आरोपी पटवारी पर क्यों मेहरबान हैं गांधीनगर थानेदार ?

GANDHINAGER POLICE AMBIKAPUR
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  • पीडित ने किया सवाल , नौ महीने से सिर्फ चल रही जांच
  • दण्डाधिकारी व सीएसपी के निर्देश पर भी नहीं किया एफआईआर

अम्बिकापुर

शासकीय भूमि को छल कपट कर पटवारी द्वारा लाखों रूपये लेने व उस भूमि की विक्री करने के मामले में नौ महीने तक सिर्फ जांच किये जाने की बात कर रही गांधीनगर पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर पीडि़त ने न सिर्फ कई सवाल उठाये है बल्कि गांधीनगर थानेदार पर गंभीर आरोप भी लगाये है।  उक्त मामले में आरोपी पटवारी द्वारा पैसे लिये जाने की बात प्रमाणित होने के बाद 17 अक्टूबर को न सिर्फ सीएसपी ने गांधीनगर थाने को एफआईआर दर्ज करने कहा था बल्कि दण्डाधिकारी ने भी मामले में अपराध पंजीबद्ध करने के निर्देश दिये थे ।

इधर पीडित का सवाल है कि शासकीय जमीन की हेराफेरी कर लाखों रूपये दबाने वाले पटवारी पर आखिर गांधीनगर पुलिस क्यों मेहरबान है ?  नौ महीने तक मात्र जांच की बात कर रही गांधीनगर पुंलिस से जब पीडि़त ने जब सूचना के अधिकार तहत जानकारी मांगी तो पुलिस ने इसकी जानकारी नहीं दी । अब पीडित ने प्रथम अपीलीय अधिकारी पुलिस अधीक्षक को इस संबंध में आवेदन किया है । आवेदन में

साहब गिरफ्तार तो कर लो
साहब गिरफ्तार तो कर लो

पीडित जानकारी के अनुसार स्थानीय फुन्दुरडिहारी इंदिरा नगर निवासी श्रीमती लव्ली टोेप्पो पति अमित टोप्पों को कृषि भूमि की आवश्यकता थी । लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व विक्की सिंह एवं मनोज सिंह नामक व्यक्ति अमित टोप्पों को ग्राम घघरी में जमीन दिखाने के लिए लालू , घसिया  एवं रामा के पास ले गए थे । लालू एवं घसिया सहित रामा ने उस दौरान अमित टोप्पों को बताया था कि जो जमीन वह देखने आए है उस जमीन पर वे लोग वर्षो से काबिज है। जिसकी जमीन का रिकार्ड पटवारी के पास है।

जानकारी के मुताबिक तत्कालीन पटवारी राजीव श्रीवास ने अमित टोप्पों को यह कहा था कि आप लोग 7 लाख  रूपए दें मैं उक्त जमीन आपकी पत्नी के नाम करवा दूंगा । पटवारी को उसी दिन 4 लाख 10 हजार रूपए सुधिर बड़ा व अशोक भगत के सामने दिया गया था । 11 सितम्बर 2014 को अमित टोप्पो को तहसील कार्यालय बुलाकर लालू घसिया एव रामा द्वारा निष्पादित सहमती पत्र दिलाकर एक वकालत नामा मे हस्ताक्षर करा पटवारी ने अपने पास रख लिया और कहा कि जल्द ही जमीन आपके पत्नी के नाम हो जाएगी । 20 अक्टुबर 2014 को नायब तहसीलदार अम्बिकापुर द्वारा सरकारी जमीन पर अतिक्रमण सबंधी  नोटिश आने पर पीडि़त पटवारी राजीव श्रीवास के पास गए  परन्तु पटवारी आज तक नही मिल पाया ।

पटवारी के इस कृत्य से पीडि़त को यह अभाष हो गया कि पटवारी ने उनके साथ हेरा – फेरी कर लाखों रूपए हड़प लिए है पीडि़त ने इसकी शिकायत कलेक्टर से की थी जिस पर कार्यवाई करते हुए कलेक्टर ने अनुविभागीय दंडाधिकारी राजस्व को मामले की जांच करने निर्देशित किया था । दंडाधिकारी के द्वारा मामले की जांच करने पर पटवारी द्वारा सरकारी भूमि बिक्री करना एवं सरकारी भूमि के बदले राशि प्राप्त करना प्रमाणित पाया गया । कलेक्टर के निर्देश पर अनुविभागीय दंडाधिकारी ने 11 मार्च 2015 को दोनो पीडि़तों को पटवारी के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने निर्देशित किया था । पीडि़तो ने 14 मार्च 2015 को गंाधीनगर थाने में पटवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराना चाहा परन्तु पुलिस ने एफआईआर दर्ज नही किया । उक्त पूरे मामले में दोषी पाया गया पटवारी आज भी शासकीय नौकरी में है और पीडि़तो को आज भी ना तो उनका पैसा वापस मिल सका है और ना पटवारी के विरूद्ध कोई कार्यवाई हुई है। इसे लेकर नौ माह बीत जाने के पश्चात पीडित ने गांधीनगर थाने के टीआई से सूचना के अधिकार के तहत अभी तक की गई जांच की जानकारी मांगी परन्तु काई जानकारी नहीं मिलने पर पीडित को निराश होना पडा । पीडित ने आज इस संबंध में पुलिस अधीक्षक को आवेदन दिया है।