Chhattisgarh News: आरक्षण के कारण रुकी भर्ती परीक्षाएं, लाखों युवाओं के भविष्य का जिम्मेदार कौन?

Raipur News: छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं होने से कई भर्तियां रुकी हुई हैं. वहीं कई परीक्षाओं के परिणाम रुके हुए हैं. विभिन्न परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को अब अपने भविष्य की चिंता खाये जा रही इसी लिहाज से सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रहे हैं. आज हम आपको बताने जा रहे है कि कौन कौन सी भर्ती परीक्षा रुकी हुई हैं और कौन कौन से नोटिफिकेशन रोक दिए गए हैं.

आरक्षण के कारण प्रभावित होने वाली भर्ती परीक्षाएं

– सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा 2018 से लंबित है, 975 पदों के लिए 6 नवंबर को होने वाली परीक्षा रद्द हो गयी.

– CGPSC सिविल सेवा परीक्षा 2021 में 171 पदो की भर्ती परीक्षा हुई लेकिन परिमाण रोक दिए गए.

-CGPSC वन सेवा परीक्षा 2021 में 211 पदो पर भर्ती होनी थी, इंटरव्यू रोक दिया गया.

– CGPSH द्वारा 91 प्यून के पद हेतु परिक्षा ली गई जिसमे 2.5 लाख के करीब लोगो ने फॉर्म भरा वो रोक दिया गया.

– पटवारी की परीक्षाओं के बाद नियुक्तियां रुकी हुई है.

– व्यापम द्वारा साइंटिस्ट की परीक्षा ली गई, जिसका कोई रिजल्ट नहीं जारी किया गया है.

– डाटा एंट्री ऑपरेटर सहायक ग्रेड 3 रुकी हुई है.

– विधानसभा की भर्ती परीक्षा भी रुकी हुई है.

इन पदों के नोटिफिकेशन भी रुके

– 12400 पदों पर शिक्षक भर्ती.

सहायक विकास विस्तार अधिकारी ADEO के 250 पद, आमीन पटवारी सिंचाई विभाग, हॉस्टल वार्डन के 400 पद, लेबर इंस्पेक्टर एवं रेवेन्यू इंस्पेक्टर के नोटिफिकेशन रुके हुए है.

आरक्षण पर हस्ताक्षर को लेकर सियासी बयानबाजी जारी

इधर भविष्य के युवाओं का भविष्य अधर में लटका हुआ है उधर आरक्षण विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं होने पर सियासी बयानबाजी चल रही हैं. आरक्षण पर हस्ताक्षर का जिम्मा उठाये राज्यपाल सीधे कांग्रेस और प्रदेश सरकार के निशाने पर है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कह रहे हैं कि हस्ताक्षर हो जाता तो भर्तियों का रास्ता खुलता. लेकिन राज्यपाल विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं कर रही हैं.

राज्यपाल को डर कहि कोर्ट खारिज न कर दे

बता दे कि राज्यपाल को भी इस बात का डर सता रहा हैं कि 76% आरक्षण को कोर्ट खारिज न कर दे इसलिए राज्यपाल इस पर लंबे समय से विचार कर रही हैं, पिछले दिनों ही हाइकोर्ट ने 58%आरक्षण को असवैंधानिक बताया था ऐसे में 76% आरक्षण कहि आगे चलकर कोर्ट में न फस जाएं इसलिए भी लेटलतीफी हो रही हैं.