208 किलो वजन के साथ लड़ते थे प्रताप, मृत्यू पर रो पड़ा था दुश्मन अकबर

राजस्थान की भूमि सदा से ही महापुरुषों और वीरों की भूमि रही है। यह धरती हमेशा से ही अपने वीर सपूतों पर गर्व करती रही है। उन्हीं वीरों में से एक थे महाराणा प्रताप। 19 जनवरी को उनकी पुण्यतिथि थी इस अवसर पर   आपको बता रहा है इस महान योद्धा की वीरता और त्याग के बारे में…
1576 में हल्दीघाटी में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच ऐसा युद्ध हुआ, जो पूरी दुनिया के लिए आज भी एक मिसाल है। महाराणा प्रताप ने शक्तिशाली मुगल बादशाह अकबर की 85000 सैनिकों वाले विशाल सेना के सामने अपने 20000 सैनिक और थोड़े-से संसाधनों के बल पर स्वतंत्रता के लिए वर्षों संघर्ष किया। 30 वर्षों के लगातार प्रयास के बावजूद अकबर महाराणा प्रताप को बंदी न बना सका। यही नहीं महाराणा की मृत्यु की खबर सुन अकबर रो पड़ा था।

हल्दीघाटी का युद्ध याद अकबर को जब आ जाता था ,
कहते है अकबर महलों में, सोते-सोते जग जाता था!

प्रताप की वीरता के सामने अकबर भी रोया 

प्रताप की वीरता ऐसी थी कि उनके दुश्मन भी उनके युद्ध-कौशल के कायल थे। माना जाता है कि इस योद्धा की मृत्यु पर अकबर की आंखें भी नम हो गई थीं। उदारता ऐसी कि दूसरों की पकड़ी गई बेगमों को सम्मानपूर्वक उनके पास वापस भेज दिया था। इस योद्धा ने साधन सीमित होने पर भी दुश्मन के सामने सिर नहीं झुकाया और जंगल के कंद-मूल खाकर लड़ते रहे।

26 फीट का नाला एक छलांग में लांघ गया था प्रताप का चेतक

कहते हैं कि जब कोई अच्छाई के लिए लड़ता है तो पूरी कायनात उसे जीत दिलाने में लग जाती है। ये बात हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि उनका घोड़ा चेतक भी उन्हें जीत दिलाने के लिए अंतिम समय तक लड़ता रहा। चेतक की ताकत का पता इस बात से लगाया जा सकता था कि उसके मुंह के आगे हाथी कि सूंड लगाई जाती थी। जब मुगल सेना महाराणा प्रताप के पीछे लगी थी, तब चेतक प्रताप को अपनी पीठ पर लिए 26 फीट के उस नाले को लांघ गया, जिसे मुगल पार न कर सके।

208 किलो का वजन लेकर लड़ते थे प्रताप

महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था। महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो… और लम्बाई 7 फीट 5 इंच थी। यह बात अचंभित करने वाली है कि इतना वजन लेकर प्रताप रणभूमि में लड़ते थे।