प्रशासनिक उपेक्षा पर आस्था की जीत ..देवगढ़ में पच्चीस हजार से अधिक श्रद्धालुओं और कांवरियों ने किया दर्शन और जलाभिषेक…

अम्बिकापुर:– उदयपुर और सूरजपुर से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने देवगढ़ स्थित स्वंय भू अर्द्ध नारेश्वर बाबा भोलेनाथ का दर्शन किया। समिति सेवकों द्वारा जगह जगह चाय और नाश्ते के व्यवस्था किया गया था। रास्ते भर जगह जगह कांवरियों का स्वागत ग्रामवासियों द्वारा किया गया। कांवरियों द्वारा उदयपुर स्थित महेशपुर से तथा सूरजपुर रेंड़ नदी से जल भरकर काँवर यात्रा प्रारंभ की गई…

उदयपुर की काँवर यात्रा महेशपुर से अलकापुरी, उदयपुर, खोडरी, सलका, खम्हरिया, भदवाहि होते हुए देवगढ़ पहुंची। रात्रि जागरण और ठहरने की व्यवस्था अलग अलग जगहों पर मंदिर परिसर के आसपास समितियों द्वारा की गई थी। शिव मंदिर में भोर 3 बजे से लाइन लगकर दर्शन का क्रम जारी था जो कि दोपहर 12 बजे तक अनवरत जलाभिषेक का कार्यक्रम चला। उसके बाद श्रद्धालुओं की भीड़ कुछ कम हुई। गुरुवार को ग्राम डाँड़ग़ांव के लगभग 300 काँवर यात्री देवगढ़ पहुँच कर जलाभिषेक करेंगे..
मेला में काँवर यात्रियों के साथ अन्य श्रद्धालुओं की संख्या पच्चीस हजार के लगभग रही होगी ।
इतनी संख्या में हर साल श्रद्धालुओं के आने की सूचना के बाद भी प्रशासन की ओर से कुछ भी व्यवस्था नही की गई थी। गिने चुने दो चार वर्दीधारी सिपाही मौजूद थे जो कि इतनी भीड़ के लिए नाकाफी था। महिला श्रद्धालुओं ने दर्शन के बाद अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि मंदिर परिसर में महिला पुलिस की व्यवस्था नही थी जिससे समिति की ओर से मौजूद पुरूष सदस्य महिलाओं को भी धकेल कर मंदिर में प्रविष्ट कराया जा रहा था जिसमे महिलाओं को काफी असुविधा हुई। महिला श्रद्धालुओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि मंदिर परिसर में हजारों की संख्या में महिला पुरूष श्रद्धालु मौजूद थे परंतु स्वच्छ भारत का दावा करने वाले शासन की ओर से एक चलित शौचालय की भी व्यवस्था नही की गई थी। लोग मंदिर परिसर के आजु बाजू, नदी के किनारे हाईस्कूल ग्राउंड में तथा जिसे जहाँ जगह मिला वही अपनी व्यवस्था देखकर स्वच्छ भारत मिशन को मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे थे। सड़क के किनारे से जनप्रतिनिधि व अन्य लोग फ्रेश हो रहे लोगों को देखकर मुस्कुराते हुए अपने गंतव्य की ओर चले जा रहे थे।
समिति के लोगों द्वारा मेला स्थल पर भंडारा लगाकर अच्छा काम किया गया परंतु मेला समाप्ति के बाद बोरिया बिस्तर समेट कर सारा कचरा, प्लास्टिक, डिस्पोजल ग्लास, दोना पत्तल फैलाकर चले जाने से स्थानीय लोगों में रोष भी देखने को मिला।