घर का चुल्हा ना बुझे इसलिए बाल श्रम बनी मजबूरी.. प्रशासन बेखबर

Satna Child labor
Satna Child labor

सतना से पी.मनीष की रिपोर्ट

  • चंद रुपए की लालच मे ठेकेदार खरीद रहे है बचपन
  • कागज कलम किताब की जगह मजदूरी का सामान
  • प्रशासन नही ले रहा कोई सुध

सरकार ने  भले ही बाल अपराध एंव बाल श्रम रोकने के लिए बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम बनाया हो और अपराध पर अंकुस लगाने के लिए भले ही किताबों पर कानून की धराए लिखी गई हो,,  लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है ! होटल हो या ठेकेदार के अधिनस्त

Child labor in Satna
Child labor in Satna

ईंट भट्टे का काम ,,, नन्हे हांतों में फावड़े और कुदाली बाल श्रम कानून की धज्जियाँ उड़ा रही है।  पढ़ने और खेलने की उम्र में नव निहालों का बचपना मजदूरो में तब्दील हो गय है  !  लिहाजा बाल मजदूरी सरकार की तमाम योजनाओ की पोल खोल रही है !

सतना जिले में छोटे प्रतिष्ठान हों या बड़े कारखाने या ठेकेदारों के आधीन काम कर रहे मजदूर ज्यादातर बाल श्रमिक दिखाई दे रहे है स्कूल जाकर अपना भविष्य बनाने की उम्र में इन्हे अपनी दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना पड़ता है,, घर का चूल्हा ना बुझे इसलिए इनकी मजदूरी अब इनकी मज़बूरी बन गयी है

बाल श्रम रोकने के लिए जंहा बाल श्रम प्रतिशेध अधिनियम 1986 बनाया गया है वही इन नियम कायदो का खुलेआम उल्लंघन का नज़ारा आम हो गया है। सतना जिले में तो यह नजारा खास लोगो के लिए आम हो गया है,,

Child labor
Child labor

सतना से लगे गांवों के एक ईंटा भट्ठों के संचालक और ठेकेदारों की यह दलील है ,, कि परिजन अपने बच्चो से खुद ही मजदूरी कराते है ! और ऎसा काम केवल हम ही नहीं बल्कि पूरे जिले में चल रहा है ठेकेदार की इस दलील ने पूरे जिले की हकीकत बता डाली !

सतना जिले में एक तरफ बढ़ रहे बाल श्रम ने बाल श्रम अधिनियम को हांसिये पर रख दिया है वही इन पर पैनी निगाह रखने बाला विभाग बाल श्रम रोकने का पक्का दावा कर रहा है ,, प्रतिष्ठानों में किसी भी प्रकार से बाल श्रमिको से काम ना करने के लिए होर्डिंग या बोर्ड लगाने की बात तो कर रहे है ,,पर उन बोर्ड के अंदर कभी झाँक कर नहीं देखा,, और शायद यही वजह है की सतना जिले में बाल श्रमिको की संख्या बढ़ी है जिस पर अधिकारी अंकुश लगाने की बात कर रहे है !

Satna child labor
Satna child labor

बाल श्रम रोकने के लिए केंद्र वा राज्य सरकार ने तमाम योजनाये है,, जिसमे बाल श्रमिको को लाभान्वित किया जाना है लेकिन इन योजनाओ की पोल इन नन्हे हांथो ने खोल कर रख दी है  जिनके हांतों में कागज, कलम और किताब की जगह मजदूरी के सामान ने ले ली है

ऐसे मामलो मे अगर विभाग द्वारा अब तक कोई ठोस कार्यवाही की जाती तो भला ठेकेदार बाल श्रमिको के भविष्य से खिलबाड़ कैसे करते,, जो स्कूल जाने की उम्र में चंद रुपयो की लालच मे बचपन खरीद रहे है।