Breaking : पांच किलोमीटर के दायरे में दो चीतलों की मौत.. रिहायसी इलाको में कैसे पहुंच रहे वन्य जीव.?

सूरजपुर..(दतिमा मोड़/आयुष जायसवाल)..जिले के करंजी चौकी क्षेत्र के अलग अलग दो जगह पर एक साथ दो चीतलों की मौत हो गयी है. वही एक चीतल की बांस के बेडी से टकराकर तो दूसरे की फेंसिंग पोल के तार से टकराकर मौत होना लोगो द्वारा बताई जा रही है. जानकारी के अनुसार एक चीतल और देखा गया जो भागते हुए खोपा धाम की तरफ गया जिसकी कोई सूचना अभी तक नही मिली है.

ग़ौरतलब है कि शनिवार सुबह 8 बजे लगभग अचानक वन परिक्षेत्र कसकेला में कुमदा बीट के ग्राम खरसुरा में धनपत यादव के बाड़ी में एक मादा चीतल का शव पड़ा मिला. तो गॉव वालो ने वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को सूचना दी. जैसे ही विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुचे वैसे ही. वन परिक्षेत्र कसकेला के ही बतरा बीट के ग्राम बतरा में प्रेम राजवाड़े के बाड़ी में लगे फेंसिंग पोल के तार से टकराकर दूसरे नर चीतल की घायल होने की खबर मिल गई. खबर मिलते ही वन विभाग की टीम सकते में आ गयी व तत्काल दोनों जगह पहुची एवं बतरा पहुचते ही दूसरे नर चीतल की मौत हो गई. दोनों चीतलों की उम्र लगभग 4-5 साल बताई जा रही है.

कैसे पहुचे चीतल, क्या हुआ आगे

बरहाल एक साथ नर-मादा चीतल की मौत होने से ये तो तय हो गया कि दोनों एक साथ थे जैसे ही सूरज की रोशनी मिली होगी. वे इंसानो व कुत्तो को देखकर इधर उधर भागने लगे जिससे दोनों बिछड़ गए होंगे.. और तेज गति से दौड़ लगाने के कारण अचानक टकराकर गिरने से उनकी मौत हो गयी होगी. फ़िलहाल मौके पर वन परिक्षेत्र अधिकारी कौशलेन्द्र पाण्डेय, वन रक्षक बतरा हुबलाल यादव, वन रक्षक बीट कुमदा किरण चौहान व वन रक्षक प्रदीप राजवाड़े मौके पर पहुच कर दोनों चीतल के शव का पंचनामा बनाकर भैयाथान पशुचिकित्सालय भेजा गया है. साथ ही पीएम के बाद रिपोर्ट सामने आने की बात कही जा रही है ..की क्या इनके साथ कोई इंसानी हमला तो नही हुआ है ?

जंगल छोड़कर रियायसी क्षेत्रो में कैसे पहुच रहे वन्य जीव

सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों ये दुर्लभ वन्य जीव जंगलो को छोड़कर रिहायसी इलाको में आ रहे है. पहले भी इन क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के वन्य जीवों को देखा गया है. क्या जंगल मे इनको इनका आहार नही मिल रहा या आदमी अपनी जरूरतों के चलते इनके जगलो को उजाड़ रहा है. बरहाल कारण तो कई है और जब तक पर्यावरण सन्तुलित नही रहेगा तब तक आपदाएं तो आती रहेंगी. बावजूद इसके ना आम नागरिक समझ रहे ना ही शासन प्रशासन की कोई बेहतर योजना आज पर्यन्त तक इन वन्य जीवो के लिए नही दिखी है.