फूल उत्पादक किसानों पर लॉकडाउन की मार.. महक बिखेरने वाले फूल बिखेर रहे मायूसी..

सूरजपुर. देश समेत पूरा प्रदेश इस वक्त लॉकडाउन के हालात से गुजर रहा है. व्यापार, दुकानें और लोगों के रोजगार बंद है. सड़कों पर इस वक्त सन्नाटा छाया हुआ है. ऐसे में कई परिवार ऐसे हैं जिनके एकमात्र आय का साधन इस लॉकडाउन की वजह से बंद है.

इस लॉकडाउन की स्थिति में सूरजपुर जिले के फूल की खेती करने वाले किसानों का दर्द सामने आया है. दरअसल सूरजपुर जिले के कमलपुर और गणेशपुर नामक गांव में फूलों की खेती की जाती है. यहां कुछ किसानों द्वारा मुख्यत: दो प्रकार के फूलों मेरीगोल्ड यानी गेंदे और ग्लेडियस फूल की खेती की जाती है. इनकी खेती लगभग वर्ष भर की जाती है. मगर लॉक डाउन होने के कारण इनकी खेती बर्बाद जा रही है फूल खराब होने की स्थिति में आ गए हैं..क्योंकि इन फूलों को खरीदने के लिए कोई ग्राहक ही नहीं है.

कमलपुर गांव के किसान विवेक हलदर ने हमें बताया कि सूरजपुर जिले में कमलपुर और गणेशपुर दो गांव में फूलों की खेती की जाती है. खेती लगभग 15 से 20 एकड़ में की जाती है, जो वर्ष भर जारी रहती है. यह फूल लगभग ढाई महीनों में तैयार हो जाते है. मगर लॉक डाउन के कारण बीते माह से इनके फूलों को खरीदने के लिए कोई ग्राहक ही नहीं मिल रहा है. इतना ही नहीं इन के फूल खराब हो रहे हैं. किसानों द्वारा फूल पर दवाई का भी छिड़काव नहीं किया जा रहा है..क्योंकि किसान दवाई के लिए खर्च करने को तैयार नहीं..क्योंकि लॉकडाउन के कारण इन फूलों को बचाकर उसकी आमदनी भी नहीं निकलने वाली.

इस स्थिति में इन फूलों की खेती करने वाले किसान सरकार से मुआवजे की आस लगाए हुए हैं. वही सरकार जो किसानों द्वारा उगाए गए फूलों की माला अपने गले पर पहनती है. जिनके द्वारा उगाए गए फूल भव्य आयोजनों की सुंदरता बढ़ाती है. वही फूल जो मंदिरों और आयोजनों में लाखों करोड़ों की संख्या में चढ़ाए जाते हैं. सरकार जरा यह भी विचार कर ले कि कोरोना संक्रमण के खत्म होने के बाद जब उनके कार्यों की वाहवाही होगी. तब कहां से लाएंगे गले पर पहनने के लिए इन मालाओं को. कम से कम सरकार इस वक्त इन किसानों को फूलों पर लगने वाले लागत और दवाइयों के लिए ही मुआवजा प्रदान कर दे.

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