इंद्रधनुष के बीच आखिर क्यों आया सूर्य.? इस अनोखे नजारे का सच जानिए!

अम्बिकापुर। जिले में सूर्य का अनोखा नजारा देखने को मिल रहा है। सूर्य के चारों तरफ इंद्रधनुष का गोल घेरा बना हुआ हैं। सूर्य के आसपास गोल चक्र देख लोग तरह-तरह चर्चाएं करने लगे हैं। वैश्विक महामारी कोरोना से लोग जोड़कर कई तरह की अटकलें लगा रहे हैं।

सूरज का इंद्रधनुषी घेरे में आने के मामले पर बड़े-बुजुर्गो का अलग तर्क है. उनके मुताबिक ये नजारा सूरज की कहचरी का है.. सभी ग्रहों का राजा होने के कारण सूरज ने कचहरी लगाई है.. सभी ग्रहों को अपने अलग-बगल बिठाया और अपने साम्राज्य की कुशलता पर चर्चा की। बुजुर्गो की माने तो ऐसा नजारा समय समय पर देखने को मिलता है। 

साइंटिस्ट्स सोमवार की घटना को बेहद सामान्य घटना मानते हैं.. उनके मुताबिक जब वातावरण में धूल के अतिसूक्ष्म कणों की मात्रा अधिक हो जाती है, उसका संपर्क पर्याप्त नमी से हो जाता है.. सूरज की किरणों के टकराने पर धूल कण के सम्पर्क में आने वाली नमी किरणों को बिखरा कर एक इंद्रधनुष का घेरा बनाती है.. इसे ‘हालो’ कहते हैं।

खगोलशास्त्री मानते हैं कि कभी-कभी ऐसी घटनाएं घटती हैं.. इंद्रधनुष बनना कोई नई बात नहीं है.. आमतौर पर बरसात में इंद्रधनुष नजर आता है.. पर ऐसा नहीं है कि इंद्रधनुष अन्य मौसम में भी नजर ना आए.. इस घटना में इंद्रधनुष का सर्किल सूरज के चारो ओर बना है।

मौसम वैज्ञानिको के अनुसार ये कोई विशेष घटना नहीं है.. जब आसमान में धूल और पानी के कण साथ होते हैं तो इंद्रधनुष बनता है.

“मौसम विज्ञानी अक्षय मोहन भट्ट ने बताया की सूर्य के चारों तरफ़ जो वलय बना हुआ है. कभी-कभी ये घटना होती है, कभी-कभी चंद्रमा के चारों तरफ भी बनती है. इसको सूर्यमंडल या सूर्य वलय या हालो कहते है. इसके बनने का जो मुख्य कारण है ऊपरी बादल है जो उच्च स्तरीय बादल है. उसमे जल के जो कण है वो ठोस रूप से रहते है. और ठोस रूप में जब षट्कोणीय 6 पिंड वाले फलक में बदल जाते है. और उनपर जो सूर्य की किरणें पड़ती है. तो सूर्य की किरणों का अपवर्तन हो जाता है. और ये अपवर्तन 22 से 46 डिग्री सेल्सियस के झुकाव के साथ होता है. ठीक वैसा ही होता है जैसा प्रिज्म से प्रकाश का जो अपवर्तन होने के बाद जो वलय बनता है. सात रंग की पट्टी बनती है. वैसी ही ये घटना है. यहां जो वायुमंडल में जल के कण है, जो ठोस रूप में आ जाते है. और वहां से सूर्य की किरणों का अपवर्तन होता है. जिससे सूर्य के चारों तरफ वलय बन जाता है.”

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