पत्रकार ने व्यापारी से माँगा पैसा…IG से शिकायत…देखिये CCTV फुटेज और सुनिए वाइस क्लिप…

[highlight color=”black”]शहडोल [/highlight]

मध्यप्रदेश के शहडोल में कथित पत्रकारो द्वारा व्यपारी को डरा धमका कर पैसा वसूलने का मामला सामने आया है। शहडोल बस स्टैंड में मोबाईल की दुकान चलाने वाले संतोष गुप्ता ने कोतवाली थाना व आई जी कार्यालय में यह शिकायत की है की मुनीर खान, जुबैर खान, व दो अन्य सहित कुल  4 लोग खुद को पत्रकार बताकर पत्रकारिता का रौब दिखा रहे थे। बीते दिनों संतोष गुप्ता के मोबाइल दूकान में सर्विस के लिए आए मोबाइल की सर्विस बिना बिल के किये जाने पर इन लोगो के द्वारा विवाद किया गया। इन लोगो के द्वारा जब दूकान दार को धमकाया जा रहा था तभी दुकान के किसी स्टाफ ने वाइस रिकॉर्डिंग आन कर दी और प्रेस का खौफ दिखाकर पैसे की मांग कर रहे इन लोगो की आवाजे बेपर्दा हो गई।

[highlight color=”red”]इस CCTV फुटेज में देखिये कई नामचीन चैनलों की माइक आई डी के साथ व्यापारी को धमकी[/highlight]

 

[highlight color=”red”]पूरी बातचीत की मोबाइल रिकार्डिंग भी सुनिए[/highlight]

इस वाइस क्लिप में दुकानदार को यह बताया जा रहा की मैनेज करो वरना दिक्कत में पड़ जाओगे। खबर छपेगी तो आपके दुकान की बदनामी होगी। लिहाजा इस रिकार्डिंग के अंत में ये लोग मूल मकसद पर आते है और दुकानदार से कहा जाता है की चलो हम आपको कापरेट करते है लेकिन बदले में आपको भी कुछ करना होगा। दुकानदार के सवाल पर पहले तो मोटी रकम का इशारा किया गया पर जब दुकानदार ने अपनी गरीब का रोना रोया तब इन लोगो ने अपनी अस्मत बेचने का आख़िरी रेट बताया और कहा की चलो 5 लोग है कम स कम 2-2 हजार के हिसाब से 10 हजार की व्यवस्था करो। इतना कह कर ये लोग वहाँ से चले गए और शाम तक फोन कर कर के पूछते रहे। और जब दुकानदार ने पैसा नही दिया तो उसके खिलाफ अखबारो में ऊल जुलूल खबरे प्रकाशित की गई। अलबत्ता पहले से ही समझदारी दिखाते हुए पहले दूकानदार ने इन लोगो की शिकायत कोतवाली थाने में दी और फिर शहडोल IG को शिकायत पत्र देकर मामले में निष्पक्ष जाँच की मांग की है। गौरतलब है की IG ने इस मामले में 7 दिनों के अंदर जाँच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है।

बहरहाल कलम के सिपाही की आबरू  बेपर्दा हुई है, पत्रकारो की अस्मत लूटने का प्रयास है। जरूर ही ये अपनी जरूरतो के लिए ऐसे कृत्य करते होंगे लेकिन देश के चौथे स्तम्भ की विश्वसनीयता का क्या.? कहाँ जा कर मुह छुपाये वो पत्रकार जिन्होंने गरीबी का वो मंजर देखा की ना माँ की उम्मीद पूरी कर पाए, ना पिता का कर्ज अदा कर पाये, ना बीवी की जिम्मेदारिया उठाई और ना बच्चे की ख्वाहिशो को किया पूरा । खैर युग बदल रहा है हर चीज के मायने बदल रहे है। बहरहाल अब संतोष गुप्ता को पुलिस की जाँच में न्याय और इंसाफ की दरकार है।