गुणवत्ता हुई कम तो मरीज फेक रहे भोजन…

हर रोज डस्टबीन दिख रहा भोजन से भरा हुआ

अम्बिकापुर

“दीपक सराठे”

जिला अस्पताल सह मेडिकल काॅलेज के रसोई घर की हालत इन दिनों काफी पतली नजर आ रही है। मरीजों को मिलने वाले भोजन में गुणवत्ता व पोष्टिक लाने शासन ने 60 रूपये की दर को बढ़ाकर 100 रूपये तो कर दिया है, बावजूद इसके बिना स्वाद का भोजन मरीज डस्टबीन के हवाले कर रहे है। कहना ना होगा कि भोजन की गुणवत्ता पहले से भी बदतर हो चुकी है। हर वार्ड के बाहर रखे डस्टबीन में उपर तक फेका गया भोजन इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
ज्ञात हो कि रघुनाथ अस्पताल को मेडिकल काॅलेज में मर्ज करने के बाद अधिकारियों ने सभी विभागों में हेरफेर कर नोडल अधिकारी बना दिये है। इन दिनों रसोई विभाग का जिम्मा जिसे सौपा गया है उसे पहले इस क्षेत्र का बिलकुल ही ज्ञान नहीं है। आलम यह है कि सारी व्यवस्था चैपट होकर रह गई है। पिछले दिनों देषबन्धु ने अस्पताल में आक्सीजन सिलेण्डर के टोटें की खबर प्रकाषित की थी वह जिम्मा भी रसोई घर नोडल अधिकारी का ही है। इस प्रकार रसोई घर में कई चीजों की कमी होने से कर्मचारी भी भोजन में गुणवत्ता नहीं ला पा रहे है। दूसरी तरफ बेस्वाद खाने को मरीज ले तो लेता है परंतु अततः वह खाना डस्टबीन के हवाले कर दिया जा रहा है। सुबह हो या रात हर समय वार्ड के बाहर का डस्टबीन दाल, चावल व सब्जी से भरा दिखता है। यही नहीं मरीज डस्टबीन के भर जाने से बाहर इधर-उधर फेंक रहे है। जिससे गंदगी का आलम भी बना हुआ है। मेडिकल काॅलेज सह जिला अस्पताल में इन दिनों फैली अव्यवस्था को देखते हुये अधिकारी इसे मेन पावर की कमी मान रहे है। बहरहाल अस्पताल में सबसे महत्वपूर्ण भाग सफाई व रसोई घर का हाल बेहद बुरा है। एक समय जब यहां के खाने की तारीफ राजधानी से आने वाले अधिकारी किया करते थे। अब उसी खाने का स्तर इस कदर गिर चुका है कि मरीज उस खाने को फेंक रहे है।

कमी दूर की जायेगी
मेडिकल काॅलेज अधीक्षक डाॅ. घनष्याम सिंह ने कहा कि अस्पताल में गंदगी तो है। इसका मुख्य कारण मेनपावर की कमी महसूस की जा रही है। जहां तक भोजन फेके जाने की बात है उसमें मरीज व उनके परिजन ज्यादा भोजन ले लेते है और फिर नहीं खा पाते। अततः उसे फेंक देते है। हम भोजन में जो कमी है उसे दूर कराएगें।