छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी केंद्र खोलने का विरोध.. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से शिकायत

जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कल 07 सितम्बर से प्रदेश भर के आंगनबाड़ी केंद्रों को पुनः प्रारम्भ किया जा रहा है। कोरोना महामारी के बढ़ते खतरे के बीच शासन के इस बेतूके निर्णय का विरोध करते हुए भाजपा नेता प्रशांत सिंह ठाकुर ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग में शिकायत की है।

उन्होंने आयोग के अध्यक्ष को भेजे पत्र में बताया है कि छतीसगढ़ में वर्तमान में 20हजार सक्रिय कोरोना मरीज है एवं प्रतिदिन 1500 से 2000 नए मरीज मिल रहे हैं। इन मरीजों में सुरक्षा मानकों का प्रयोग करने वाले प्रशासनिक अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक शामिल हैं। ऐसे में शासन का यह निर्णय प्रदेश में संचालित 70 हजार आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यरत हजारों कार्यकर्ताओं/सहायिकाओं सहित 07 लाख बच्चो एवं गर्भवती महिलाओं के जीवन के लिए संकट उत्प्न्न कर सकता है।

कोरोना सम्बन्धी खतरों को देखते हुए ही स्कूल-कॉलेज 30 सितम्बर तक बंद है। यह भी की छोटे बच्चो में कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा है, इसके बाद भी आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन खतरनाक साबित हो सकता है।

प्रदेश में भवनविहीन आँगनबाड़ी केंद्रों की संख्या बहुत बड़ी है, जो किराए के छोटे-छोटे कमरों में संचालित होते है। इन कमरों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किस प्रकार हो सकेगा, यह समझ से परे है।
बच्चो के पोषण सम्बन्धी विषय को आधार बनाकर आंगनबाड़ी केंद्र प्रारम्भ किया जा रहा हैं वर्तमान में हितग्राहियों को घर पहुचाकर सुखा राशन प्रदान किया जा रहा है, और आगे भी यही व्यवस्था बनाई रखी जा सकती है। यदि योजना का अपेक्षित परिणाम संतोषप्रद न आ रहा हो तो निगरानी एवं अन्य आवश्यक सुधार किया जा सकता था, परन्तु आंकड़ों में सुधार के लिए आंगनबाड़ी को प्रयोगशाला बनाया जा रहा है, जो सर्वथा अनुचित है।

यह भी की आंगनबाड़ी केंद्रों में तापमापी ,सभी बच्चो के लिए मास्क की उपलब्धता भी एक बहुत बड़ा विषय है। साथ ही गर्म भोजन ग्रहण के समय मास्क हटाना ही पड़ेगा। इन सब परिस्थितियों में संक्रमण को रोक पाना मुश्किल ही होगा। उन्होंने आयोग के अध्यक्ष से इस विषय पर तत्काल उचित कार्यवाही की मांग की है।

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