झटका ऐसा की बारिश के पहले ही ढ़ह गई पुल की सुरक्षा के लिए बनी मजबूत दीवार..

अम्बिकापुर (सीतापुर: अनिल उपाध्याय) चार माह पूर्व मेढ़ कटाव से पुलिया को होने वाले नुकसान से बचाने बनाई गई सुरक्षा की मजबूत दीवार चार महीने बाद ही बारिश के पहले झटके में ही रेत की माफिक भरभरा कर गिर गई।इसे बरसाती नाले मे तेज बहाव से पुलिया की सुरक्षा के दृष्टिकोण से बनाया गया था किंतु यह अपने उद्देश्यों को पूरा करने से पहले ही धराशायी हो गया। निर्माण के चार महीने बाद ही इसके धराशायी होने के पीछे निर्माण प्रक्रिया का सही रूप से पालन नही करना और घटिया निर्माण को प्रमुख वजह बताया जा रहा है टूटी हुई सुरक्षा दीवाल भी यह साबित कर रही है कि निर्माण कार्य की आड़ में अधिकारी और गाँव के सरपंच मिलकर किस तरह की धांधली बरत रहे है और शासन द्वारा जारी दिशा निर्देशो की कैसे धज्जिया उड़ा रहे है।प्रशासन अगर इसकी निष्पक्ष जाँच करा लें तो यहाँ हुये घटिया निर्माण की सारी परते परत दर परत खुल सामने आ जायेगी।

ग्राम पंचायत धरमपुर में जिला खनिज संस्थान न्यास मद से धरमपुर से म.गढ़ मार्ग में पुलिया निर्माण हेतु 10 लाख रुपये स्वीकृत हुआ था।स्वीकृति मोलने के बाद 16 जनवरी को यहाँ काम प्रारम्भ किया गया और 15 अप्रेल को पुलिया निर्माण पूर्ण कर लिया गया।पुलिया निर्माण के दौरान कटाव से सुरक्षा के लिहाज से 10 फिट लंबा दीवाल बनाया गया था ताकि बरसाती नाले का तेज बहाव पुलिया के अंदरूनी हिस्से को नुकसान न पहुँचा सके किंतु चार माह बाद बारिश की पहले झटके में सुरक्षा के लिहाज से बना दीवाल धराशायी होकर टुकड़ो में बिखर गया और साथ मे निर्माण के दौरान सरपंच एवं तकनीकि अधिकारियों द्वारा बरती गई धांधली भी उजागर कर गया।दरअसल निर्माण के दौरान सरपंच एवं अधिकारियों की मिलीभगत ने शासन द्वारा जारी दिशा निर्देश एवं मापदंडों को ताक पर रख दिया गया और पूर्ण रूप से प्रतिबंधित निर्माण सामग्री का खुल कर उपयोग किया जिसकी वजह से इसका ये हाल हुआ।आज भी निर्माण स्थल पर रखे सामग्री इस बात के प्रमाण है कि कार्य के दौरान जिस सामग्री का निर्माण कार्य मे उपयोग होना था उसकी जगह वहाँ अवशेष के रूप में बची सामग्री का भरपूर उपयोग किया गया।जबकि शासन-प्रशासन अपने बनाये नियमो के विपरीत काम करने की अनुमति नही देता है इसके लिये बकायदा अधिकारी नियुक्त किये गये जो नियम के विपरीत काम करने पर रोक लगाते है किंतु यहाँ अधिकारियों ने इसके विपरीत जाकर निर्माण कार्य मे धांधली करने वाले सरपंच का खुल कर साथ दिया।इस बेमेल साँठगाँठ से जहाँ शासन का विकासोन्मुखी काम प्रभावित हुआ वही पुलिया घटिया निर्माण की भेंट चढ़ गया।अगर प्रशासन चार माह पूर्व हुये इस निर्माण कार्य की तह तक जाँच करा ले तो निर्माण कार्य मे बरती गई लापरवाही का स्तर परत दर परत खुलकर सामने आ जायेगी।

बिना सड़क करा दिया पुलिया निर्माण:-जिला खनिज संस्थान न्यास मद से स्वीकृत दस लाख की पुलिया सरपंच ने ऐसे जगह पे कर दिया जहाँ सड़क का नामोनिशान नही है और न ही इधर किसी तरह की आवाजाही है।केवल एक्का-दुक्का लोग ही इधर आते है वो भी कगेटी के दिनों में जब खेतो में धान रोपण हो वर्ना इस सडकविहीन क्षेत्र में कोई  नही आता किन्तु सरपंच एवं अधिकारियों ने अपने नीजि स्वार्थ के लिये फर्जी प्रस्ताव के जरिये शासन-प्रशासन की आँखों मे धूल झोंक इस सडकविहीन क्षेत्र में पुलिया निर्माण करा दिया।

प्रतिबंध के बावजूद हाथ से तोड़ी गिट्टी का किया गया उपयोग:-निर्माण कार्य मे पूरी तरह प्रतिबंध के बावजूद सरपंच ने हाथ से तोड़ी गई गिट्टी का निर्माण कार्य मे भरपुर उपयोग किया।सरपंच ने वन विभाग की अनुमति बिना जंगलो के अंदर गिट्टियां तुड़वाई और उसे पुलिया बनाने के दौरान प्रयोग में लाया जो शासकीय निर्माण कार्य मे पूर्णतया प्रतिबंधित है।

इस संबंध में उप अभियंता ग्रामीण यांत्रिकी सेवा एक्का साहब ने बताया कि टूटी हुई दीवाल पुलिया के हिस्सा नही है उसे केवल सुरक्षात्मक दृष्टि से बनेया गया था ताकि मेढ़ कटाव रोक जा सके।