वह दौर कुछ और था, अब यह दौर कुछ और है…CM के ड्रीम प्रोजेक्ट के सामने फीका पड़ा PM का ड्रीम प्रोजेक्ट… आवास के दलालों पर अब तक नही करा पाए CEO साहब कार्यवाही!..

बलरामपुर..(कृष्णमोहन कुमार).. जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना में बड़े पैमाने पर करप्शन का मामला उजागर हुआ है.. जिस गांव में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे डॉक्टर रमन सिंह ने पीएम आवास की ईंट जोड़ी थी..उसी गांव में कुछ जिम्मेदार अधिकारियों और बिचौलियों ने हितग्राहियों के खाते से पीएम आवास की क़िस्त पर डाका डाल डकार दिया है. आंकड़ों की बाद करें तो सरकारी फाईलों में सभी पीएम आवास कम्प्लीट नजर आ रहा है..मगर पीएम आवास के दो दर्जन से अधिक हितग्राही कच्चे झोपड़ी के मकान में रहने पर मजबूर है.. वही अब इस मामले पर एक बार फिर जांच और फिर कार्यवाही का जवाब मिल रहा है..और कार्यवाही का तो पता नही ..जांच ही ठंडे बस्ते में है..

यह पूरा मामला जिले में शंकरगढ़ ब्लाक के जोकापाठ गांव का है.. जहाँ वर्ष 2016-17 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह ने लोक सुराज अभियान के तहत जोकापाठ पहुँच.. निर्माणाधीन पीएम आवास की ईंट जोड़ी थी..और गांव में चौपाल लगाया था..

वर्ष 2016-17 से 2019-20 में गांव में कुल 179 आवास स्वीकृत किये गए है.. जोकापाठ गांव की आबादी लगभग 2000 के करीब है.. जहाँ के ज्यादातर बाशिंदे पहाड़ी कोरवा और पंडो जनजाति है..और वे भी साक्षर नही है..इसी का फायदा गांव में सक्रिय कुछ बिचौलियों ने उठाया था..और उनकी सीधी पहुँच जनपद में पदस्थ के एक बाबू से थी..जिम्मेदार अधिकारियों ने भी ठेकेदारी पद्धति से आवास बनाने पर जोर दिया था..और फिर बिचौलियों ने आवास के क़िस्त पर से हाथ साफ करना शुरू कर दिया..

ग्रामीण बताते है कि गाँव के बीएली ऋषिकेश और अनुरंजन यादव ने हितग्राहियों के खाते से फर्जीवाड़ा करते हुए योजना की क़िस्त के पैसे ग्रामीणों से अंगूठा लगवाकर निकाल लिए..और ग्रामीणों से आवास की क़िस्त नही आने का हवाला देते हुए..उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया..

गांव के हालात अब यह है..की पीएम आवास योजना के हितग्राही कच्चे और झोपड़ी के मकान में रहने को मजबूर है..गांव के सरपंच का कहना है..की उसने मामले की शिकायत कई बार की..लेकिन अब तक कोई कार्यवाही नही की गई है..जिसकी वजह से देश के प्रधानमंत्री के सपने पर पलीता लग गया..प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना था..की देश के हर गरीब परिवारों के पक्के मकान हो..और इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर तेजी से पहल भी हुई थी..मगर अब सब ढर्रे में तब्दील होकर रह गया..

ऐसा नही है..की जोकपाठ के ग्रामीणों की आवाज जिले के सर्वोच्च पद पर आसीन कलेक्टर से ना हुई हो..तत्कालीन कलेक्टर संजीव कुमार झा ने ग्रामीणों की इस समस्या को सुन तत्काल जिला पंचायत सीईओ हरीश एस से चर्चा की थी..और मामले पर कार्यवाही करने की बात कही थी..लेकिन कार्यवाही तो छोड़िए जांच भी नही हुई..जांच अमला भी ऐसा जो बिचौलियों के रसूख के आगे घुटने टेकता हो..

बहरहाल जिस दौर में पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट लांच हुआ..तब सूबे में भाजपा की सरकार थी..और प्रदेश सरकार ने पीएम आवास योजना पर तगड़ा फोकस भी किया था..मगर अब का दौर ही कुछ दूसरा है..वर्तमान समय मे अधिकारियों को ग्रामीणों के पक्के घर उपलब्ध कराने की योजना से ज्यादा..प्रदेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट की चिंता है..और शायद यही वजह है..की जिला पंचायत सीईओ ने इस मामले पर कोई फीड बैक नही ली..और अगर ली होती तो कुछ तो होता!..