70 के दशक में शुरू हुए इस सीमेंट प्लांट के बंद होने से हजारों लोग हो गए बेरोजगार व बेघर…कभी यह प्लांट प्रतिमाह 4 से 5 हजार टन सीमेंट उत्पादन करता था…जो अब कबाड़ में हो गया हैं तब्दील…

जांजगीर-चाम्पा (संजय यादव)...70 के दशक में अविभाजित मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा सीमेंट का उत्पादन करने वाला राज्य था। इसी दौर में सीसीआई ने छत्तीसगढ़ में सीमेंट उत्पादन की संभावनाएं तलाशी। और वर्ष 1981 अकलतरा में सीमेंट प्लांट शुरू किया गया। अकलतरा में 85 एकड़ जमीन पर लगे प्लांट से दो से प्रतिमाह तीन हजार टन सीमेंट बिलासपुर और इसके आसपास ही खपता था। अकलतरा क्षेत्र के आसपास गांव के अलावा बिलासपुर, जांजगीर चांपा के हजारों परिवारों को यह सीमेंट फैक्ट्री रोजगार दे रहा था। लेकिन जैसे ही, फैक्ट्री बंद हुआ सारे काम करने वाले कर्मचारी, अधिकारी एवं मजदूर बेरोजगार एवं बेघर हो गए तब से यह फैक्ट्री कबाड़ नुमा पढ़ा हुआ। प्रदेश में कई सरकारें आई और गई। लेकिन, इस समस्या की ओर अभी तक किसी सरकार ने गंभीरता से ध्यान नहीं दिया, न हीं स्थानीय जनप्रतिनिधि ने इस ओर किसी प्रकार की पहल की, जिसका परिणाम इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर दूर होते गये और यहां के स्थानीय लोगो को अन्य प्रांत पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
अकलतरा प्लांट से हर साल 4 लाख मिट्रिक टन सीमेंट का उत्पादन होता था। इसलिए कहीं और सीमेंट मंगाने की जरूरत नहीं पड़ती थी। हजारों लोगों को रोजगार मिलने के साथ ही सीमेंट की उपलब्धता बनी हुई थी। शुरुआती साल तो ठीक रहे, लेकिन लगातार करप्शन, कमीशनखोरी और मैनेजमेंट की लापरवाही के चलते सिर्फ 14 सालों में यानी 1995 में प्लांट बंद करना पडा। जिससे सीसीआई को करोड़ों का को नुकसान उठाना पड़ा।
छत्तीसगढ़ की दो बड़ी सीमेंट फैक्ट्रियों को बेचने के फैसले के साथ ही इनके दोबारा शुरू होने की उम्मीद खत्म हो गईं हैं। सीमेंट कारपोरेशन ऑफ इंडिया ने अकलतरा व मांढर की फैक्ट्रियों की कीमत 442 करोड़ रुपए तय की थी। सालों से बंद इन फैक्ट्रियों को फिर से शुरू करने के लिए आंदोलन तक हुए थे। लेकिन इन दोनों सीमेंट फैक्ट्रियों के खरीदार नहीं मिल पाने के कारण अभी तक इनकी बिक्री नहीं हुई हैं। जिसके चलते यहां के मशीनरी सामान खराब हो रहे हैं। तो यहां के सामान चोरी होने लगे।
प्लांट बंद होने के बाद यहां चोरी और अन्य आपराधिक घटनाएं बढ़ गईं हैं। अकलतरा प्लांट में एक सुरक्षाकर्मी की हत्या तक हो गई थी। बंद होने के 18 साल बाद उद्योग मंत्रालय ने इन फैक्ट्रियों को बेचने का फैसला लिया हैं। इसके लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए थे। लेकिन खरीदार नहीं मिलने के का फैक्ट्री की स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई हैं।
सीसीआई की फैक्ट्री से सिर्फ दो किमी दूर लाफार्ज का दो मिलियन टन क्षमता का प्लांट है, जो जहां हजारों लोग रोजगार पा रहे हैं। तो वही फैक्ट्री करोड़ों आमदनी कमा रही हैं। लेकिन, सीसीआई सीमेंट फैक्ट्री मैनेजमेंट की लापरवाही के चलते आखिरकार इसे बंद करना पड़ा। निजी क्षेत्र के इस प्लांट की स्थापना के बाद सरकारी प्लांट को कड़ी प्रतिस्पर्धा झेलनी पड़ी।