हकीकत ऐसी की ..एक्शन में आये कलेक्टर धावड़े..पिछड़ी जनजाति के ग्रामीणों को नही मिल रहा सस्ता अनाज..जनपद अध्यक्ष का है निर्वाचन क्षेत्र..पढ़िए पूरी खबर!..

बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार)..
प्रदेश में एक समय ऐसा भी गुजरा जब राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया जोरो पर थी..तो वही दूसरी ओर करोड़ो की संख्या में फर्जी राशन कार्ड निरस्त किये गए..राज्य सरकार दावा करती रही..की गरीबो को राशनकार्ड के माध्यम से अनाज दिए जा रहे है..और सार्वजनिक वितरण प्रणाली योजना पर वार्षिक बजट भी तैयार किये गए..लेकिन एक हकीकत अब भी सरकार के तमाम दावों को झुठलाती नजर आ रही..बलरामपुर जिले के सीतारामपुर पाठ गांव का एक मोहल्ला ऐसा भी है..जहाँ विशेष पिछड़ी जनजाति के लगभग 15 से 20 परिवारों का राशन कार्ड ही अबतक नही बना है..वे ग्रामीण सरकारी आंकड़ो में महज मतदाता बन कर ही रह गए है..मतदाता का मतलब अपने मत का दान करना यानी सरकार चुनने में हिस्सेदारी से है..वह सरकार जो उनके हित मे काम करे..पर यहाँ बिल्कुल उल्टा है!..

बता दे कि बलरामपुर ब्लाक के सीतारामपुर पाठ का डामर पारा जो घने पहाड़ियों के बीच बसा हुआ है..डामर पहुँचने तक को रास्ता नही है..पथरीले रास्तो से पकडण्डी के सहारे इस मोहल्ले में पहुँचा जाता है,यहाँ रहने वाली पिछड़ी जनजाति की महिला किस्मतिया बताती है.. कि उनके पास राशनकार्ड नही होने से परिवार चलाना मुश्किल हो जाता है,यहाँ पर न तो आंगनवाड़ी केंद्र है और न ही स्कूल है..इसलिए यहाँ के नौनिहालों का भविष्य भी खतरे में है..जनपद के अधिकारियों का कहना है..10 आवेदन राशन कार्ड के लिए गांव से मिले थे.. और तीन राशन कार्ड बने..बाकी के आवेदनों में दस्तावेजी खामियां थी..उसे रोक दिया गया ..

कागजी विकास की कहानी गढ़ चुकी तमाम सरकारों की पोल खोलती इस गांव की तस्वीरे जहाँ पर पिछड़ी जनजाति लोगो को सरकार की किसी भी योजना का लाभ नही मिल पा रहा है..जिसके कारण यहाँ रहने वाले ग्रामीण मजदूरी करके कमाए हुए पैसों से राशन खरीद कर अपना जीवन यापन करने पर मजबूर है ..

यह गांव जिला मुख्यालय से ज्यादा दूर नही है..फिर भी दुरस्थ है..इतना दूर की डामर के ग्रामीणों का राशन कार्ड ही नही बन पाया है..आधार कार्ड नही बन पाए है..ग्रामीण धरातल पर तो है..लेकिन एक वोटर की हैसियत से..और उन्हें राशन के लिए भटकना पड़ता है..सरकार ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने की बात कहते नही थकती..मगर यहाँ के ग्रामीण दुसरो पर ही निर्भर है..प्रदेश सरकार कहती है..कोई भूखे पेट नही सोएगा..लेकिन यहाँ मिल गया तो ठीक नही तो भूखे ही गुजारा होता है..

अर्जियां तो बहुत दी..पर सुनी नही गई!..
समूचे देश मे तमाम सरकारी योजनाओ का लाभ लोगो को आधार कार्ड और राशन कार्ड के माध्यम से ही दिया जा रहा है..मगर जिनके पास वे आवश्यक और बुनियादी दस्तावेज ही ना हो ..उन्हें सरकारी योजनाओ का लाभ कैसे मिल पायेगा..यह वही सवाल है..जो ग्रामीण स्थानीय प्रशासन से कर रहे है..ऐसा नही है..की ग्रामीणों ने राशन कार्ड बनाने, आधार कार्ड बनवाने अर्जियां ना दी हो..लेकिन उनकी वे तमाम अर्जियां कहाँ गई..किसने उन्हें दबा दिया यह सवाल अब अहम है..जिसका जवाब प्रशासन के पास ही है..

एक्शन में कलेक्टर..
वही इस पूरे मामले में के संज्ञान में आते ही कलेक्टर श्याम धावड़े ने एक टीम गांव भेजने के निर्देश जनपद सीईओ को दिए है..लेकिन पहले क्यो ग्रामीणों का राशन कार्ड नही बना इसका जवाब उनके पास भी नही है..उनके मैदानी अमले ने भी चुप्पी साध ली है..जो सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की धरातल पर हकीकत बया कर रही है..

बहरहाल कलेक्टर एक्शन के मूड में है..लेकिन सोंचने वाली बात तो यह है..की जिन्हें अपना प्रतिनिधी चुनने का अधिकार है..वे मतदाता है..पर उनके पास विभिन्न सरकारी योजनाओं के हितग्राही होने का आधार यानी राशन कार्ड ही नही है..और इस क्षेत्र का जनपद पंचायत में प्रतिनिधित्व खुद जनपद अध्यक्ष विनय पैकरा करते है..मतलब सीतारामपुर क्षेत्र से जनपद सदस्य विनय पैकरा है..और उन्ही के निर्वाचन क्षेत्र की स्थिति हैरान कर देने वाली है..