इन बच्चो का नाग ही है खिलौना…. खाना भी खाते है साथ में

[highlight color=”red”]नागपंचमी पर विशेष[/highlight]

[highlight color=”black”]शहर में आकर रूके सपेरों के बच्चों की है यही दास्तां, नागपंचमी पर विशेष[/highlight]

[highlight color=”black”]अम्बिकापुर[/highlight]
[highlight color=”red”](दीपक सराठे)[/highlight]

नागपंचमी त्यौहार में नाग जोड़ों को देखना शुभ माना जाता है। इस दिन लोग नाग की पूजा-अर्चना कर दूध निकालकर आंगन मंे रखते भी है। यू तो दूर से ही नाग को देख लोगों के रौंगटे खड़े हो जाते है। परंतु इन सब से अलग समाज में ऐसे लोग भी रहते है जिनकी जिंदगी सांपो के बदौलत ही टिकी रहती है। सपेरों की दुनिया का यह सच सुनने में भले ही साधारण लगे, परंतु आंखो से देखने पर सहसा विष्वास करना मुष्किल हो जाता है। कुछ ऐसी ही परिस्थिति वर्तमान में नगर के लक्ष्मीपुर मोहल्ले मे निवासरत लोगों को रोज देखने को मिल रही है।

सिहोर जिले के शेखपुरा चांदगढ़ से आया सपेरों का परिवार पिछले एक माह से नगर के लक्ष्मीपुर में आकर ठहरा हुआ है। हर नागपंचमी में वर्षो से उस सपेरों के मुखिया गिरवर नाथ अपनी टोली व पूरे परिवार के साथ नगर में आते रहे है। जब हम सपेरों की दुनिया के बारे में जानने सपेरों की उस टोली में पहुंचे तो जो दृष्य सामने दिखा वह आष्र्चय से कम नहीं था। सपेरों के छोटे-छोटे बच्चे एक स्थान पर बैठ कर न सिर्फ भोजन कर रहे थे, बल्कि नाग जोड़ो को अपने साथ बैठाकर उसे भी भोजन करा रहे थे। घर के बाहर यह दृष्य देख जैसे ही उनके घर के दरवाजे पर कदम रखा तो देखा कमरे में एक बालक नागों के साथ खेल रहा था। उसके आसपास घर के कोई बडे सदस्य नहीं दिखे। बिना डरे व भय के नागो के साथ खेल रहे 9 वर्षीय बालक भईयालाल ने बताया कि यह नागों का जोडा ही नहीं बल्कि उने घर जितने भी सांप है वे सभी उसके भाई व दोस्त की तरह है। वह और घर के सभी बच्चे खाली समय में नागो के साथ ही खेलते है। इस बीच पहुंचे परिवार के मुखिया गिरवर नाथ सपेरा ने बताया कि उनका परिवार पुरातनकाल से सांपो का दर्षन कराने का काम करते आ रहे है। वे और उनका परिवार सांपो को न सिर्फ अपने बच्चों से भी ज्यादा प्यार से रखते है। बल्कि पूरा परिवार एक साथ उन सांपों को बैठाकर उनके साथ ही भोजन भी करता है। नागपंचमी के बाद वे पकड़े हुये सांपो को उनके स्थानों में छोड़ देते है। नागपंचमी के बाद परिवार मजदूरी व अन्य काम कर पेट पालता है।

[highlight color=”blue”] सांपों के बिना नहीं होता विवाह[/highlight]

सपेरा गिरवर नाथ ने बताया कि उनके गांव में सपेरों का जो समाज है उनमें सांपो के बिना किसी का विवाह नहीं होता। बच्ची की शादी के समय दहेज में सांपो का जोड़ा देने पर ही विवाह संपन्न होता है। यह परम्परा पूर्वजों से चली आ रही है।

[highlight color=”blue”]तीन सिद्ध योगों मे मनेगी नागपंचमी आज[/highlight]

रविवार को नागपंचमी का त्यौहार दुर्लभ संयोग के बीच मनाया जायेगा। 13 साल बाद नागपंचमी पर विषिष्ट योग बन रहा है। हनुमान मंदिर के पुजारी अनिल पाण्डेय के मुताबिक नागपंचमी के दिन सूर्य और वृहस्पति सिंह राषिा में और चंद्रमा कन्या राषि में होगें। सूर्य, गुरू, और युति संयोग का ऐसा संयोग 13 साल बाद आ रहा है। यह संयोग सुख-षांति और समृद्धिकारक है। पुजारी के मुताबिक रविवार को सूर्य के नक्षत्र उत्तरा भाद्रपद में तीन सिद्धियों में नाग देवता का पूजन होगा। षिव पुराण के मुताबिक यदि व्यक्ति नागपंचमी पर नाग की पूजा कर षिवजी का सहस्त्राअभिषेक करे तो मनोकामना पूर्ण होती है।

[highlight color=”blue”]6 साल बाद सामने आयेगें सुल्तान[/highlight]

शहर में लगभग 2009 से बंद हुई नागपंचमी पर दंगल की प्रतियोगिता की शुरूवात इस वर्ष पुनः आयोजित किया गया है। लोगों का मानना है कि फिल्म सुल्तान के आने के बाद युवाओं में कुष्ती को लेकर भी उत्साह चरम पर देखा जा रहा है। शायद यही वजह है कि शहर में लगभग 6 साल से लुप्त हो चुकी कुष्ती की प्रतियोगिता इस वर्ष से जीवित करने की कवायद है। सरगुजा कुष्ती महासंघ द्वारा मल्टीपरजप स्कूल मैदान में दंगल का आयोजन किया गया है। वहीं नगर के मणीपुर बाबा विष्वनाथ मंदिर के सामने भी दंगल प्रतियोगिता कराने की तैयारियां जोरों पर है।