रविशंकर विवि का 26वां दीक्षांत समारोह: किसी ने अपने पिता पर की PHD, किसी ने पाया एक साथ 4 गोल्ड मैडल तो इधर दृष्टिबाधित ने कैसे किया शोध पढ़िए सफलता की कहानी

रायपुर. पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय का 26वां दीक्षांत समारोह आज दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ। राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। इस दौरान सुप्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक पद्मश्री प्रो. वाई. एस. राजन भी मौजूद रहे। दीक्षांत समारोह में 136 छात्रों को गोल्ड मेडल, 308 को पीएचडी और एक छात्र को डी लीट की उपाधि प्रदान की गई। पीएचडी की उपाधि पाने वालो में एक ऐसी छात्रा देवश्री भोयर भी है जो आंख से देख नही सकती। आज दीक्षांत समारोह में 76 प्रतिशत बेटियां उपस्थित हैं। यह नारी के सशक्त होने का प्रतीक हैं। पढ़िए कुछ विद्यार्थियों के सफलता की कहानी….

4 गोल्ड मैडल लेने वाली शिवानी तंबोली

शिवानी को एमएससी कंप्यूटर साइंस में 4 गोल्ड मेडल मिला हैं। शिवानी ने इसका श्रेय फैमिली, टीचर को देते हुए बताया कि, लालपुर के स्वामी आत्मानंद स्कूल के कंप्यूटर टीचर पद पर पदस्थ हूं। खैरागढ़ यूनिवर्सिटी से कथक नृत्य में m.a. भी किया हैं। मैंने इसकी पढ़ाई करते हुए हमें गोल्ड मेडल लाया।

अपने पिताजी के ऊपर किया शोध

राजनीति विज्ञान विषय के अंतर्गत स्वर्गीय रेशम लाल जांगड़े के ऊपर पीएचडी की है। मेरे पिताजी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भारतीय संविधान सभा के सदस्य, आजाद भारत के पहले लोकसभा के सांसद रहे हैं। चार बार के सांसद रहे। तीन बार विधायक रहे।मंत्री भी रहे। बहुत बड़े समाज सुधारक भी रहे। बहुत बड़ा योगदान रहा। बचपन से ही पिताजी के व्यक्तित्व उनके कार्य शैली सरलता और सहजता से प्रभावित था। पहली बार में ही दिमाग में था कि मैं अपने पिताजी के जीवन और व्यक्तित्व पर ही पीएचडी करूंगा।

आज के राजनीतिज्ञों को नई पीढ़ी और युवा पीढ़ी को रेशम लाल जी से प्रेरणा लेनी चाहिए कि, किस प्रकार कम संसाधनों में सादगी और सरलता के साथ जनता की सेवा की जा सकती हैं। जरूरी नहीं हैं कि, सांसद विधायक बने, सामान्य व्यक्ति बन कर भी आम जनता की सेवा कर सकते हैं। भारतीय राजनीति में इसके साक्षात उदाहरण रहे हैं। उन्होंने अपने खुद के लिए आज तक आवास नहीं बनाया। पूरा जीवन संघर्षों में बिता। देश की सेवा में ही पूरा जीवन बिता।

आंखों से देख नही सकती देवश्री भोयर, मिली पीएचडी की उपाधि

पीएचडी की उपाधि पाने वालो में एक ऐसी छात्रा देवश्री भोयर भी हैं। जो आंख से देख नही सकती..देवश्री भोयर ने बताया कि, पढ़ाई के दौरान कठिनाई जरूर आयी। लेकिन, उसे उन्होंने दरकिनार कर दिया। देवश्री भोयर जन्म से नेत्रहीन हैं। इसके बावजूद देवश्री भोयर ने आर्ट्स के सब्जेक्ट में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन दुर्गा कॉलेज से पूरा किया। अब पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी पर पीएचडी की। देवश्री की निजी जिंदगी की बात की जाए। तो घर में उनके माता-पिता और उनका एक भाई हैं। देवश्री वर्तमान में धमधा के शासकीय स्कूल में टीचर के पद पर नौकरी कर रही हैं। उनके पिता घर में एक छोटी सी दुकान चलाते हैं।