शिशु सरंक्षण माह: आयरन और विटामिन की दवाइयां तो दूर बच्चों को हर माह मिलने वाला पोषण आहार तक नसीब नही

रायपुर. आज मंगलवार से प्रदेश में ‘शिशु संरक्षण माह’ की शुरुआत हुई। इस अभियान के जरिये शिशुओं का पोषण बेहतर करने 31 मार्च तक के अभियान सरकार चलाएगी। ‘शिशु संरक्षण माह’ में 25.6 लाख बच्चों को विटामिन ‘ए’ और 26.9 लाख बच्चों को आयरन एवं फॉलिक एसिड की खुराक देने का लक्ष्य रखा गया है। एक तरफ ये अभियान और दूसरी तरफ पिछले कई महीनों से आंगनबाड़ी केंद्रों में ताला लटका हुआ है। आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों की सुध लेने वाला तक कोई नही। आंगनबाड़ी के बच्चो को हर माह दिया जाने वाला पोषण आहार रेडी टू इट्स जैसे आहार तक उन्हें नही मिल रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में तकरीबन 50 हजार आंगनबाड़ी केंद्र है, इन केंद्रों में देढ़ लाख से भी अधिक कार्यकर्ता और सहायिका कार्यरत हैं जो कि हड़ताल पर है ऐसे में आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले साढ़े 4 लाख बच्चें सीधे तौर पर प्रभावित हैं। जिन बच्चों को पोषण आहार नही उन बच्चों तक शिशु सरंक्षण माह में विटामिन और आयरन की दवाइयां पहुँचना स्वास्थ्य विभाग की बड़ी चुनौती होगी।

इधर रायपुर के जिला कार्यक्रम अधिकारी निशा मिश्रा ने बताया कि अब तक पोषण आहार देने का विकल्प नहीं निकाला गया था लेकिन अब इसका हक निकाला जा रहा है बच्चों को घर घर जाकर पोषण आहार रेडी टू इट्स दिए जायेंगें। जहां तक शिशु सरंक्षण माह में दवाइयां दी जाने वाली बात है वो डिपार्टमेंट स्वास्थ्य विभाग का है, क्योंकि आंगनबाड़ी के केंद्रों में कार्यकर्ता नही आ रहे हैं, केंद्र पूरी तरह से बंद है।

शिशु सरंक्षण माह की जानकारी देते हुए शिशु एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के उप संचालक डॉ. व्ही.आर. भगत ने बताया कि राज्य में सुपोषण सुनिश्चित करने महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा अलग-अलग कार्यक्रमों के जरिए पौष्टिक आहार और गर्म भोजन देने का प्रावधान है। इस कार्यक्रम के अनुपूरक के रूप में शिशु संरक्षण माह का आयोजन किया जाता है जो कि बच्चों को कुपोषण एवं एनीमिया से बचाने में काफी मददगार है। डॉ. भगत ने बताया कि शिशु संरक्षण माह के दौरान छह माह से पांच साल तक के बच्चों को मितानिनें गृह भ्रमण कर सप्ताह में दो बार आई.एफ.ए. सिरप पिलाएंगी। वहीं नौ माह से पांच वर्ष तक के बच्चों को विटामिन ‘ए’ की खुराक भी दी जाएगी।