निगम की सामान्य सभा में जमकर हंगामा..विधानसभा की तर्ज में हुई पहली बैठक..!

विधानसभा की तर्ज पर 51 प्रश्न लगाये गये थे सदन में

अम्बिकापुर

बुधवार को विधानसभा के तर्ज पर नगर निगम की पहली सामान्य सभा की बैठक की गई। बैठक में दोनों दलों के पार्षदों की ओर से 48 प्रश्न लगाये गये थे, जिसमें 5 प्रश्न को किसी कारण वश रिजेक्ट कर दिया गया। बैठक में पक्ष और विपक्ष के पार्षदों द्वारा कई मुद्दो को लेकर हंगामा किया गया। सरगुजा पैलेस की जर्जर स्थिति को लेकर किये गये प्रश्न को रिजेक्ट करने की स्थिति में नेता प्रतिपक्ष व एमआईसी के पार्षद के बीच जमकर नोकझोंक हुई। सत्तापक्ष के पार्षद द्वारा जहां एक ओर सफाई दिया गया कि यह निजी सम्पत्ति का मामला है तो वहीं विपक्ष के नेता प्रतिपक्ष ने इसे जनहित से जुड़ा मुद्दा बताकर भविष्य में बड़ी दुर्घटना घटित होने का आशंका जताते हुये प्रश्न रिजेक्ट करने का विरोध जताया।

बैठक शुरू होते ही सत्ता पक्ष व विपक्ष के पार्षदों द्वारा शायराना अंदाज में एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाना शुरू कर दिया। सदन में पार्षद संजय अग्रवाल द्वारा सरगुजा सदन, राजमोहिनी देवी भवन व श्यामा प्रसाद मुखर्जी भवन को लेकर प्राप्त होने वाली राशि व कितना बकाया है प्रश्र लगाया गया था। जवाब में एमआईसी सदस्य द्वारा बताया गया कि उक्त तीनों भवनों में ठेकेदार के पास 30 से 50 लाख का बकाया बचा है। फाईल कलेक्टर के पास है, इसलिये कार्यवाही नहीं हो रही है। इस जवाब पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बनिया का दुकान नगर निगम नहीं है। अगर इतनी राशि की वसूली हो जाती तो प्लेसमेंट कर्मियों का भुगतान हो जाता। उक्त भवनों को लेकर पार्षद आलोक दुबे ने आरोप लगाते हुये सदन को बताया कि उक्त तीनों भवनों का नियम विरूद्ध 10 से 20 वर्षों के लिये आवंटन कर दिया गया है। इसे लेकर हाईकोर्ट में भी जनहित याचिका लगाया गया है कि इतने वर्ष के लिये कैसे ठेकेदारों को भवन दे दिया गया। इसी मामले को लेकर हाईकोर्ट ने आयुक्त को तलब किया है। श्री दुबे का आरोप था कि अधिकारी ठेकेदार से मिले हैं, वकील भी मिला है। केवल तारीख बढ़वाकर मामले को दबाने की कोशिश वर्तमान आयुक्त द्वारा की जा रही है। श्री दुबे का कहना था कि अगर मामले से जुड़े तथ्य और दस्तावेज आयुक्त द्वारा कोर्ट को दे दिया गया तो तत्कालीन आयुक्त व जनप्रतिनिधि जेल जायेंगे। श्री दुबे के इस आरोप पर विपक्ष के पार्षद भड़क उठे और उन्होंने कहा कि श्री दुबे मौखिक रूप से किसी के ऊपर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा सकते। अगर उनके पास कोई प्रमाण है तो वे सदन में पेश करें। हंगामा होता देख सभापति शफी अहमद ने अधिकारियों को एक माह के अंदर राशि जमा करवाने के निर्देश दिये हैं।

भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष के पार्षदों ने जमीन पर बैठ जताया विरोध

सदन में विपक्ष के पार्षदों द्वारा निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा गुदरी बाजार में अवैध वसूली व भ्रष्टाचार करने को लेकर नेता प्रतिपक्ष सहित छरू पार्षदों ने सभापति के सामने जमीन पर बैठ विरोध जताने लगे। पार्षदों ने सभापति को वसूली के दस्तावेज भी दिखाए। सभापति ने मामले की निष्पक्ष जांच व उसके पश्चात एफआईआर कराने का आश्वासन दिया, जिसके बाद पार्षदों ने अपनी कुर्सी पर चले गये। इसी तरह भ्रष्टाचार से जुड़े एक और मुद्दे को लेकर पार्षद आलोक दुबे ने कहा कि शहर में अस्थायी दखल में जो नगर निगम की टीम वसूली कर रही है वे अपराधी प्रवृत्ति के लोग हैं। जहां 10 रूपये का वसूली करना था वहां निगम की इस टीम ने 40 से 50 रूपये की वसूली की। आयुक्त के पास जब इसकी लिखित शिकायत दी गई तो उन्होंने जांच करवाने का आश्वासन दिया था। आज दिनांक तक मामले में कोई जांच प्रतिवेदन और न ही रिपोर्ट देने की बात कही गई। श्री दुबे ने सभापति को वसूली किये हुये दस्तावेज ही पेश किये और उन्होंने मांग की कि राजस्व प्रभारी अमरेश सिंह से तत्काल सभी दस्तावेज जप्त कर लिये जाये, ताकि उसमें कोई छेड़छाड़ न हो सके। श्री दुबे ने कहा कि आरोप निराधार हुआ तो वे इस्तीफा दे देंगे। सभापति ने इस मामले को लेकर भी जांच करवाने की बात कहते हुये मामला सही पाये जाने पर एफआईआर कराने की बात कही है। सदन में इसके अलावा राशन कार्ड व आधार कार्ड के बिना राशन नहीं दिये जाने का मुद्दा छाया रहा।