दीवार पर लिखा है डिफाल्टर किसानों का नाम. तो क्या नई सरकार ने नहीं बुझाई है इनकी प्यास!..

सूरजपुर..(भैयाथान से प्रकाश दुबे). सूबे में सरकार बदल गई है. और नई सरकार ने चुनावी वायदों के तहत किसानों के कर्ज माफी पर अमल भी कर दिया है..बावजूद इसके आज भी सेवा सहकारी समितियों में कर्ज माफी के बाद भी डिफॉल्टर लिखे शब्द ने किसानों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.

दरसल सेवा सहकारी समितियों की दीवारों पर डिफाल्टर किसानों की लिस्ट बकायदा दीवार पर लिखवाई हुई है. पर मौजूदा दौर में भूपेश सरकार ने किसानों को राहत देते हुए उनके कर्ज को माफ कर दिया है. उसके बावजूद इस डिफाल्टर किसानों की फेहरिस्त समझ से परे है.और अब जब किसान डिफाल्टर ही नही है तो इस सूची का क्या औचित्य है.

इस डिफाल्टर किसानों की फेहरिस्त में कई ऐसे किसान है जो किन्ही कारण बस समिति से लिए गए कर्ज की अदायगी समय पर नही कर सके.. अलबत्ता राशि बढ़ता गया आज स्थिति ऐसी हो गई कि किसानों का नाम डिफॉल्टर सूची में डाल दिया गया है ..अब अन्नदाता शर्म से समिति में नही जाना ही बेहतर समझते हैं.. चाहे उनकी खुद की मजबूरी ही क्यों ना हो ऐसे किसानों को अब कांग्रेश की सरकार से उमीद है कि इनका खोया हुआ इज्जत सायद वापस मिल सके.. और यही कारण है कि विधानसभा चुनाव में जमकर बम्पर वोटिंग हुई और कांग्रेश को उम्मीद से ज्यादी सफलता मिली हैं ..हालांकि सरकार ने इस दिशा में पहल भी शुरू कर दी है .

इसके अलावा अल्प कालीन लोन लिए कृषको का कर्ज भी माफ करना प्रदर्श सरकार ने शुरू कर दिया गया है ..जिसके तहत लिंकिंग से काटे गए राशि को फिर से किसानों के खाते में वापस डाला जा रहा है ..वही भले ही अभी कृषको को बैंक से नो ड्यूज या ऋण मुक्ति प्रमाण पत्र नही दिया जा रहा है .यह सरकार की एक अपनी मजबूरी ही क्यों ना हो लेकिन किसानों का अल्पकालीन कर्ज कटना बन्द हो गया है..इसी आस में ऐसे पुराने कृषक जो लोन की अदायगी नही कर पाए हैं ऐसे सरकार से उमीद है कि उनकी ऋण मुक्त करते हुए उनकी साख को समिति में जो बेईज्जती हुई है जो उन्हें पुनः वापस मिल सके ..

बहरहाल इस सम्बंध में राज्य शासन ने किसी भी प्रकार की कोई आदेश बैंक को जारी नही की गई है।

पुराने कर्जदार किसान परेशान

वही जो पुराने कर्ज दार किसान है ओ दो सालों से समितियों में धान बेचने से भी कतरा रहे हैं या नही बेचे है और कई कर्जदार किसानों ने समितियों में अपना रजिस्ट्रेशन पंजीयन नही कराया उन्हें डर था कि पंजीयन करवाकर कर धान बेचने से धान का पैसा उनके खाते से कट जायेगा बहुत से किसान आज भी आस लगाए बैठे हैं कि राज्य सरकार के द्वारा पुराने कर्जदार किसानों का भी अभी पंजीयन कर किसानों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेने का जनहित में कार्य करे। भैयाथान विकासखण्ड अंतर्गत आधा दर्जन से भी अधिक सेवा सहकारी समितियों में अमूमन 2 से 3हजार की संख्या में ऐसे कर्जदार किसान है जिन्होंने लगभग 5 करोड़ से भी अधिक की ऋण समितियों से लिया है जिसे ओ आज तक नही ऋण नही पटा पाए हैं और ऐसे किसानों ने सरकार से आस लगाए बैठे हैं कि उनकी इस ऋण माफी से दुबारा उनकी साख समितियों में पा सके।