एक ऐसा SDM जिसके साथ लक्जरी कार, अर्दली या तामझाम नहीं होता…

हंसमुख स्वभाव के लिए है चर्चित 

अम्बिकापुर अक्सर अपने कार्यालय और बाजार मे बिना किसी लक्जरी कार, बिना अर्दली या तामझाम के नजर आ सकते है.. इनकी शादगी के कारण शहर के लोग भी उन्हें पहचान नही पाते है कि ये सब डिविजनल मजिस्ट्रेट यानी कि संभाग मुख्यालय के एसडीएम है.. आमतौर पर जिस युग मे अधिकारी आलीशान माकान और लक्जरी कार के साथ चकाचौंध की जिंदगी पसंद करते है,  उस तामझाम और दिखावे के युग मे अम्बिकापुर एसडीएम पुष्पेन्द्र शर्मा की जीवनशैली एकदम अलग है..

सुबह उठाकर बिना अर्दली लोवर पहनकर पैदल सडक पर वाक करना या मैदान मे वर्जिस करने के बाद अगर सैलून जाना है तो भी साहब घर से पैदल सैलून तक पहुंच जाते है..  हालाकि उनको जानने वाले उनकी सादगी और हंसमुख स्वाभाव से वाकिफ है..  लेकिन जो नही जानते है उनको इस अधिकारी की एक और खूबी हैरान कर सकती है..  हैरान इसलिए क्योंकि आज जहां नायब तहसीलदार बनने के बाद ही लोग सरकारी बंगले का जुगाड लगाने लगते है, तो वही इस अधिकारी ने कभी सरकारी बंगले की ख़्वाहिश नही पाली…  तभी तो कुछ वर्ष पहले अपने तहसीलदार कार्यकाल मे ये अम्बिकापुर के डीसी रोड पर एक किराए के माकान मे रहते थे, तो जब एक बार फिर शहर के एसडीएम बनकर आए है तो भी निजी किराए के माकान मे अपने परिवार के साथ रहते है..

आपने देखा होगा कि आज के भागदौड़ वाले युग मे साधारण लोग भी इतने व्यस्त है कि बडे बडे अधिकारियों को नही पहचानते है..  लेकिन अघिकारी अगर सायरन वाली बत्तीदार कार जीप से उतरा तो लोगो के अंदर उसको जानने की जिज्ञयासा पैदा हो जाती है..  और शायद इसीलिए अपना रौब दिखाने के लिए अधिकारी इस तरह के तामझाम वाले वातावरण को अपने अनूकूल समझते है..  लेकिन ऐसे समय मे भी एसडीएम शर्मा ना ही सरकारी वाहन का बेवजह इस्तेमाल करते है और ना ही अपने पद का प्रदर्शन करते है..

बहरहाल एसडीएम पुष्पेन्द्र शर्मा कि इस शिक्षाप्रद खबर को लिखने के पीछे हमारा ये मक़सद नही कि हम किसी की भावनाओं को ठेंस पहुंचाए..  हमारा मकसद तो सिर्फ इतना है कि जिस जनता की सेवा के लिए आपको कुर्सी मिली है.. उसका काम जरूरी है ना कि फाईव स्टार लाइफ..