हादसे की कहानी, घायलों की जुबानी

अम्बिकापुर (दीपक सराठे)

भेड़ बकरियों की तरह भरे यात्री, रात का अंधेरा, तेज रफ्तार में यात्री बस और चालक शराब के नशे में धुत्त। यह बताया उन्होंने जो बुधवार की देर रात खून से लथपथ होकर जिला अस्पताल में पहुंचे थे। वैसे तो दलधोवा घाट में पुल से नीचे गिरी यात्री बस में सवार घायल बोलने की स्थिति में नहीं थे परंतु जिन लोगों में थोड़ी सी भी कुछ कह पाने की हिम्मत बची भी, उनका कहना था कि शराब में टल्ली बस के चालक द्वारा बस को तेज रफ्तार में चलाते देख कुछ लोगों ने उसे टोका था, परंतु शराबी चालक ने यात्रियों की इस रोक-टोक को अनसुना कर दिया। इस लापरवाही की परिणिती इतनी बड़ी दुर्घटना का कारण बनी। बस में सवार रायपुर ब्राम्हणपारा निवासी प्रदीप देवांगन जिन्हें इस दुर्घटना में ज्यादा चोट नहीं लगी थी। उनका कहना था कि वे बस के सामने वाली सीट पर बैठे थे। उनके अलावा बस में 60 से अधिक यात्री सवार थे। बस का चालक शराब के नशे में अपने में ही मस्त था। अंधेरे से गुजरती बस व बस की तेज रफ्तार को देख उनके अलावा सामने बैठे कई यात्रियों ने चालक की बस की गति धीमी करने को कहा था। गढ़वा झारखण्ड से रायपुर के लिये चली बस रात 10.30 पर डुमरखी नाला के पास रूकी थी। जहां चालक को पुनरू शराब का सेवन करता देख यात्रियों ने उसकी अवस्था को भांपकर बस को धीमी गति से चलाने कहा था। बलरामपुर दलधोवा घाट पर पहुंचने पर जब मोटर सायकल सवार अचानक सामने पहुंचे। उस पूरे दृश्य को देख रहे बस में सामने बैठे यात्री प्रदीप देवांगन व अंजली गुप्ता ने बताया कि बस का चालक वाहन सवारों को देख अपना नियंत्रण खो बैठा। तेज रफ्तार बस बाइक सवारों को जैसे ही ठोकर मारी, उसके बाद हादसे की कहानी बयां कर रहे यात्रियों को कुछ दिखाई नहीं दिया। उनके भी सोचने समझने की शक्ति लगभग खत्म हो चुकी थी। बस सीधे पुल के नीचे जा गिरी। शराबी चालक की लापरवाही का खामियाजा 17 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। क्या इस बड़ी दुर्घटना या हादसे के बाद शासन प्रशासन व संबंधित विभाग की आंखे खुलेंगी? क्या अब यात्री बसों में भेड़ बकरियों की तरह लोगों को ठूंस-ठूंस कर लाने ले जाने का सिलसिला बंद हो सकेगा? क्या शराब पीकर तेज रफ्तार में यात्री बसों को चलाने व लोगों की जान से खिलवाड़ करने वालों पर कोई सख्त कार्यवाही हो सकेगी? यह फिलहाल सवाल ही है।