वन ठेकेदारो ने विभाग पर लगाया भ्रष्टाचार और अनियमितता का आरोप

अम्बिकापुर

सरगुजा वन ठेकेदार संघ ने वन वइकाई निगम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पिछले महीने गलत तरीके से हुई बेशकमीती लकडियो की निलामी के विरोध मे ठेकेदारो ने वन विकास निगम के अधिकारियो पर शासन को करोडो का चूना लगाने का आरोप लगाया है। साथ ही कोटा मे हुई निलामी को निरस्त कर फिर से निलामी कराने की मांग की है।

जिले के वन ठेकदार संघ के लोगो ने वन विकास निगम के खिलाफ आवाज उठानी शुरु कर दी है। दरअसल मामला वन विकास निगम की मनमानी के एक बडे मामले का है। दरअसल पिछले महीने की 29 तारिख को सरगुजा जिले के तारा डिपो मे होने वाली लकडी निलामी की तारिख बदलकर वन विभाग के अधिकारियो ने उसे बिलासपुर के कोटा मे 26 नवंबर को आयोजित करवाया। लेकिन जिले की निलामी दूसरे जिले मे होने के कारण ठेकेदारो ने निलामी मे लकडियो की बोली नही लगाई। पर वन ठेकेदारो का ये आरोप है कि निलामी का समय खत्म होने के बाद कोटा डिपो के अधिकारियो ने अपने कुछ चहेते ठेकेदारो से सांटगांठ कर निलामी की लकडी बिना निलामी के औने पौने दाम मे बेच दिया है।

सरगुजा वन ठेकेदार संघ के अध्यक्ष  राजीव अग्रवाल के मुताबिक कोटा डिपो के भ्रष्ट अधिकारी ओ पी यादव द्वारा अपने कुछ चहेते व्यापारियो को निलामी का समय निकलने के बाद एमव्ही जमा कर लडकियां बेच दी गई। और उसी दिन उठाव भी करा दिया गया है। जबकि निलामी मे बोली हुई ही नही थी।

Untitled_0043 015 (2)वन ठेकेदार संघ के लोगो का ये भी आरोप है कि निलामी की प्रकिया मनमाने ढंग से दूसरे जिले मे करने के साथ ही शासन को लाखो का नुकसान पंहुचाया गया है। लेकिन दूसरी ओर सरगुजा वन विभाग के मंडल प्रबंधक जिले के तारा डिपो की लकडियो को बिलासपुर के कोटा मे निलामी होने की प्रकिया को जायज ठहराया है। उनके मुताबिक यंहा पर निलामी मे होने वाली गडबडियो को देखते हुए स्थान परिवर्तन किया गया। लेकिन बिना निलामी के लडकियो के उठाव के मुद्दे को तो मंडल प्रबंधक साहब ने बिना पानी पिए निगल लिया। मतलब इस संबध मे पूछे गए सवाल पर साहब ने गोल मोल जवाब दिया।

खैर कंबल ओढ कर घी पीने और शासन को वर्षो से चूना लगाने वाले वन विभाग की ये कोई नई करतूत नही है। कभी विभाग के अधिकारी ठेकेदारो को लाभ पंहुचाने के लिए सभी नियमो कायदो को मोटी रकम के साथ अपनी जेब मे डाल लेते है। तो कभी शासन के नुकसान से इनकी तिजोरियो का वजन बढता है। बहरहाल गंभीर और जांच योग्य इस मसले मे वन ठेकेदारो के विरोध के बाद वन विभाग कोई जांच कराता है या फिर मामला ढक कर तीन पात हो जाता है ये तो वक्त बताएगा।