्टीम बाहर निकलने लगा, जिसकी चपेट में आकर बैचूराम 90 फीसदी झुलस गया। इस घटना से प्लॉट में अफरा-तफरी की स्थिति बन गई। मामले की खबर जब प्लॉट के प्रबंधक तक पहुंची तो उन्होंने सुनियोजित चाल चलते हुए सबसे पहले घायल बैजूराम को चांपा स्थित एनकेएच हॉस्पिटल भिजवाया। इसके बाद अन्य श्रमिकों को अपने झांसे में लेकर प्लॉट परिसर में हो रहे शोर-शराबा को बंद करवा दिया। इधर, एनकेएच हॉस्पिटल चांपा के डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद बैचूराम को बिलासपुर स्थित ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया, जहां उपचार के दौरान 27 जून को उसकी मौत हो गई। इस घटना को अब एक सप्ताह होने को हैं, लेकिन इसकी जानकारी प्लॉट प्रबंधन ने प्रशासनिक अफसरों को देना मुनासिब तक नहीं समझा है। सिर्फ इतना ही नहीं, इस पूरे मामले की जानकारी प्रबंधन ने मीडिया से भी छिपाई है, ताकि प्लॉट प्रबंधन की बदनामी न हो। बता दें कि इस घटना के बाद से बैचूराम का परिवार पूरी तरह से असहाय हो गया है, जिसे ढांढस बांधने के बजाय प्लॉट प्रबंधन इस मामले को दबाने के लिए उन पर दबाव बना रहा है। बैचूराम के परिजनों ने चर्चा में कहा कि प्लॉट प्रबंधन ने उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचाने तथा एक सदस्य को प्लॉट में नौकरी देने का आश्वासन तो दिया है, लेकिन उनके पास लिखित में कुछ भी नहीं है। ऐसे में यदि वे अपनी बातों से मुकर जाते हैं तो उनके पास कोई रास्ता नहीं बचेगा। परिजनों का यह भी कहना है कि प्लॉट प्रबंधन ने इस मामले की जानकारी उन्हें मीडिया, पुलिस तथा प्रशासन तक पहुंचाने से मना किया है। परिजनों का यह भी कहना है कि शासन द्वारा निर्धारित दर पर मुआवजा और प्लांट में स्थायी नौकरी चाहते हैं। बहरहाल, श्रमिक बैचूराम के परिजनों को प्लॉट प्रबंधन द्वारा शासकीय दर पर मुआवजा और प्लॉट में स्थायी नौकरी दी जाती है या फिर प्रशासनिक अफसरों से सांठगांठ कर उनकी आवाज को दबा दी जाती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।