होली पर्व पर गाए जाने वाले परम्परागत फाग की रंगत पड़ी फीकी

होली से महीने भर पूर्व से गाए जाते थे होली गीत

फाग की जगह अब एलबम और फिल्मों के गीत बजाए जाते हैं

रंगों की जगह केमिकल्स के प्रयोग से प्रमुख त्योहार की चमक पड़ रही फीकी

सूरजपुर 

प्रतापपुर से राजेश गर्ग 

रंगो का त्योहार होली का अपना ही महत्व ही है। इस दिन पुराने मतभेदों को भुलाकर दुश्मनों को भी गले लगाने की परम्परा रही है। कुछ वर्षा पहले तक भांग की खुमारी जब सिर पर चढ़ती थी तब कहीं जाकर होली का असली मजा आता था। इस अवसर की खुशी ऐसी होती थी कि होली के करीब महीने भर पहले से ही गांव-गांव में रातों को जमकर फाग गीत गाए जाते थे। गीतों में प्रेम और भक्ति रस अनायास ही बरसता था। उसकी जगह अब भोजपुरी एवं हिन्दी फिल्मों के होली गीतों को यंत्रों के माध्यम से बजाया जाने लगा है। इन गीतों में फूहड़ता होने के कारण संभ्रात घरों के लोग भी इनसे बचते हैं। वहीं फाग गीतों को गाए जाने की परम्परा भी बदलते परिवेश में विलुप्त होते जा रही है।

बसंत ऋतु के आने के साथ ही होली के त्योहार आने की सुगबुगाहट आने लगती है। कुछ वर्षो पूर्व तक “अलि ए दशरथ के राजकुमार अवध में खेरे होली” … “का तैं मोला मोहनी डार देहे गोंदाफूल, मंैया तोरे शरण ढोलक बाजे”.. जैसे फाग गीतों को ग्रामीण अंचलों में रात्रि के दौरान गाया जाता था। समय के साथ लोगों के जीवनशैली में परिवर्तन होने के साथ ही अब फाग गीत गाए जाने की परम्परा लगभग विलुप्त होने के कगार पर है। अब इन फाग गीतों को होली त्योहार के एक-दो दिन पहले विरले ही सुनने को मिलता है।

पलाश और सेमर से बनाते थे रंग

वर्तमान समय में रंगों के लिए हानिकारक केमिकल्स से बने कृत्रिम रंगों, गुलाल, अबीर व पेस्ट कलर का प्रयोग किया जाता है। इनसे त्वचा पर कई तरह के उद्भेद होने की आशंका रहती है। वहीं पुराने समय में रंग के लिए पलाश और सेमर के फूलों को तोड़कर लाया जाता था। उसे घड़े में पानी डालकर उबाला जाता था। इससे फूलों का प्राकृतिक खूशबूदार रंग निर्माण होता था। इस रंग की खासियत यह होती थी कि यह प्राकृतिक तौर पर उबटन का कार्य करता था। वहीं इसका रंग भी पक्का होता था। लेकिन ऐसा कम ही देखने को मिलता है, होली के त्यौहार का महत्व धीरे धीरे आधुनिकता की भेंट चढ़ रहा है नतीजन सभ्य लोग अपने ही त्यौहार से बचते रहते है कई लोग तो होली के दिन अपने घरो में ही एक कमरे में बंद रहते है कारण होता है केमिकल युक्त रंग जिसके उपयोग से बहोत से लोगो को त्वचा संबंधी बीमारिया हो जाती है।