पांचों इंद्रियों पर कंट्रोल करना आचार्य विद्यासागर से सीखिए, जिन्होंने 50 साल से नहीं खाया नमक शक़्कर

धरसींवा. महान त्यागी तपस्वी दिगंबर जैन आचार्य विद्यासागर जी जो सदैव नंगे पैर ही देश के विभिन्न क्षेत्रों में पैदल विहार करते है, लेकिन उनकी नीरस आहार चर्या के बारे में जानकर आपको हैरानी होगी औऱ आपके मन में भी ऐसे महा तयगी तपस्वी के दर्शनों की लालसा बढ़ने लगेगी। जैनाचार्य विद्यासागर (Vidyasagar) जी बीते 50 सालों से शक़्कर, नमक तेल हरी सब्जी मसाला फल, फ्रूट, जूस दही आदि बहुत सी चीजों का त्याग कर चुके है। (Jainachary)

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नीरस आहार लेने वाले अचार्य श्री अपने मुख से कभी थूंकते नहीं उन्होंने अपनी पंचेन्द्रियों (5 Senses) पर ऐंसी विजय प्राप्त की है कि वह मुख में थूक तक नहीं बनने देते। हमेशा की तरह वर्तमान में भी नुकीले कंकड़ पत्थर कांटो से जंगली रास्ते से से उनका पद विहार अमरकंटक की ओर चल रहा है। जैन अचार्यश्री (AacharyShri Vidyasagar) विद्यासागर जी रात्रि विश्राम में भी मात्र दो ढाई घन्टे एक ही करवट में विश्राम करते है। उनका विहार जंगली रास्तों से भी हो तो बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते रहते है। रात्रि विश्राम हो या कहीं गर्मियों में कुछ पल ठहरना हो वह AC, कूलर, पंखा, बिस्तर, चटाई आदि का भी उपयोग नहीं करते।

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ब्रह्मचारी बताते हैं कि आचार्य श्री के आशीर्वाद से विभिन्न सेवा कार्य किए जा रहे हैं। इनमें 7 राज्यों में 150 हथकरघा सेंटर चलाए जा रहे हैं, जिनमें तीन तिहाड़ जेल में हैं। इंदौर में भी उनके आगमन पर खोलने की तैयारी है। हथकरघा का प्रशिक्षण लेते समय ही कैदियों को 300 रुपए प्रतिदिन दिए जाते हैं। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद यह राशि 800 रुपए तक होती है। जो कैदियों और उनके परिवार के संयुक्त खाते में जमा होती है। शर्त यह होती है कि इस सेवा का लाभ लेने से पहले व्यक्ति को शाकाहार अपनाना होगा।