एक वोट एक नोट अभियान का चिरमिरी मे मिला जुला असर….

चिरमिरी से रवि कुमार सावरे की रिपोर्ट

 

इन दिनों वेटिंग पीएम0 नरेन्द्र मोदी को कुर्सी दिलाने के लिए पूरे देश में एक वोट एक नोट का कैंपेन चलाया जा रहा है। इसी तर्ज पर नगर निगम चिरमिरी में भाजपा कार्यकर्ताओं मोदी की बाल्टी लेकर घर – घर नोट और वोट मांगने निकल रहे है । कैंपेन के माध्यम से भाजपाई मोदी के पक्ष में प्रचार कर पैसा जुटाने में लगे है और जनता को यकीन दिला रहे है कि मोदी के पीछे किसी बड़े  धनाड्य का हाथ नही है,, बल्कि मोदी को कुर्सी में बैठाने के लिए आपके पैसों की आवश्यकता है।

विदित हो कि पूरे देश में चल रहे इस कैंपेन का फायदा इतना जरूर मिल रहा है कि घर – घर तक भाजपाईयों के जाने से मोदी के नाम की चर्चा लगातार बढ़़ रही है और भाजपा भी यही चाहती है किन्तु पीएम0 इन वेटिंग को कुर्सी में यह कैंपेन बैठा पायेगी यह कहना बहुत मुश्किल है। दूसरी तरफ कैंपन का असर अब जनता में भी दिखने लगा है लोग मोदी की इस पीएम0 कुर्सी की यात्रा को अलग – अलग अभिव्यक्ति करने के लिएं विवश है। कुछ तो यंहा तक कह रहे कि भाजपा का यह अनूठा प्रचार सत्ता पाने से पहले जनता को शोषित करने की ओर ईशारा कर रहा है। आम जनता एैसे प्रचार से खुद को ठगा महसूस कर रही है। इन परिस्थितियों के बाद भी एक बोट एक नोट का असर कितना जनता पर पड़ेगा यह एक बहुत बड़ा सवाल है और जनता इन्ही सवालों के कसमकस में निर्णय लेकर दूध का दूध और पानी का पानी करेगी।

मोदी के फीके रंग में डूबे भाजपाई
कोयलांचल नगरी चिरमिरी में अलग – अलग स्थानों में भाजपाई मोदी की बाल्टी लेकर घर- घर पहुंच रहे है लेकिन यहा एक बात बार बार क्लिक करने के लिएं मजबूर करती है कि क्या फीके रंग में डूबे कार्यकर्ता आम जनता को मोदी के रंग में डूबा पायेगी। कार्यकर्ता आम जनता को मोदी के लिएं एक बोट और एक नोट की गणित को समझा पाने में असफल है जिसके कारण जनता मोदी के रंग में डूबने की बजाय खिल्ली उड़ाने में ज्यादा मसगूल है और तो और दबी जुबान से यह भी कहा जा रहा है कि पैसा भी हमारा औश्र बोट भी हमारा और कुर्सी में बैठेंगे मोदी जी, क्या जनता इतनी बेवकुफ है कि उसका कान भी काट लिया जाय और पूछने पर बताया जाय कि कौवा ले गया।
संघ को उठाना था पूरा जिम्मा
मोदी का एक बोट एक नोट कैंपन पर काली छाया पडने लगी है, कांग्रेसी भी भाजर्पायों के इन कमजोरियों का खूब खिल्ली उड़ा रहे है। घर – घर पहुंचने वाले भाजपा के कार्यकर्ता मोदी को बोट देने और एक नोट देने के कारण को प्रमाणित करने का अधार व्यक्त नही कर पा रहे है जबकि यही पर यदि संघ के लोगों को इसका पूरा जिम्मा दिया जाता तो शायद एक बोट एक नोट का असर सर चढ़कर बोलता क्योकि इतिहास गवाह है कि जब जब भी भाजपा बुलंदियों पर पहंची है तो संघ ने जोरदार तरीके से भाजपा का हाथ पकड़ा था और्र उचाईयों तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया है। संघ के कार्यकर्ताओं में अपनी बात रखने की कमजोरी नही है जिसका फायदा इस कैपेंन के माध्यम ये भाजपा को मिलना तय था।

कही भीड़ तो कही है दो ही दिखे कार्यकर्ता

एक बोट एक नोट को साकार करने निकले भाजपा के सूरमाओं को भी ड़ कही दिखाई दे रही तो कही सिर्फ दो ही महिला कार्यकर्ता मोदी के रंग में लोगों को रगने लिकलते दिखाई दे रहे है । जिन लोगों के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़ है उन्हे ज्यादा मसक्कत करने की जरूरत नही पड़ रही है क्योकि नोट और बोट देने वाला भीड़ को देखते ही समझ जा रहा है कि मोदी की टोली है जो हमारे पैसे पर चुनाव लड़ने की इच्छा रखती है वही दूसरी तरफ सिर्फ दो महिलाये जब बाल्टी लेकर एक बोट एक नोट मांगने चली तो षर्म उनके आड़े आते दिखा। कही अपनी मोदी का गुणगान किया तो कही बोलना भी उचित नही समझा शायद इस कारण से कि उन्हे समझा पाना महिलाओं के बश में नही था। इस तरह से घर – घर पहुंचने का सपना पूरा होता नही दिखाई देता है।