सूरजपुर : प्रशासन ने लौटायी इस परिवार की खुशियां, 3 साल पहले गुम हुए मूकबधिर बच्चे को दिल्ली से ढूंढ निकाला

सूरजपुर। सूरजपुर में गुम बच्चों की तलाश के लिए बाल संरक्षण विभाग, पुलिस प्रशासन और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम गठित की गयी है। जिस टीम ने ज़िले के अजबनगर से तीन साल पहले लापता हुए एक मुकबधिर नाबालिग बच्चे को दिल्ली से खोज निकाला और घर लेकर आए। इधर तीन साल बाद घर पहुंचे बच्चे को देख पुरा गांव ही खुशी मे झूम उठा।

सूरजपुर जिले मे विगत कई वर्षो से गुम बच्चो कि लंबी चौड़ी फेहरिस्त प्रशासन के पास है। कई गुम बच्चो कि बरामदगी कर ली गई है। वहीं गुम बच्चो कि पतासाजी के लिए जिले के कलेक्टर द्वारा बाल संरंक्षण विभाग, पुलिस और राजस्व कि संयुक्त टीम बनाई गई है। जिसके बाद यह टीम अभियान चलाकर गुम बच्चो कि पतासाजी कर रही है। इसी बीच पुलिस के पास अजबनगर गांव से गुमशुदगी का एक मामला आया। अजबनगर गांव का एक 11 साल का मुकबधीर बच्चा, जो बोल और सुन नही पाता था, वो पिछले तीन साल से लापता था। जिसकी जानकारी प्रशासन को लगने के बाद टीम जांच मे जुटी हुई थी और फिर बच्चे कि जानकारी दिल्ली मे होने का पता चला। जिसके बाद बाल संरक्षण के साथ संयुक्त टीम दिल्ली रवाना हुई और बच्चे कि पहचान के लिए घरवालो से विडियो कालिंग कर बच्चे कि पहचान कराने के बाद बच्चे को घर वापस ले आया गया। इस संबंध में बाल संरक्षण टीम के सदस्य कार्तिक ने बताया कि बच्चा बोल सुन नही पाता था। साथ ही तीन साल बीत चुके थे। ऐसे मे उसकी पहचान कराना चुनौती था। लेकिन संयुक्त टीम ने बखुबी चुनौती को पुरा कर बच्चे को परिजनो को सौंप दिया गया।

तीन साल से गुम मुकबधीर बच्चे के परिजन तीन साल से बच्चे के वियोग मे कई मंदिर और धार्मिक जगहों में केवल मन्नत मांग कर बच्चे के वापस मिलने कि आस लगाए बैठे थे। तीन साल पहले बच्चे कि तलाश के लिए पुरा गांव ने जद्दोजहद किया था। माता-पिता को अपने मुकबधिर बेटे भरत के मिलने कि आस लगी हुई थी और हुआ भी यही। जब जिला प्रशासन के संयुक्त टीम को दिल्ली मे गुम बच्चा भरत के हुलिए के बच्चे कि जानकारी मिली तो टीम ने भी भरसक प्रयास कर दिल्ली से बच्चे को सकुशल तीन साल बाद घर लाया। भरत के दो और भाई-बहन है और आसपास के उसके दोस्त अब रोजाना भरत के साथ पुरा वक्त बीता रहे हैं। तो वही भरत और उसके मां-पिता के चेहरे कि खुशी जिला प्रशासन कि टीम का आभार बयां कर रही है।

बहरहाल 11 साल कि उम्र मे घर से निकला मुकबधीर बच्चा किसी तरह दिल्ली पहुंच गया। लेकिन तीन साल बाद 14 साल कि उम्र मे वापस अपने परिजनो के पास पहुंच गया है। इसके पीछे बाल संरक्षण इकाई के साथ पुरे जिला प्रशासन कि टीम कि मेहनत को पुरा गांव याद रखेगा।