सतना मे शिकारियो का शिकार हुआ फिर एक सांभर… वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल

SATNA FOREST PHOTO
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वन्य प्राणीयो की घटती संख्या का सबसे बडा कारण शिकार..

वन विभाग ना जाने क्यो नही रहता है मुस्तैद..

शिकार के वक्त  शिकारी बेखौफ करते है शिकार, वन अधिकारी बंगलो मे करते है आराम..

रसूकदार सफेदपोश लोगो के गिरेबान तक क्यो नही पंहुचती है पुलिस..

सतना से पी मनीष की रिपोर्ट

सतना जिले  में इन दिनों जंगली जानवरो का शिकार करने वाले शिकारियो के हौसले बुलंद होते जा रहे है।  जिले मे वर्षो से हो रहे वन्य जानवरो के शिकार से वन्य जीव एकदम महफूस नहीं है,, इसी बीच एक बार फिर उचेहरा वन परिक्षेत्र के परसमनियाँ जंगल में सांभर के शिकार का मामला प्रकाश मे आया है। लेकिन इस बार शिकारी मृत सांभर को अपने साथ ले जाने में असफल रहे है !

ANIMAL KILLED BY HUNTER
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परसमनियाँ  के उरईचुआ स्थित बरुआ नाले के पाश मृत हालत में मिला मृत वन्य जीव के शरीर पर कई वार के निशान भी पाये गए हे !मृत सांभर के नजदीक ही कुल्हाड़ी, कपडे व बारूद कि शीशियाँ बरामद हुई है,,  जिनका उपयोग अक्सर शिकार के लिए किया जाता है !

इधर वन विभाग के गस्ती के दौरान देर रात मुखबीर से सूचना मिलने पर जब वन अमला मौके पर पंहुचा ,, तो विभाग को जानकारी मिली कि शिकारी दो दर्जन से ज्यादा संख्या में थे  ,, जो वन अमले की आने की खबर पर मौके से भाग खड़े हुए और वन अमला उन्हें पकड़ने में नाकाम रहा।

जिसके बाद उचेहरा रेंज के वन कर्मियो द्वारा साभार के शव को अपने कब्जे में लेकर उचेहरा नर्सरी में पी एम के लिए भेज दिया गया है और वही पर साभर का अंतिम संस्कार कराया गया  !लगातार हो रही इन घटनाओ के खबर मीडिया मे आने के बाद,, अब वन अधिकारी जंगल कि सघन सर्चिंग व आरोपियो को जल्द पकड़ने का दावा कर रहे हे !

उचेहरा व नागौद रेंज से जुड़े परसमनियाँ के जंगल में इन दिनों शिकारियो के होसले इस कदर बुलंद है,,  कि देर रात जंगलो में वन्य जीवो का शिकार करने से बाज नहीं आ रहे हे ! देर रात  बरुआ नाले के पाश दो दर्जन से ज्यादा वन माफिया शिकारियो ने इस घटना को अंजाम देकर ये भी साबित कर दिया है कि उन्हे वन विभाग को जरा़ भी खौ़फ नही है।

गौरतलब है कि वन विभाग के  आलाअधिकारियो को ये पता है कि सतना जिले के जंगलो मे वन्य प्राणी ,,शिकारियो की चहलकदमी से

SATNA FOREST PHOTO
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बिल्कुल असुरक्षित है,, और वन्य प्राणियो की लगातार घटती संख्या के पीछे शिकार करने वाले आरोपियो का सक्रिय होना है।लेकिन उसके बावजूद शिकारियो द्वारा घंटो शिकार की भनक वन विभाग को ना लगना,, विभाग की कार्यप्रणाली मे बडा सवाल खडा करती है।